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हर्ष पर्वत सीकर||हर्षगिरी||Harsh Parvat Sikar Rajasthan||Sandeep Mandawara Vlog
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राजस्थान राज्य के सीकर जिले में सीकर शहर से लगभग 16 किमी दूर दक्षिण में हर्ष पर्वत स्थित है जो अरावली पर्वत श्रृंखला का भाग है। यह पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक व रमणीक प्राकृतिक स्थल है। हर्ष पर्वत की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 3100 फीट है जो राजस्थान के सर्वोच्च स्थान आबू पर्वत से कुछ की कम है। इस पर्वत का नाम हर्ष एक पौराणिक घटना के कारण पड़ा। उल्लेखनीय है कि दुर्दान्त राक्षसों ने स्वर्ग से इन्द्र व अन्य देवताओं का बाहर निकाल दिया था। भगवान शिव ने इस पर्वत पर इन राक्षसों का संहार किया था। इससे देवाताओं में अपार हर्ष हुआ और उन्होंने शंकर की आराधना व स्तुति की। इस प्रकार इस पहाड़ को हर्ष पर्वत एंव भगवान शंकर को हर्षनाथ कहा जाने लगा। एक पौराणिक दन्त कथा के अनुसार हर्ष की जीणमाता का भाई माना गया हैं।
हर्ष पर्वत पर भगवान शंकर का प्राचीन व प्रसिद्ध हर्षनाथ मंदिर पूर्वाभिमुख है तथा पर्वत के उत्तरी भाग के किनारे पर समतल भू-भाग पर स्थित हैं। हर्षनाथ मंदिर से एक महत्वपूर्ण शिलालेख प्राप्त हुआ था, जो अब सीकर के राजकुमार हरदयाल सिंह राजकीय संग्रहालय, में रखा हुआ हैं।हर्षनाथ मंदिर की स्थापना संवत् 1018 में चौहान राजा सिंहराज द्वारा की गई और मंदिर पूरा करने का कार्य संवत् 1030 में उसके उत्तराधिकारी राजा विग्रहराज द्वारा किया गया। इन मंदिरों के अवशेषों पर मिला एक शिलालेख बताता है कि यहां कुल 84 मंदिर थे। यहां स्थित सभी मंदिर खंडहर अवस्था में है, कहा जाता है कि 1679 ई. में मुगल बादशाह औरंगजेब के निर्देशों पर सेनानायक खान जहान बहादुर द्वारा जानबुझकर इस क्षेत्र के मंदिरों को नष्ट व ध्वस्त किया गया था।
हर्षनाथ मंदिर की दीवार व छतों पर की गई चित्रकारी दर्शनीय हैं।
मुख्य शिव मंदिर की दक्षिण दिशा में भैरवनाथ का मंदिर हैं, मंदिर के मध्य गुफा जैसा तलघर भी है जिसमें काला भैंरव तथा गोरा भैरव की दो प्रतिमाएं हैं। नवरात्र और हर सोमवार व अवकाश के दिन यहां धार्मिक श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है, मानो मेला लगा हो। इसके अलावा पूरे सालभर जात-जडूले वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता हैं।
यहां मांसाहारी जरख, भडिया, गीदड, लोमड़ी, सर्प, नेवला, बीजू आदि मिलते है। शाकाहारी वन्य जीवों में रोजड़ा, सेही, लंगूर, काले मुंह के बन्दर आदि यहां दिखते है। पक्षियां में तीतर, बटेर, मोर, कबूतर, कोयल, चिडिया, मैना, तोता, वाईल्ड बेबलर, बगुला, बतख आदि पाये जाते हैं। हर्ष की पहाड़ी पर जिला पुलिस सीकर के वीएचएफ संचार का रिपिटर केन्द्र सन् 1971 में स्थापित किया गया था जो 24 घण्टे 365 दिन कार्यरत रहता है। यहां पर पुलिस कर्मिया की तैनाती भी रहती हैं। उक्त केन्द्र द्वारा जिला पुलिस सीकर का जयपुर, अजमेर, नागौर, चुरू, झुन्झुनू व अलवर जिलों से निरंतर व सीधा सम्पर्क रहता है,
हर्ष पर्वत पर विदेशी कम्पनी इनरकोन द्वारा पवन चक्कियां लगाई गयी है जिनके सैकड़ो फीट पंख वायु वेग से घूमते है तथा विद्युत का उत्पादन करते हैं। दूर से इन टावरो के पंखे घूमते बडे लुभावना लगते है। मैसर्स इनरकोन इंडिया लिमिटेड ने वर्ष 2004 में 7.2 मेगावाट पवन विद्युत परियोजना प्रारम्भ की। यहां पवन को ऊर्जा मं परिवर्तित करने वाले विशालकाय टावर लगे हुए हैं। यहां उत्पन्न होने वाली विद्युत ऊर्जा फिलहाल 132 के.वी.जी.एस.खूड को आपूर्ति की जाती हैं, जिसे विद्युत निगम आवश्यकतानुसार वितरित करता हैं।
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