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19 वीं सदी में भारत में प्राय सभी जातियों के गुरु हुआ करते थे, परंतु... गुरु जाति का कोइ अन्य जाति का गुरु नहीं था।
सभी जातियों के गुरु शैव एवं वैष्णव संप्रदाय के ब्राह्मण हुआ करते थे। ब्राह्मणों से ही निकली मारवाड़ की यह गुरु जाति भी ब्राह्मण वर्ग की जाति है एवं इस की पहचान आज शूद्र वर्ग की जातियों के गुरु के रूप में ही होती है। सन 1792 से 1831 तक 'अबे डुवाइस' एक फ्रेंच मिशिनरी यहां भारत में रहा और इन 31 वर्षों में हिंदू जातियों का उसने बहुत ही करीब से अध्ययन किया। इसके बाद उसने यह पुस्तक Hindu Manners, Customs and Ceremonies लिखी.... इस पुस्तक में 19 वीं सदी की गुरु परंपरा का वर्णन भी मिलता है।
मारवाड़ में पाई जाने वाली गुरु जाति का संबंध भी इसी परंपरा से रहा होगा,...