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@shivambathiya25675 ай бұрын
ॐ नमः शिवाय। हर हर महादेव।
@shivambathiya25675 ай бұрын
ॐ नमः शिवाय। हर हर महादेव।
@SriKrishn98385 ай бұрын
Bhai kuch log radha ji ko kaalpnik batate hai kripya ispr ek vdo banaiye
@prembhakti55055 ай бұрын
आप कोशिश तो कर रहे हो लेकिन अध्यात्म ज्ञान का सही सार नहीं जानते और बिना तत्वदर्शी संत की शरण ग्रहण किए बिना अध्यात्म ज्ञान को सही से प्राणी नहीं समझ सकता कहते हैं गुरु बिन काहू ना पाया ज्ञाना ज्यों थोथा भूस छड़े मूढ़ किसाना गुर बिन वेद पढ़े जो प्राणी समझे ना सार रहे अज्ञानी इसलिए पहले तत्वदर्शी संत की खोज करो उनसे ज्ञान समझो ज्ञान गंगा किताब पढ़िए
@riteshburnwal59915 ай бұрын
Sadashiv is the Parambrahma per Controversial theories and exposed Panchanan Sadashiv do pramukhswaroop secret God Maheshwar and rudra the destroyer ki uttpati and Sadashiv Ke Panchamukho ka arth kya hai Iss baare mein next video per explanation kariye please yaar request hai yaar please banao kafi time pehle bhi bola tha please banao 🔱🕉🚩🙏🏼 Har Har Mahadev Shiv Shiv 🙏🏼🚩🕉🔱
@@mangulubisoyi8769 sab prachaar ka khel hai munna!! Bhagvadgeeta vaishnav granth hai isliye uska prachaar bhi dharalle se hua, bhale hi kisi ke palle na pada ho. Fir devi geeta to sir ke upar se hi chali jayegi, teevra darshanik buddhi wala hi samajh sakta hai gita ka gyaan!!😏😏
@AYUSHGUPTA-ds8fl5 ай бұрын
अदभुत ह आपका ज्ञान ओर प्रतिभा । मुझे विश्वास है आप कोई महान आत्मा है रघुनाथ जी की अनन्त कृपा आप पर सदा बनी रहे जय श्री राम
@HyperQuest5 ай бұрын
जय श्री राम आयुष जी ❤️🚩
@naveenprakash905 ай бұрын
हमारे ग्रंथ में ब्रम्हांड और भौतिक विज्ञान का ज्ञान दिया गया है जिसे हम अब तकनीक के माध्यम से प्रमाणित करने की क्रिया में अग्रसर है । श्री हरि।।।
@True-speaker975 ай бұрын
हम तो पहले से ही कहते है की श्रीकृष्ण (विष्णु) , शिव , मां भवानी सब एक ही है..!! जब शिव ही शक्ति है.. जैसे आधे शिव आधी शक्ति .. और वही पर शिव हरिहर रूप भी दिखाते है.. आधे शिव और आधे विष्णु.. गीता में स्वयं श्रीकृष्ण भी कहते है की भक्तो में मैं शिव हूं.. तो कुल मिलाकर ये सभी एक ही है.. उनके रूप, कलाए, रस में अलग अलग है.. जय श्रीराम 🙏🚩
@underworldevolution43214 ай бұрын
Shiv ji ke avtar adishankracharya ji ne praboadh sudhakar verse 242 mein likha bhagwan shree Krishna ne bramhaji ko anat universes ke anant bramha Vishnu Mahesh Ganesh etc dikhaya shiv ji Jin bhagwan shree Krishna ke charno ko apne mastak pe dharan kar te hain adishankracharya ji ne Govindasthkam mein likha bhagwan shree Krishna ka koi Swami ishwar nahi hain wo param swatantra hain samast karno ke param Karan hain sabhi vastu ke strotra hain jinka sukh sarvocch hain jo sarvocch Prabhu hain
@abhishekthakur26294 ай бұрын
