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नाम से ही लग रहा था कोई चन्टू-बंटू होगा, ज़रा सी हुल देंगे तो सकपका जाएगा। प्लैन के मुताबिक आई, मामू और अजगर ने बब्लू को फ़ोन किया। हैलो एक बेहद नाज़ुक सी आवाज़ थी वो, जैसे कोई कम उम्र लड़का, बिल्कुल शरीफाना अंदाज़ में बोला जी कौन। अब तो मामू और अजगर अली और शेर हो गए। बारी - बारी से दोनों आवाज़ भारी करके उसे डराने - धमकाने लगे। उसे सुबह 11 बजे पुराने डाकखाने के पास मिलने को भी कहा।
आगे क्या हुआ जानने के लिए सुनिए ये कहानी...
बात बेबात पे अपनी ही बात कहता है
मेरे अंदर मेरा छोटा सा शहर रहता है
दुनिया की मसरूफियत से दूर एक दुनिया ऐसी भी है, जिसमें कहानियाँ रहती हैं...कहानियाँ, जिनमें रिश्ते हैं, उलझनें हैं, प्यार है, मिलना है, बिछड़ना है...कहानियाँ जिनमें आप ख़ुद हैं। मेरे साथ चलिए कहानियों के ऐसे ही ख़ूबसूरत सफ़र पर
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