आर्य जी ने जानकारी बिल्कुल ठीक दी है जिसमें उन्होने यह भी कहा है कि हमारी नई पीढ़ी मेहनत नही करना चाहती जब तक किसान फिर से मेहनतकश नही होगा तब तक हालात बिगड़ते रहेंगे हर इंसान कि इच्छा हो गई है कि हम अमीर बने राष्ट्रपती जैसी कोठी हो वैसी सुविधाजनक जिन्दगी हो मेहनत करें नही क्या पांचो ऊंगली बराबर हो सकती हैं ? कभी नहीं । राजनीतिक लोगों ने वोट के चक्कर में इतनी मुफ्त योजनाए चालू कर रहें तो कामकाज क्यों करेगें ब्रिटेन जैसे देशों में इसी कारण दूसरे देशों के श्रमिक काम कर रहें हैं और अच्छी कमाई कर रहें हैं परन्तु उनको भी वहां हीन भावना से ही देखा जाता है हमारे देश की स्थिती भयावक है समझ से परे है
@aryangaming49526 күн бұрын
Best comment ❤ यही सत्य है भाई राजनीति के चक्कर में मुफ्त की योजनाओं ने किसान मजदूर सब कुछ खत्म कर दिया है थोड़ी मात्रा में खरपतवार होने पर भी कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है जो की घातक है । सरकार और किसान गहन चिंतन के साथ तुरंत बदलाव की जरूरत है अन्यथा बहुत देर हो जाएगी ।
@mukeshkumarbeniwal73746 күн бұрын
जय पाल आर्य जी एक सवाल है हरित क्रांति से पहले देश में अनाज की कमी क्यों थी उस समय तो पापुलेशन भी देश की कम थी और जमीन ज्यादा थी ।
@AgniDevArya3 күн бұрын
गुरु जी श्री जयपाल आर्य का जीवन पुरुषार्थ से पूर्ण, अहंकार रहित, राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत है। कर्मपाल जी आपका भी बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने गुरु जी के माध्यम से लोगों को जागरूक किया।
@m.kchannel17556 күн бұрын
सरकार पशुपालकों को प्रोत्साहन देना चाहिए ताकि गोबर की खाद तैयार हो दुध तो बिकता है 35 रुपये किलो पशु कयो रखेगा किसान
@OMPRAKASHDABAS-e4x5 күн бұрын
Good episode, fully agree with Prof. Arya ji, doing organic kheti for the last 25 yrs and producing quality and same quantity of crop production and no loss... Area is 12.5 acres of land.. OP Dabas village jat khore delhi suba
@anupsingh81635 күн бұрын
Good concept dr.karmpal ji
@SatishDaswal-k3j6 күн бұрын
Jaipal ji...right bol rhe hen... Ye aaj se 20 saal phle bhi yhi khe rhe the... Shi baat
@ramesharya42136 күн бұрын
भाई कर्मपाल आपने अच्छा वीडियो बनाया है। किसानों की आंखें खोलने वाला, लेकिन किसान भाई आराम प्रिय हो गए हैं। अब किसान भाई मेहनत नहीं करना चाहते। खेतों में कौन कुरड़ी का खाद डालता है। किसान अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मार रहे हैं। रमेशआर्य जींद (भारतीय वायुसेना)
@anilchoudhary75096 күн бұрын
जो किसान एकदम से डीएपी यूरिया बंद नहीं कर सकते ज्यादा जमीन है तो एक एकड़ दो एकड़ साल दर साल देशी खाद डालकर सारी जमीन को जहर मुकत कर सकता है
@m.kchannel17556 күн бұрын
खरपतवारों के लिए किसान मजबूर है केमिकल करना पड़ता है
@legendisback73556 күн бұрын