सभी वेद पुराणों का सार है.. एक ही पराशक्ति है जिसे जिस रूप में पुकारो वो उसी रूप में आपको मिल जाती है और सभी एक ही मार्ग को प्रशस्त करती है... सभी सर्वोपरि है क्योंकि सभी एक ही है... सभी पुराण हर एक संबंधित रूप को सर्वोपरि बताते है। अगर कोई एक ही सर्वोपरि होता तो महर्षि वेदव्यास किसी एक रूप को ही सर्वोपरि रख कर एक ही पुराण लिखते। महर्षि वेदव्यास ने 18 पुराण लिखे, संबंधित रूप को सर्वोपरि बताया चाहे वो भवानी हो कृष्ण हो शिव हो, इसका अर्थ है कि वेदव्यास के अनुसार यही सार है कि सभी सर्वोपरि है क्योंकि सभी एक ही पराशक्ति के स्वरूप है जो कि सभी जड़ चेतन में विद्यमान है।।
@सत्यसनातन3694 ай бұрын
देवी पुराण मे देवी दुर्गा स्वयं देवताओं से कहती है मेरा पुरुष रूप ही गोविंद हैँ 😎 ब्रह्माण्ड पुराण मे कहा गया है ललिता त्रिपुरा सुंदरी जो ईश्वरो की ईश्वरी हैँ वही गोलोक मे पुरुष रूप मे गोविन्द हैँ गोलोकी कृष्ण ही मनीद्वीप मे शक्ति रूप मे ललिता त्रिपुर सुंदरी हैँ 🙏🏻 ब्रह्माण्ड पुराण मे यह भी वर्णित है काली ने भी शिव की इच्छा पर श्रीकृष्ण का अवतार धारण किया था उस कल्प मे विष्णु बड़े भाई बलराम बने थे और शिव ने राधा का रूप लिया था और शिव की अस्ट मूर्तियों ने श्रीकृष्ण की आठ रानीयों का अवतार लिया था उस कल्प मे महाभारत युद्ध मे अर्जुन को काली रूप मे दर्शन दिया श्रीकृष्ण ने और अंत मे शेरो से जुड़े हुए रथ पर काली रूप मे कैलाश को गयी 😎इसीलिए काली और कृष्ण दोनों का बीज मंत्र एक ही है क्लीं 😎बंगाल मे काली की श्रीकृष्ण रूप मे भी पूजा होती है 😎
@think_positive1643 ай бұрын
@@सत्यसनातन369 धन्यवाद आपने बहुत अच्छा ज्ञान दिया 🙏🏻
@dharmendrasoni28602 ай бұрын
@@underworldevolution4321सम्पूर्ण जगत में शिव और शक्ति ही व्याप्त हैं।बाकी सब भ्रम है।शिव परम चेतना हैं और शक्ति (प्रकृति) उस परम चेतना के लिए व्यक्त होने का माध्यम।इन दो अस्तित्व के अतिरिक्त और किसी तीसरे का कोई अस्तित्व नहीं है। The whole matter and energy including dark matter dark energy is prakrati and prakrati follows Shiva's (purush) desire. This thought is scientific and reasonable.
@Sanatan_Avgat5 ай бұрын
घर वापसी अभियान जारी रहे, ||🚩🚩|| सभी हिंदू 🕉एकता बनाये रखे जल्द ही आवश्यकता पड़ने वाली है _______________ हर हर महादेव 🔱🙏🕉🚩
@lakshmi_sanaatani90045 ай бұрын
हर हर महादेव 🙏
@joshmachine25055 ай бұрын
Increase our population.
@iloveme12395 ай бұрын
@@joshmachine2505saath hi baccho ko school ke bharose mat rakho veero ki gathao ko ghar me hi sunao jese chatrapati shivaji maharaj ki mataji ne sunaya 100 bewkuf se 1 veer samajhdar zyada acha hai nhi to convert ho jayenge to matlab nhi rahega population badhane ka
@harekrishna22915 ай бұрын
