Jai Jinshasan Jai Mahavir Jai Guru Anand Jai Guru Pravin Jai Guru Tirthesh🙏🏼🙏🏼🙏🏼
@narendrapipada7994 күн бұрын
Mathen Vandami Gurudev
@RajnishOswal4 күн бұрын
🙏🙏🙏
@chandrakalajain194314 сағат бұрын
मत्थेण वंदामि म.सा.
@naginajain37154 күн бұрын
🙏🏻🙏🏻🙏🏻✨
@navarmediaprakashkocheta83534 күн бұрын
पुज्य गुरुदेव आज और कल दोपहर तक लासुर स्टेशन जैन स्थानक मे विराजमान रहेगै
@drvaishalibafna310621 сағат бұрын
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
@sushilazambad2904 күн бұрын
🙏🙏
@sushilazambad2904 күн бұрын
गौतम zambad 🙏🙏🙏
@PARASMALBOTHARA4 күн бұрын
आवाज नही हे
@swethadarla70334 күн бұрын
Aavaaz nahi hai
@sureshanim87794 күн бұрын
उपाध्याय प्रवर से जिज्ञासा: आप ने फ़रमाया कि महावीर स्वामी के हम अनुयायी सुरक्षा और सुविधा का गौण करें। फिर कोरोना काल में आप श्री ने शरीर की सुरक्षा के लिए मास्क और लंबे समय तक दुरी क्यों रखी थी? कथनी करनी में फर्क क्यों?
@RishiPraveenOfficialКүн бұрын
Jai Jinendra. This is the reply to your question by Pujya Gurudev Shri : सुरक्षा और सुविधा को गौण करना विवेकपूर्ण निर्णय होता है। सुरक्षा की एक मानसिकता यह भी है कि व्यक्ति किसी भी प्रकार का खतरा मोल लेने से बचता है, जिससे वह नकारात्मक, रक्षात्मक और निष्क्रिय हो जाता है। यह सोच किसी भी प्रकार का कार्य करने से रोकती है। मास्क लगाना और दूरी बनाए रखना विवेकपूर्ण हैं। हालाँकि, सुरक्षा और सुविधा से दूरी बनाए रखने का अर्थ यह नहीं है कि हम आग में हाथ डालें या पहाड़ी से कूद जाएँ। अगर कोई ऐसा अर्थ निकालता है, तो वह अविवेकपूर्ण सोच है। परमात्मा ने विवेक को धर्म बताया है। इसका अर्थ है कि नकारात्मक भावनाओं से भयभीत होकर सुरक्षा और सुविधा का सहारा न लें। इसके बजाय, विवेकपूर्ण और सजग जीवन जीना प्रभु का मार्ग है। कथनी और करनी में अंतर तब आता है, जब हम सुरक्षा और सुविधा के नाम पर अतिरिक्त उपाय करते हैं। मैंने भी कठिन समय में सजगता से जीवन जीते हुए, दूरी बनाए रखते हुए विहार एवं कार्यक्रम किए और लोगों से संपर्क रखा। सुरक्षा को तवज्जो न देना और सुरक्षा का विवेकपूर्ण उपयोग करना, इसमें अंतर हैं। मैं पुनः बोल रहा हूँ कि सुरक्षा की परवाह करना यह नहीं है कि आप आग में हाथ डालें या जहर पी लें। सुरक्षा का सही अर्थ है - विवेकपूर्ण और सजग जीवन जीना।