उत्तराखंड का हल्द्वानी शहर तो ठाकुर बाहुल्य है।। हल्द्वानी काठगोदाम mai 35% के तकरीबन ठाकुर मतदाता है।। इसके बावजूद हल्द्वानी सीट को पिछड़ा सीट घोषित करने का कोई कारण समझ नहीं आता।। पिछड़ा आबादी मुश्किल से 15% होगी हल्द्वानी मै।। 18% तो ब्राह्मण ही है।। और ऊपर से ओबीसी मै सारे बाहरी राज्यों के लोगो को डाल रखा है।। उत्तराखंड के मूल निवासियों को ओबीसी का दर्जा क्यों नहीं ??????