GURU SIYAG YOG - सिद्धयोग, ध्यान, नाद, ज्योति दर्शन का अर्थ, Meditation Experiences And Meaning

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aTUL vINOD : शिष्य

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गुरु सियाग योग में ध्यान के अनुभवों का क्या अर्थ है
कुंडलिनी जागृति के बाद कौन-कौन से अनुभव आते हैं
ध्यान में नाद का सुनाई देना और दिव्य प्रकाश और युवतियों के दर्शन का क्या अर्थ है
गुरु कृपा प्रवाह
अतुल विनोद
7223027059
• Gurudev Ramlal Siyag's...
Guru Siyag Mantra
1 Hour Mantra With Guru prarthna
• GURU SIYAG MANTRA
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सदगुरुदेव श्री सियाग के सिद्धयोग ध्यान की विधि :
1-सर्वप्रथम आरामदायक स्थिति में बैठें।
2-दो मिनट तक सद्गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग के चित्र को खुली आँखों से ध्यानपूर्वक देखे।
3-यदि आप किसी बीमारी, नशे या अन्य परेशानी से पीडत हैं, तो गुरुदेव से, उससे, मुक्ति दिलाने हेतु अन्तर्मन से करुण पुकार करें।
4-मन ही मन 10 या 15 मिनट के लिये गुरुदेव से अपनी शरण में लेने हेतु प्रार्थना करें।
5-उसके बाद आंखें बन्द करके आज्ञा चक्र (भोंहों के बीच) जह बिन्दी या तिलक लगाते हैं, वहाँ पर गुरुदेव के चित्र का स्मरण करें।
6-इस दौरान मन ही मन गुरुदेव द्वारा दिए गए मंत्र का मानसिक जाप बिना जीभ या होठ हिलाए करें।
7-ध्यान के दौरान शरीर को पूरी तरह से ढीला छोड दें, आँखें बन्द रखें, चित्र ध्यान में आये या न आये उसकी चिन्ता न करें। मन में आने वाले विचारों की चिन्ता न करते हुए मानसिक जाप करते रहें।
8-ध्यान के दौरान कम्पन, झुकने, लेटने, रोने, हंसने, तेज रोशनी या रंग दिखाई देने या अन्य कोई आसन, बंध, मुद्रा या प्राणायाम की स्थिति बन सकती है, इससे घबरायें नहीं, इन्हें रोकने का प्रयास न करें। यह मातृशक्ति कुण्डलिनी शारीरिक रोगों को ठीक करने के लिये करवाती है।
9-समय पूरा होने के बाद आप ध्यान की स्थिति से सामान्य स्थिति में आ जाएंगे।
10-योगिक क्रियायें या अनुभूतियां न होने पर भी इसे बन्द न करें। रोजाना सुबह-शाम ध्यान करने से कुछ ही दिन बाद अनुभूतियां होना प्रारम्भ हो जाएंगी।
11-ध्यान करते समय मंत्र का मानसिक जाप करें तथा जब ध्यान न कर रहे हों तब भी खाते-पीते, उठते-बैठते, नहाते धोते, पढते-लिखते, कार्यालय आते जाते, गाडी चलाते अर्थात हर समय ज्यादा से ज्यादा उस मंत्र का मानसिक जाप करें। दैनिक अभ्यास में १५-१५ मिनट का ध्यान सुबह-शाम करना चाहिये।
Sadhkon Ke anubhab
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वेबसाइट अध्यात्म विज्ञान सत्संग केंद्र
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इंग्लिश में
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गुरुदेव के वीडियो सुनने के लिए यूट्यूब चैनल
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@WOMGURU
" गुरुदेव सियाग सिद्धयोग "
गुरु-शिष्य परंपरा से
चला आ रहा वह प्राचीन योग है।
जो मनुष्य को सभी तरह के रोग शोक दुख तापों
से मुक्त कर मानव विकास की चरम अवस्था
मोक्ष प्रदान करता है ।
कलियुग में इस योग के आदि गुरु हैं-मत्स्येन्द्रनाथ जी
उनके परम शिष्य गोरखनाथ जी ने इस योग द्वारा
मानवता का जो कल्याण किया जग जाहिर है
गुरु-शिष्य परंपरा से चला आ रहा यह
प्राचीन योग ही वह योग है , जिसे
मत्स्येंद्रनाथ जी ने
" वेद रूपी कल्पतरु का अमरफल " कहा है ।
सद्गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग द्वारा
यह दुर्लभ योग संसार में पुनः प्रकट हो चुका है ।
जिसमें ,,, कि ,,,,,
विभिन्न प्रकार के आसन प्राणायाम मुद्राएँ आदि,,,,
गुरूदेव सियाग द्वारा दिये जाने वाले ,,,,
दिव्य संजीवनी मंन्त्र के जाप के साथ,,,
आज्ञा चक्र पर गुरूदेव का ध्यान करने मात्र से
बिना किसी शारीरिक बौद्धिक प्रयास के
शारीरिक आवश्यकतानुसार
रोगों व नशों के निवारणार्थ
स्वतः होने लगते हैं।
यह पूर्णतः निःशुल्क है ।
अधिक जानकारी के लिये
वेबसाईट देखें या सम्पर्क करें ।।।।
अध्यात्म विज्ञान सत्संग केन्द्र,(AV.S.K.)
चौपासनी होटल लेरिया के पास जोधपुर( राज.)
0291 2753699 / +91 9784742595
www.the-comforter.org
Email: avsk@the-comforter.org
संजीवनी मंत्र हेतु कॉल करें-07533006009
यूट्यूब चैनल -------
/ @gurudevsiyagssiddhayoga

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गुरुदेव सियाग की दिव्यवाणी
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Gurudev Siyag's Siddha Yoga - The Comforter
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Kriya Yog||क्रिया योग गुरुमन्त्र की सहायता से कैसे करें||By Gurudev Dr.Narayan Dutt Shrimali Ji 🔱
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11-8-2024,Gurudev Siyag's Sidha Yoga, #automaticyoga #kundaliniyoga #gssy #gssy_themahayoga
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