बीजी. 7.14 दैवी ह्येषा गुणमयी मम माया दुरत्यया। मामेव ये प्रपद्यन्ते मायामेतां तरन्ति ते ॥ 14॥ दैवी ह्य एषा गुणमयी मम मया दुरत्यया मम एव ये प्रपद्यन्ते मयाम एतम् तरन्ति ते समानार्थी शब्द दैवी - दिव्य; हाय - अवश्य; एषा - यह; गुण - मयि - भौतिक प्रकृति के तीन गुणों से युक्त; माँ - मेरा; माया - ऊर्जा; दुरत्याया - बहुत कठिन है; माम् - मेरे लिए; एव - अवश्य; तु - वे जो; प्रपद्यन्ते - समर्पण; मायाम् एताम् - यह मायावी ऊर्जा; तरन्ति - पराजित; ते - वे. अनुवाद भौतिक प्रकृति के तीन गुणों से युक्त मेरी इस दिव्य ऊर्जा पर काबू पाना कठिन है। लेकिन जिन्होंने मेरे प्रति समर्पण कर दिया है वे आसानी से इससे आगे निकल सकते हैं। मुराद भगवान के परम व्यक्तित्व में असंख्य ऊर्जाएँ हैं, और ये सभी ऊर्जाएँ दिव्य हैं। यद्यपि जीव उनकी ऊर्जा का हिस्सा हैं और इसलिए दिव्य हैं, भौतिक ऊर्जा के संपर्क के कारण उनकी मूल श्रेष्ठ शक्ति ढकी हुई है। इस प्रकार भौतिक ऊर्जा से आच्छादित होने के कारण, कोई संभवतः इसके प्रभाव से उबर नहीं सकता है। जैसा कि पहले कहा गया है, भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकृतियाँ, भगवान के सर्वोच्च व्यक्तित्व से उत्पन्न होने के कारण, शाश्वत हैं। जीव भगवान की शाश्वत श्रेष्ठ प्रकृति से संबंधित हैं, लेकिन अपरा प्रकृति, पदार्थ से दूषित होने के कारण, उनकी माया भी शाश्वत है। इसलिए बद्ध आत्मा को नित्य-बद्ध, या शाश्वत रूप से बद्ध कहा जाता है। भौतिक इतिहास में कोई भी किसी निश्चित तिथि पर उसके बद्ध होने के इतिहास का पता नहीं लगा सकता है। नतीजतन, भौतिक प्रकृति के चंगुल से उसकी रिहाई बहुत मुश्किल है, भले ही वह भौतिक प्रकृति एक निम्न ऊर्जा है, क्योंकि भौतिक ऊर्जा अंततः सर्वोच्च इच्छा द्वारा संचालित होती है, जिसे जीवित इकाई दूर नहीं कर सकती है। निम्न, भौतिक प्रकृति को उसके दिव्य संबंध और दिव्य इच्छा द्वारा गति के कारण दिव्य प्रकृति के रूप में परिभाषित किया गया है। दैवीय इच्छा से संचालित होने के कारण, भौतिक प्रकृति, यद्यपि निम्नतर है, ब्रह्मांडीय अभिव्यक्ति के निर्माण और विनाश में बहुत अद्भुत कार्य करती है। वेद इसकी पुष्टि इस प्रकार करते हैं: मायां तु प्रकृतिं विद्यां मायिनं तु महेश्वरम्। "यद्यपि माया [भ्रम] मिथ्या या अस्थायी है, माया की पृष्ठभूमि सर्वोच्च जादूगर, भगवान का व्यक्तित्व है, जो महेश्वर, सर्वोच्च नियंत्रक है।" ( श्वेताश्वतर उपनिषद 4.10) गुण का दूसरा अर्थ रस्सी है; यह समझना चाहिए कि बद्ध आत्मा माया की रस्सियों से कसकर बंधी हुई है। हाथों और पैरों से बंधा हुआ व्यक्ति खुद को मुक्त नहीं कर सकता - उसे ऐसे व्यक्ति द्वारा मदद की जानी चाहिए जो बंधन से मुक्त है। क्योंकि बंधा हुआ बंधा हुआ व्यक्ति की सहायता नहीं कर सकता, इसलिए बचाने वाले को मुक्त करना होगा। इसलिए, केवल भगवान कृष्ण, या उनके प्रामाणिक प्रतिनिधि आध्यात्मिक गुरु, बद्ध आत्मा को मुक्त कर सकते हैं। ऐसी श्रेष्ठ सहायता के बिना, कोई भी व्यक्ति भौतिक प्रकृति के बंधन से मुक्त नहीं हो सकता। भक्ति सेवा, या कृष्ण चेतना, व्यक्ति को ऐसी मुक्ति प्राप्त करने में मदद कर सकती है। कृष्ण, मायावी ऊर्जा के स्वामी होने के नाते, इस अजेय ऊर्जा को बद्ध आत्मा को मुक्त करने का आदेश दे सकते हैं। वह इस रिहाई का आदेश समर्पित आत्मा पर अपनी अहैतुकी दया और जीव, जो मूल रूप से भगवान का प्रिय पुत्र है, के प्रति अपने पैतृक स्नेह के कारण देता है। इसलिए भगवान के चरण कमलों के प्रति समर्पण ही कठोर भौतिक प्रकृति के चंगुल