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गणनाथ मंदिर , ताकुला अल्मोड़ा
(Gananath Temple Almora)
यहॉ पर गाड़ियों का जा सकना मुश्किल होता है, बड़ी गाड़ियां भी मुश्किल से ही पहुँच पाती हैं, रास्ता बेहद ऊबड़खाबड़ और पथरीला होने के साथ साथ पहाड़ी है,
समुद्रतल से 2116 मीटर की ऊंचाई पर बने गणानाथ के मंदिर को हिन्दी साहित्य में अल्मोड़ा से सम्बन्ध रखने वाले प्रसिद्ध साहित्यकार मनोहर श्याम जोशी ने अपने उपन्यास ‘कसप’ में कई बार वर्णित किया है,
शिव को समर्पित इस मंदिर के बारे में इसके नाम से ही जाना जा सकता है कि यहं पर स्थापित भगवान शिव अपने चंड-मुंड गणों के स्वामी हैं
कुमाऊँ के इतिहास में गणानाथ के मंदिर का ऐतिहासिक महत्त्व भी दर्ज है. गोरखा शासनकाल में अर्थात 1790 से 1815 के बीच यहाँ पर उनकी छावनी हुआ करती थी, 23 अप्रैल 1815 को अंग्रेज सेना का सामना करता हुआ गोरखा सेनापति हस्तिदल चौतरिया यहीं मारा गया था, इसके बाद गोरखों ने आत्मसमर्पण किया था,
इसी साल कुमाऊं के चाणक्य कहे जाने वाले हर्षदेव जोशी की मृत्यु भी गणानाथ में हुई थी जहां उन्होंने अपना वसीयतनामा लिखा था.
अदभुद शान्ति के साथ साथ कुछ ही दूरी पर नीचे वन विभाग का पुराना गेस्टहाउस भी है.