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नववर्ष मनाएं हर्ष बढ़े,
पर मूल सनातन भूल न हो।
संस्कृति की गाथा गूंजे,
हर मन में इसका शूल न हो।
धर्म प्रथा की ज्योति जले,
सन्मार्ग सदा उद्घाटित हो,
नव चेतन हो, नव भाव जगे,
पर धर्म हमारा क्षीण न हो...
This composition explores the harmony between the celebration of the English New Year and the timeless values of Sanatan Dharma. It emphasizes the importance of embracing new beginnings while staying rooted in cultural and spiritual traditions, highlighting the balance between modernity and ancient wisdom.
आंग्ल नववर्ष और सनातन धर्म ::
आंग्ल नववर्ष का उत्सव हर वर्ष 1 जनवरी को मनाया जाता है। यह दिन विश्वभर में उत्साह, उमंग और नए संकल्पों के साथ मनाया जाता है। आधुनिकता और वैश्वीकरण के प्रभाव ने इसे भारत जैसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध देश में भी लोकप्रिय बना दिया है। लेकिन इस उत्सव के बीच, यह आवश्यक है कि हम अपने सनातन धर्म और उसकी परंपराओं को भी याद रखें, जो हमारी सांस्कृतिक पहचान की नींव हैं।
आंग्ल नववर्ष का महत्व
आंग्ल नववर्ष आधुनिक कैलेंडर, जिसे ग्रेगोरियन कैलेंडर कहा जाता है, के आधार पर मनाया जाता है। यह समय नई योजनाओं, लक्ष्यों और आत्ममंथन का होता है। लोग इसे उत्सव, पार्टियों और शुभकामनाओं के आदान-प्रदान के साथ मनाते हैं। भारत में भी, यह दिन युवा वर्ग में विशेष रूप से लोकप्रिय है।
सनातन धर्म का दृष्टिकोण
सनातन धर्म में नववर्ष का महत्व केवल भौतिक उपलब्धियों तक सीमित नहीं है। यह समय आध्यात्मिक जागरूकता, सच्चे संकल्पों और आत्म-उन्नति का होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है, जिसे 'विक्रम संवत' या 'हिंदू नववर्ष' कहते हैं। इस दिन प्रकृति, ऋतु परिवर्तन और सृष्टि के चक्र का उत्सव होता है।
आधुनिकता और परंपरा का संतुलन
आंग्ल नववर्ष का स्वागत करना गलत नहीं है, लेकिन अपनी जड़ों को भूलना चिंताजनक हो सकता है। सनातन धर्म हमें सिखाता है कि आधुनिकता और परंपरा को संतुलित करना चाहिए। हमें अपनी संस्कृति, भाषा, और धर्म की रक्षा करनी चाहिए, साथ ही आधुनिक जीवन के सकारात्मक पहलुओं को अपनाना चाहिए।
नववर्ष और आत्ममंथन
सनातन धर्म यह सिखाता है कि नया साल केवल बाहरी बदलाव का नहीं, बल्कि आंतरिक सुधार का समय है। यह समय है आत्ममंथन का, ताकि हम अपने भीतर के दोषों को पहचानकर उनका निवारण कर सकें। नए साल के संकल्प केवल भौतिक सफलता तक सीमित नहीं होने चाहिए, बल्कि वे आध्यात्मिक उन्नति का भी मार्ग प्रशस्त करें।
निष्कर्ष
आंग्ल नववर्ष को उत्साह और आनंद के साथ मनाना चाहिए, लेकिन सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी संस्कृति और परंपराओं को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाएं। आधुनिकता और सनातन धर्म का यह संतुलन हमें एक सशक्त और समृद्ध समाज बनाने में सहायता करेगा।
Wishing you all a very happy New Year....
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