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| GOLCONDA FORT | धीरे बोलिए-धीमे बोलिए दीवारों की भी कान👂होते हैं यह कहावत सच होती है गोलकुंडा की भूलभुलैया में।@Gyanvikvlogs
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👉🏻यह किला मूलतः वारंगल के काकतीय राजवंश का था ।
👉🏻11वीं शताब्दी में काकतीय शासक प्रतापरुद्र द्वारा निर्मित
👉🏻इसे 1363 ई. में बैहमानी को सौंप दिया गया।
👉🏻1518 ई. में उनके पतन के बाद यह कुतुब शाही राजाओं (1518-1687 ई.) की राजधानी बन गया।
👉🏻इसके बाद औरंगजेब ने कुतुब शाही वंश के अंतिम शासक अबुल हसन तन्हा शान के शासनकाल के दौरान (1687 ई.) इसे मुगल साम्राज्य में मिला लिया और आसफ जाह को दक्कन प्रांत का सूबेदार नियुक्त किया।
👉🏻आसफ जाह ने 1713 ई. में निजाम-उल-मुल्क के रूप में स्वतंत्रता की घोषणा की और निजामों ने 1948 ई. तक हैदराबाद पर शासन किया।
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