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#गवरी_नृत्य // गवरी नृत्य प्रसिद्ध खेल // गजपुर // Rk studio gajpur
गवरी, राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र का एक लोकप्रिय नृत्य और त्योहार है. यह नृत्य भील जनजाति का है और इसे सावन-भादो के महीने में किया जाता है. गवरी से जुड़ी कुछ खास बातेंः
गवरी में सिर्फ़ पुरुष ही भाग लेते हैं.
गवरी में मांदल और थाली का इस्तेमाल होता है, इसलिए इसे राई नृत्य भी कहा जाता है.
गवरी का आयोजन रक्षाबंधन के दूसरे दिन से शुरू होता है और यह सवा महीने तक चलता है.
गवरी में शिव को 'पुरिया' कहा जाता है.
गवरी के खेलों में नरसि मेहता, गणपति, खाडलिया भूत, काना-गुजरी, जोगी, लाखा बणजारा जैसे पात्र होते हैं.
गवरी के पीछे शिव-भस्मासुर की कथा का उल्लेख है.
गवरी में आदिवासी समाज सवा महीने तक भगवान शिव की पूजा करता है.
गवरी का मकसद पूरे गांव में खुशहाली लाना होता है.
मेवाड़ क्षेत्र में किया जाने वाला गवरी नृत्य भील जनजाति का प्रसिद्ध नृत्य है। इस में मांदल और थाली के प्रयोग के कारण इसे राई नृत्य के नाम से जाना जाता है। वादन संवाद, प्रस्तुतिकरण और लोक-संस्कृति के प्रतीकों में मेवाड़ की गवरी निराली है। गवरी का उदभव शिव-भस्मासुर की कथा से माना जाता है।
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