ये राग केदार में निबद्ध ग़ज़ल है. विशुद्ध हिन्दुस्तानी शास्त्रीय राग के नियमों का पूरा ध्यान रखते हुए भी इसमे फ़िल्मी ग़ज़ल का हल्कापन बनाए रखना बहुत कठिन काम है. इस तरह की vocal maneuvering हर किसी के बस की बात नहीं है. शुद्ध और तीव्र मध्यम सुरों को बेहद सफाई से अलग कर के गाया है सुमन ताई ने.
@MohammadBeg-w8w Жыл бұрын
💯 agree with you.
@anjanabanerjee145211 ай бұрын
Kya gayan Kya Likhan Ak dusreke paripurak. Pranam. Sumandidi
@uvaisuzaivi31084 жыл бұрын
Bahot khoobsoorat gaya h. .amazing singing. . And nice lyrics
@Azhar8432 жыл бұрын
wah wah kia kehnay
@qasimalikashi7337 ай бұрын
Bohat khoob Kya bat hai
@mrv001184 жыл бұрын
इतने मुश्किल composition को कितनी खूबसूरती से गा दिया है सुमनजी ने ।पहली बार ये non filmy ग़ज़ल सुनी है ।ऐसे सुन्दर गीत और ग़ज़ल और upload करें । ऐसे सुन्दर नगीनों को पेश करने के लिए आपको शुभकामना ।
@sapnamukherjee46483 жыл бұрын
Nostalgic : childhood memories and introduction of “Daagh”