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आज से सैकड़ों साल पहले गरीबी और बदहाली से तंग आकर यहां के लाखों लोग अपने हालात ठीक करने की उम्मीद में दूर देशों में समंदर पार करते पहुँचे, इस बहकावे में कि उनके दिन सुधर जाएंगे... लेकिन उस विस्थापन ने उन्हें बहुत से दर्द दिए, अंग्रेजों द्वारा उनके साथ किया गया छल उन्हें बहुत महंगा पड़ा, इस उम्मीद ने उन्हें दुख ही दिया लेकिन इसके साथ ही उन लाखों मजदूरों के भीतर ऐसी जिजीविषा जागी जिसने एक सुनहरे वर्तमान को गढ़ दिया.... आज मॉरीशस, त्रिनिदाद, गुयाना, फिजी, सूरीनाम जैसे देशों को बनाने सँवारने में हमारे जिन पूर्वजों का खून पसीना लगा है, उन्हीं का किस्सा है है नाटक- गिरमिटिया सैयाह।
जिस एग्रीमेंट पर उन प्रवासियों की किस्मत लिख दी गयी थी, उनकी टूटी हुई जबान में वह एग्रीमेंट गिरमिट हो गया और वो एग्रीमेंट पाने वाले - एग्रीमेंटिया या गिरमिटिया।
और सैयाह याने प्रवासी...
पूर्वांचल की माटी से गए हमारे उन पूर्वजों की याद में उनके ही अंदाज को लेते हुए ये नाटक लोकगीतों और लोकनृत्य से सराबोर है। सोहर, बिदेसिया जैसी गायन शैली और पँवरिया, धोबियउवा तथा चमरउवा जैसी ठेठ लोक नृत्य शैली से सजा ये नाटक आप दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देने का भरपूर माद्दा रखता है।
२२ सितम्बर २०२४ को यह प्रस्तुति गोरखपुर में दी.द.उ. गोरखपुर विश्वविद्यालय के संवाद भवन में विश्विद्यालय के अंग्रेजी विभाग व रूपान्तर नाट्य मंच के संयुक्त तत्वाधान में हुई.
मंच पर -
आलोक सिंह राजपूत
रितिका सिंह
हरिकेश पाण्डेय
निकिता श्रीवास्तव
चन्दन यादव
विक्की प्रजापति
सोमनाथ शर्मा
शिवांगी पाठक
पवन कुमार
मंच परे-
लेखक - डॉ आनन्द पाण्डेय
निर्देशक - अपर्नेश मिश्र, सुनील जायसवाल
संगीत- आदित्य राजन
गायन- पवन कुमार (ढोलक वादन), शगुन श्रीवास्तव
हारमोनियम व कोरस - हर्ष मौर्य
प्रकाश एवं रूपसज्जा - निशिकांत पाण्डेय
ध्वनि व्यवस्था - रवि प्रताप सिंह
विशेष आभार- प्रो. राम दरश राय एवं लिटिल स्टार एकेडमी, इंदिरा नगर, गोरखपुर
तथा
श्री राजमोहन (सरनामी गायक ), नीदरलैंड
संरक्षण व मार्गदर्शन - डॉ अमृता जयपुरियार , अध्यक्ष, रूपान्तर नाट्य मंच