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हनुमानजी के ऐसे गुण जो हर परिस्थिति में जीत दिलाए
हनुमान चालीसा की शुरूआत दो दोहे से होती जिनका पहला शब्द है 'श्रीगुरु', इसमें श्री का संदर्भ सीता माता है जिन्हें हनुमान जी अपना गुरु मानते थे. हनुमान चालीसा को कवि तुलसीदास ने लिखा. यह अवधि भाषा में लिखी में लिखी गई. कवि तुलसीदास अपने अंतिम दिनों तक वाराणसी में रहे. वहां उन्हीं के नाम का एक घाट भी है, जिसे नाम दिया गया 'तुलसी घाट'. यहीं रहकर तुलसीदास ने हनुमान मंदिर भी बनाया जिसका नाम है 'संकटमोचन मंदिर'|
हनुमान चालीसा को सबसे पहले खुद भगवान हनुमान ने सुना. प्रसिद्ध कथा के अनुसार जब तुलसीदास ने रामचरितमानस बोलना समाप्त किया तब तक सभी व्यक्ति वहां से जा चुके थे लेकिन एक बूढ़ा आदमी वहीं बैठा रहा. वो आदमी और कोई नहीं बल्कि खुद भगवान हनुमान थे. इस बात से तुलसीदास बहुत प्रसन्न हुए और तब उन्होंने हनुमान के सामने उनसे जुड़ी 40 चौपाई कह डाली |
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Credit :Pixabay
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