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क्या पेट्रोलियम पर दौड़ने वाली हमारी अर्थव्यवस्था अक्षय ऊर्जा स्रोतों की ओर रुख कर सकती है? वैज्ञानिक, नेता और उद्योग के दिग्गज बताते हैं कि बायो बेस्ड इकोनॉमी एक टिकाऊ विकल्प है. क्या है इन उम्मीदों के पीछे की सच्चाई?
बायो बेस्ड इकोनॉमी जलवायु परिवर्तन, प्रजातियां विलुप्त होने, कीटनाशकों के अवशेषों और मिट्टी के बंजर होने जैसी दुनिया की सबसे बड़ी चुनौतियों से निपटने का वादा करती है. बायो इकोनॉमी के भविष्य में पौधे, फफूंद और कीड़े पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कोयले और पेट्रोलियम उत्पादों की जगह लेते दिखते हैं. वहीं सूक्ष्मजीवों का इस्तेमाल रसायन बनाने में होने की उम्मीद है.
लेकिन ऊर्जा के इन अक्षय स्रोतों के लिए भी उत्पादन प्रक्रिया की जरूरत होती है, जिससे नए खतरों की आशंका बनती है. इसमें दोहन, पहले से चरमराते प्राकृतिक ईकोसिस्टम की तबाही और मुनाफे के लिए सारी हदें पार करके प्रकृति का दोहन शामिल है. इस डॉक्युमेंट्री में हम बायोमास के उत्पादन से लेकर इसकी प्रॉसेसिंग और अंतिम उत्पाद तैयार होने तक पूरी प्रक्रिया समझेंगे.
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