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इस वीडियो में डॉ. दिविक रमेश की "हवा ने चाँटा मारा" बाल कहानी का पाठ डॉ. मंजु रुस्तगी द्वारा किया गया है। डॉ. दिविक रमेश हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि, आलोचक और प्रमुख बाल साहित्यकार हैं। Hindi Audio Story Podcast @DrMullaAdamAli
कहानी के बारे में कुछ मत;
शिवदयाल जी का मत है- " जी आपकी कहानी बाल कहानी के प्रचलित ढर्रे को तोड़ती है, और रस भंग भी नहीं होता. आपका मूल्यवान सहयोग मिलता रहे.
सादर.."
एक और महत्वपूर्ण मत- श्री भगवती प्रसाद गौतम जी का-
"यह केवल बाल कहानी नहीं, वंडरफुल इनोवेशन है, नवाचार है शब्दों के माध्यम से ।
भाषा भी सहज, सरल और प्रवाहमान....
बधाई हो आदरणीय बंधुवर!"
डॉ भैरूँलाल गर्ग जी का बहुत ही महत्वपूर्ण मत-
"वाह, डाॅ. साहब! बहुत ही अलग हटकर कहानी है यह तो। सच मैं बाल मनोविज्ञान आधारित कहानियाँ हमारे बाल पाठकों को कम ही पढ़ने को मिलती हैं। कारण स्पष्ट है कि ऐसी कहानियाँ कम ही लिखी जाती हैं।
इस कहानी की सबसे बड़ी विशेषता जो मुझे लगी, वह यह है कि पात्र के नाम पर एक ही पात्र है। दूसरा पात्र हवा को कह सकते हैं, लेकिन जब उसकी भूमिका भी प्रधान और एकमात्र पात्र अर्श को ही निभानी पड़ गई तो अब क्या कहा जाए? इसका मतलब तो कहानी में एक ही पात्र है, लेकिन नहीं, दूसरा पात्र हवा है। हवा नहीं होती तो यह कहानी बनती ही कैसे? हवा ने अर्श को चाँटा मारा और कहानी चल पड़ी।
कहानी बनती कैसे है? यह आपने भलीभाँति बता दिया है। हमारे अधिकतर लेखक बंधु खोज - खोज कर थक जाते हैं, लेकिन कहानी के लिए उन्हें कोई अच्छा - कथानक नहीं मिलता। यहाँ आपने स्पष्ट कर दिया है कि कथानक तो अनंत हैं और वे आपके आस - पास ही हैं, बस आवश्यकता उस कौशल की है जो कि उन्हें कहानी बना सके।
यह कहानी विज्ञान आधारित है तो मनोविज्ञान आधारित भी है।
कई बार होता यह है कि दोषी कोई और होता है और आरोप किसी और पर लग जाता है। कई बार नासमझी के शिकार हो जाने के कारण इस आरोपी को दंड भी भोगना पड़ सकता है।
यथार्थ में कहानी का प्रयोजन अथवा उद्देश्य भी यही रहा कि इस विडंबना से पाठकों को परिचित कराया जाए। अर्श तो हवा को ही दोषी मान रहा है कि उसी ने उसके गाल पर चाँटा मारा है। लेकिन हवा भी तो दोषी नहीं है, वह इस आरोप को कैसे स्वीकार कर ले? जब हवा की गति के आधार का पता चलता है तो अर्श वास्तविकता से परिचित हो, यह मान लेता है कि हवा तो निर्दोष है और वह उसे अपनी दोस्त बना लेता है।
आपने इस कहानी के ताने - बाने को इस तरह बुना है कि यह कहानी कल्पना प्रसूत होते हुए भी एकदम यथार्थ के धरातल पर खड़ी है। यह आपके शिल्प का ही कमाल है कि यह कहानी कहीं से भी काल्पनिक नहीं लगती। आपने 'डबल रोल' के माध्यम से भी इसे यथार्थ परक बनाए रखने का सफल प्रयास किया है।
इस कहानी में आपने मनोरंजन और संदेश का जो समावेश किया है, वह तो बेजोड़ है।
इस विस्तृत प्रतिक्रिया के बाद भी मुझे लगता है कि इस कहानी पर और भी लिखे जाने की गुंजाइश है।
तो सुनिए कहानी हवा ने चाँटा मारा डॉ. मंजु रुस्तगी जी के स्वर में। Hindi Children's Audio Story Podcast Hawa Ne Chanta Mara by Divik Ramesh
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