किसान ये काम करने को तैयार है पर सरकार को किसान की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उन्हें आर्थिक स्थिति से मजबूत करने का काम करें तो वह बिन बोखलाहट के जैविक खेती-बाड़ी के लिए और मन लगाकर खेती करेगा और सारी चिंता इन पैसे वालों को सुध खाणे की है वो भी उनकी दुर करेगा ।।
@lokeshsheoran62417 күн бұрын
Good information sir
@Sattafixer76 күн бұрын
Aam aadmi ko kisan ka sath dena chahiye
@anilchoudhary75096 күн бұрын
केंचुआ पद्धति बहुत फायदेमंद है
@mohankaushik33925 күн бұрын
गुरुजी जयपाल जी परम विद्वान व्यक्ति है।
@vedpalgill-yc7wp6 күн бұрын
Very good sir
@gurtejsingh1080Күн бұрын
Right
@OrganicCompost6 күн бұрын
Great research 👏
@songsworld95946 күн бұрын
Sahi baat
@subashdudhyan47676 күн бұрын
Great
@JANMAT96 күн бұрын
Not soil , these fertilizers,weedicides, pesticides etc. have spoiled water
@sahabsingh92746 күн бұрын
आचार्य जयपाल आर्य जी
@amardeep4925 күн бұрын
Air pollution increased, oxygen reduced in first layer that is the main reason no one is talking
@pardeepahlawat4616 күн бұрын
Bhai Ji Namaskar
@sahabsingh92746 күн бұрын
Jaipal ji
@manojmor59446 күн бұрын
Ye Lab kaha par hai arya ji ki
@manojmor59446 күн бұрын
Karmpal bhai ye Lab kaha par jaha pro. Jaipal arya ji hai plz tell
@jagbirsingh-um6mn6 күн бұрын
आधी बात है
@vikashlohan69336 күн бұрын
सारी बात तो सच नही है
@JaipalDeswal-ic6zj6 күн бұрын
भाई कौनसी है
@amardeep4925 күн бұрын
Sir 🙏🙏🙏🙏🙏 don’t make fool us. Earth layer 8-10 inch possibly trace chemical but deeper layer is still available in natural form, to banjur kese hogyii???????
@JaipalDeswal-ic6zj4 күн бұрын
8-10 इंच से निचे की भूमि में पेड़ पौधों की जड़ों के साथ केंचुआ बड़े किट पतंगों चूहे नेवले एवं अन्य प्रजातियों के जीव ही पहुंच सकते हैं। खेत की मेंदों पर पेड़ रहे नहीं काट दिए गए,नये पौधे आग में जल जाते हैं,जड़ी बूटियां के ( (खरपतवार )रूपी पौधों को राउंडअप एवं अन्य हर्बी साइड सर्बी साइडस द्वारा नष्ट किया गया है,चाय पत्ती सल्फास, फॉसजेने दवाइयां ने भूमि गत जीव जंतुओं को भी खत्म कर दिया है। बहुत सारे जीव जंतुओं को मांसाहारी होने मार दिया। भूमि की जुताई रोटावेटर से हो रही है। उसने भूमि पर 8 इंच से ऊपर ही एक परत बना दिया है। इस चिकनी परत के कारण उपर नीचे का पानी और हवा तथा अन्य पदार्थों का आवागमन रुक गया। खेतों में पशु पक्षियों नहीं रहें हैं। खेतों में पशुओं का चरना फिरना, गोबर मूत्र इत्यादि के न होने से भी लाभदायक कीट पतंग समाप्त हो गये है। हल और हेरो की जुताई कम होने से भूमि के नीचे के पोषक तत्व ऊपर नहीं आ रहे। जमीन में छोटी छोटी कंकरों का जाल बन गया। यही भूमि में कालर पैदा करता है । अधिक रसायनों के प्रयोग से भूमि क्षारीय हो गयी। कई जगह लवणीय होगी है। खत्म करने के लिए अन्य रसायनों का प्रयोग किया जा रहा है। इस प्रकार एक समस्या/बिमारी के जगह अनेकों समस्या उत्पन्न हो रही है। प्राकृतिक विधियों से भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है। जैविक तंत्र का अहम योगदान है। फिर विविध, फसलीकरण, पशुपालन नहरी पानी,हल की जुताई इत्यादि लाभदायक है।
