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Divine unveiled Satguru Jeetu Maa
जैसे हर खेल के नियम होते हैं, उसी तरह जब कोई रूप धारण होता है तो वह भी एक खेल ही होता है और उस रूप के जीवन के भी नियम होते हैं।
उसी तरह सूक्ष्म से सूक्ष्म रूप के भी नियम होते हैं।
स्वयं की यात्रा में अंतर की अवस्था बदलने पर तुम्हारे नियम भी बदलते हैं और एक दिन स्वयं में आने पर तुम हर नियम से परे हो जाते हो।
यह सारे नियम अटल हैं और तुम इन्हें अपनी मर्ज़ी से नहीं बदल सकते।
यही मालिक का हुकम कहलाता है।
_ हजूर अप्पा_
The epitome of Love