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प्रियजन,
श्री गुरु कबीर साहेब दयामेहर से वचन कर रहे हैं 'है कोई राँम नाँम बतावै बस्तु अगोचर मोहि लखावै' कि कोई है जो मुझे राम नाम का ज्ञान करवाए, मरम को समझा दे! अलख अगोचर परमात्मा के प्रत्यक्ष दर्शन करवा दे! ऊपर उपरहि बखान नहीं भाता, मन को रास नहीं आता। मरम के ज्ञान के साथ गुणगान से सुख मिलता है। बकौल गुरु साहिबन, संतजन अपनी हड़बीती बताते हैं, कोई सुनी-सुनाई बात नहीं करते।
दादू देखा दीदा, सब कोई कहत सुनिदा।
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