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(गौड़ीय वैष्णव परंपरा)
जगद्गुरु श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती प्रभुपाद जी के अंतरंग पार्षदों में से एक श्रीश्रीमद्भक्तिप्रमोद पुरी गोस्वामी महराज जी की महिमा का गुणगान।
1.प्रभुपाद जी द्वारा अप्राकृतिक जगत की पत्रिकाओं तथा बृहद मृदंग (ग्रंथों) की सेवा में श्रीश्रीमद्भक्तिप्रमोद गोस्वामी महराज जी को editor नियुक्त करना !
2. श्री विग्रह श्रीश्रीराधा गोपीनाथजी की सेवा और नवद्वीप धाम निकट कालना में अनंत वासुदेव मंदिर में सेवा।
3. हरि, गुरु और वैष्णवो में संपूर्ण रूप से निर्भर (शरणागत) होकर सेवाओं को पूर्ण रूप से करने का अद्भुत चरित्र।
4.रथ यात्रा में कीर्तन के समय जब भाव में मग्न थे तो एक चोर के चोरी करने का पता चलने पर भी ध्यान न देना।
5.हरि कथा में अत्यंत रुचि व भक्तों को प्रेम पूर्वक कथा श्रवण करवाना ।
6.हरिकथा,कीर्तन एवं अन्य सेवाओं को प्रेमपूर्वक करना।
7.श्रील प्रभुपाद जी द्वारा अप्राकृतिक/चित जगत दर्शन तथा जड़ जगत की धारणा को हरि कथा के माध्यम बताना ।
8.श्रील नारायण महराज जी के एक शिष्य के धाम में पेड़ के नीचे मल मूत्र त्याग करने के पश्चात गुरु जी के स्वप्न में आकर उस पेड़ द्वारा शिक़ायत करना .।
9. वैष्णव अपराधी से कोई सम्बन्ध न रखना, तथा उनके द्वारा कोई वस्तु को स्वीकार न करना ।
10. गोविंद घोष जी का श्राद्ध वाला प्रसंग।
10.श्रील महाराज जी की जीवों के प्रति करुणा।
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