बहोत ख़ूब ! तेरी उम्मीद पर जीने से हासिल कुछ नहीं लेकिन : अगर यूँही न दिलको आसरा देते तो क्या होता ....पुर सोज़ शेर लिख दिया सहाब साहब ने हुई मुद्दत कि 'ग़ालिब' मर गया पर याद आता है, वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता !
@musicroomlive3 жыл бұрын
शुक्रिया अहमद साहब …ये बेहद उम्दा शेर क़लम के जादूगर जनाब साहिर लुधियानवी का ही है ।😊🌻