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Gaiya Meri Aati Hai Mujhko Dudh Pilati Hai
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Poem Lyrics
गैया मेरी आती है
गैया मेरी आती है,
मुझको दूध पिलाती है।
सुनहरी धूप में चलती है,
हरी घास वो खाती है।
उसके पास है पूंछ लम्बी,
और सींग भी होते प्यारे,
जब मैं उसके पास में जाऊं,
कानों को वो हिलाती है।
सुबह-सुबह वो बगिया जाती,
फूलों की खुशबू लाती है।
गैया मेरी प्यारी है,
हमको बहुत लुभाती है।