से मुक्त होने का एकमात्र साधन है। माम् एव शब्द भी महत्वपूर्ण है। मम का तात्पर्य केवल कृष्ण (विष्णु) से है, ब्रह्मा या शिव से नहीं। यद्यपि ब्रह्मा और शिव बहुत ऊंचे हैं और लगभग विष्णु के स्तर पर हैं, रजो-गुण (जुनून) और तमो-गुण (अज्ञान) के ऐसे अवतारों के लिए बद्ध आत्मा को माया के चंगुल से मुक्त करना संभव नहीं है। दूसरे शब्दों में, ब्रह्मा और शिव दोनों भी माया के प्रभाव में हैं । केवल विष्णु ही माया के स्वामी हैं ; इसलिए केवल वे ही बद्ध आत्मा को मुक्ति दे सकते हैं। वेद ( श्वेताश्वतर उपनिषद 3.8) तम एव विदित्वा वाक्यांश में इसकी पुष्टि करते हैं , या "केवल कृष्ण को समझने से ही स्वतंत्रता संभव है। " भगवान शिव भी पुष्टि करते हैं कि मुक्ति केवल विष्णु की कृपा से ही प्राप्त की जा सकती है। भगवान शिव कहते हैं, मुक्ति-प्रदाता सर्वेषां विष्णुर् एव न संशयः: "इसमें कोई संदेह नहीं है कि विष्णु सभी के लिए मुक्तिदाता हैं।"
@harekrishna22915 ай бұрын
एसबी 1.1.2 धर्म: प्रोज्हितकैतवोऽत्र परमो निर्मत्सरणं सततं वेद्यं वास्तवमात्र वस्तु शिवदं तापत्रयोन्मूलनम्। श्रीमद्भागवते महामुनिकृते किं वा परैरीश्वरः सद्यो हृदयवरुध्यतेऽत्र कृतिभिः सुश्रुषाभिस्तत्क्षणात् ॥ 2॥ धर्मः प्रोज्जहिता-कैतवो 'त्र परमो निर्मितसारणां सततं वेद्यं वास्तवम् अत्र वास्तु शिवदां तप -त्रयोनमूलं श्रीमद्भागवत महा-मुनि-कृते किं वा परैर ईश्वरः सद्यो ह ऋद्य अवरुध्यते 'त्र कृतिभिः शुश्रुषुभिस् तत्-क्षणात् समानार्थी शब्द धर्मः - धार्मिकता; प्रोज्जहिता - पूर्णतया अस्वीकृत; कैतवः - सकाम इरादे से आच्छादित; अत्र - यहाँ; परमाः - सर्वोच्च; निर्मित्सरानाम् - शत-प्रतिशत शुद्ध हृदय वाले का; सताम् - भक्त; वेद्यम् - समझने योग्य; वास्तवम् - तथ्यात्मक; अत्र - यहाँ; वास्तु - पदार्थ; शिवदम् - कल्याण; तप - त्रय - तीन गुना दुःख; उन्मूलानाम् - उखाड़ने वाला; श्रीमत - सुन्दर; भागवते - भागवत पुराण ; महा - मुनि - महान ऋषि (व्यासदेव); कृते - संकलित करके; किम् - क्या है; वा - आवश्यकता; परैः - अन्य; ईश्वरः - परम भगवान; सद्यः - तुरन्त; हृदि - हृदय के भीतर; अवरुध्यते - सघन हो जाता है; अत्र - यहाँ; कृतिभिः - पवित्र पुरुषों द्वारा; शुश्रुषुभिः - संस्कृति द्वारा; तत् - क्षणात् - बिना देर किये । अनुवाद भौतिक रूप से प्रेरित सभी धार्मिक गतिविधियों को पूरी तरह से खारिज करते हुए, यह भागवत पुराण उच्चतम सत्य का प्रतिपादन करता है, जो उन भक्तों द्वारा समझ में आता है जो पूरी तरह से हृदय से शुद्ध हैं। सर्वोच्च सत्य सभी के कल्याण के लिए भ्रम से अलग वास्तविकता है। ऐसा सत्य त्रिविध दुखों को नष्ट कर देता है। महान ऋषि व्यासदेव द्वारा [अपनी परिपक्वता में] संकलित यह सुंदर भागवत, ईश्वर प्राप्ति के लिए अपने आप में पर्याप्त है। किसी अन्य शास्त्र की क्या आवश्यकता है? जैसे ही कोई ध्यानपूर्वक और विनम्रतापूर्वक भागवत का संदेश सुनता है, ज्ञान की इस संस्कृति से परम भगवान उसके हृदय में स्थापित हो जाते हैं। मुराद धर्म में चार प्राथमिक विषय शामिल हैं, अर्थात् पवित्र गतिविधियाँ, आर्थिक विकास, इंद्रियों की संतुष्टि और अंततः भौतिक बंधन से