@JaipalDeswal-ic6zj4 күн бұрын
भूमि की उर्वरक शक्ति खत्म होने के कारण अन्न उत्पन्न होना बंद हो जाए उसी को बांझ कहते हैं। अंधाधुंध रसायनों दवाइयां के प्रयोग से भूमि की ऊर्वरा शक्ति बढ़ाने वाले जीव जंतु नष्ट हो गए हैं। भूमि की रोटावेटर की जुताई से 8-10 इंच की गहराई के नीचे के पोषक तत्व ऊपर नहीं आ सकते। रोटावेटर एक परत बना देता है। जो हवा पानी पानी की आवर्जन को रोकता है। प्राकृतिक विधि से भूमि के नीचे के पोषक तत्व पेड़ पौधों एवं जड़ी बूटियां के पौधों से ही भूमि की उर्वरक शक्ति बढ़ते हैं। औषधि पौधों ( खरपतवार मानकर) खरपतवार नाशक को राउंडअप एवं टु4D अन्य दवाइयां से नष्ट कर दिया है। पक्षी लगभग समाप्त हो गये है। खेतों में बिचरना लगभग समाप्त हो गया है। भूमि पर पशुओं के गोबर एवं मूत्र में गोबरेला किट एवं अन्य पतंगें भूमि को 8 से 12 इंच तक अन्दर घुस कर खाद में परिवर्तित मिट्टी में मिलाकर करने से ऊर्वरा शक्ति बढ़ती है। लेकिन वह सब नष्ट कर दिये गए हैं। खेतों की में मेढों पर पेड़ रहे नहीं है। मिश्रित खेती बंद हो गई है। द्ववी बीज पत्री दाल दलहन का बोना लगभग बंद हो गया है। हेरो कल्टीवेटर व हल की जुताई नहीं होने से भूमि की परत नहीं। ट्यूबेल के पानी से भूमि में रेह और कालर की रचना होती है। साइनस के प्रयोग से भूमि क्षारीय हो गयी है। पशुपालन रहा नहीं, गोबर के खाद का प्रयोग नहीं हो रहा, फसल अवशेष जलाया जा रहे हैं। उसके साथ छोटे पेड़ पौधे भी भस्म किया जा रहा है। भूमि में उर्वरा शक्ति ही नहीं होगी तो वह क्या होगी? सब कुछ तो प्रकृति के विपरीत चल रहा है।
@pardeepahlawat4616 күн бұрын
Bhai no da da pls
@mohankaushik33925 күн бұрын
किनका नंबर चाहिए
@pardeepahlawat4615 күн бұрын
Bhai Ji ram ram master Ji ka no da do pls
@manojlohanmistri78856 күн бұрын
Karmpal ji Aag Lagane se bhi Jameen ko Potash ki purti hoti hai
@ManjeetSingh-rr2zg6 күн бұрын
नमस्ते जी हम व हमारी टीम के काफी साथी पिछले 7-8साल से जहरमुकत खेती कर रहे हैँ जी लेकिन उतपादन अभी भी रासायनिक खेती से कम है जी.हमे जयपाल आर्य जी का नंबर भैज सकते हैँ जी.नंबर इसलिए चाहिए कि हमने अपने नजदीक में अपने खेत की मिटटी पानी जांच काफी बार करवाई है लेकिन रिजल्ट उम्मीद के अनुरूप नहीं हैँ जी.खानापूर्ति जयादा होती है जी
@mohankaushik33925 күн бұрын
नरवाना km कॉलेज में अपने सैंपल भिजवा दीजिए।
@kakroddairyandfarming16355 күн бұрын
Mujhe bhi krvani hai ji kyi baar karvyi result acha nhi mila @@mohankaushik3392
@kakroddairyandfarming16355 күн бұрын
@@mohankaushik3392mujhe bhi paani or mitti check krvani haai kyi jgh krvayi result nhi mila
@DurgaramJat-zi9mh6 күн бұрын
Sirf Haryana Punjab mahine mere ko lagta hai pura Bharat ke andar jameen ki urea DP wapas aane se jameen ka utpadan jameen band hone lagegi