मुक्ति। अधार्मिक जीवन एक बर्बर स्थिति है। दरअसल, मानव जीवन तभी शुरू होता है जब धर्म शुरू होता है। भोजन करना, सोना, डरना और संभोग करना पशु जीवन के चार सिद्धांत हैं। ये जानवरों और इंसानों दोनों में आम हैं। परन्तु धर्म मनुष्य का अतिरिक्त कार्य है। धर्म के बिना मानव जीवन पशु जीवन से बेहतर नहीं है। इसलिए, मानव समाज में धर्म का कुछ रूप मौजूद है जिसका लक्ष्य आत्म-प्राप्ति है और जो ईश्वर के साथ मनुष्य के शाश्वत संबंध का संदर्भ देता है। मानव सभ्यता के निचले चरण में भौतिक प्रकृति पर प्रभुत्व जमाने की होड़ या दूसरे शब्दों में कहें तो इंद्रियों को संतुष्ट करने की होड़ लगी रहती है। ऐसी चेतना से प्रेरित होकर मनुष्य धर्म की ओर उन्मुख होता है। इस प्रकार वह कुछ भौतिक लाभ प्राप्त करने के लिए पवित्र गतिविधियाँ या धार्मिक कार्य करता है। लेकिन यदि ऐसे भौतिक लाभ अन्य तरीकों से प्राप्त किए जा सकते हैं, तो तथाकथित धर्म की उपेक्षा की जाती है। आधुनिक सभ्यता में यही स्थिति है. मनुष्य आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहा है, इसलिए वर्तमान समय में उसे धर्म में अधिक रुचि नहीं है। चर्च, मस्जिद या मंदिर अब व्यावहारिक रूप से खाली हैं। पुरुषों को धार्मिक स्थानों की तुलना में कारखानों, दुकानों और सिनेमाघरों में अधिक रुचि है जो उनके पूर्वजों द्वारा बनाए गए थे। इससे व्यवहारिक रूप से सिद्ध होता है कि धर्म कुछ आर्थिक लाभ के लिए किया जाता है। इन्द्रियतृप्ति के लिए आर्थिक लाभ आवश्यक है। अक्सर जब कोई इंद्रिय संतुष्टि की खोज में भ्रमित हो जाता है, तो वह मोक्ष का रास्ता अपनाता है और भगवान के साथ एक होने का प्रयास करता है। परिणामस्वरूप, ये सभी अवस्थाएँ केवल अलग-अलग प्रकार की इन्द्रियतृप्ति हैं। वेदों में उपर्युक्त चार गतिविधियों को नियामक तरीके से निर्धारित किया गया है ताकि इंद्रिय संतुष्टि के लिए कोई अनुचित प्रतिस्पर्धा न हो। लेकिन श्रीमद-भागवतम इन सभी इंद्रिय संतुष्टिदायक गतिविधियों से परे है। यह विशुद्ध रूप से दिव्य साहित्य है जिसे केवल भगवान के शुद्ध भक्त ही समझ सकते हैं जो प्रतिस्पर्धी इंद्रिय संतुष्टि से परे हैं। भौतिक संसार में पशु और पशु, मनुष्य और मनुष्य, समुदाय और समुदाय, राष्ट्र और राष्ट्र के बीच गहरी प्रतिस्पर्धा है। लेकिन भगवान के भक्त ऐसी प्रतियोगिताओं से ऊपर उठ जाते हैं। सकाम गतिविधियों को शामिल किया जाता है।
T HE GODDESS SPOKE: *_अहं मम मायायाः सामर्थ्येन समग्रं जगत्, चलं अचलं च भवितुं कल्पयामि, तथापि सा एव माया मम पृथक् नास्ति एतत् सर्वोच्चं सत्यम् अस्ति ..._*
@DipanjanSingha-lr7vc5 ай бұрын
@@subhajitdutta286हरेर् नाम हरेर् नाम हरेर् नाम एव केवलम्। कलौ नास्ति एव नास्ति एव नास्ति एव गतिर् अन्यथा
@DipanjanSingha-lr7vc5 ай бұрын
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। इति षोडशकं नाम्नाम् कलि कल्मष नाशनं । नातः परतरोपायः सर्व वेदेषु दृश्यते। There is no other way except Hari Naam Maha mantra to get rid of Kaliyug effects and attain salvation🙏
@jigarmodasiya39975 ай бұрын
@@DipanjanSingha-lr7vc nobody can be free from kaliyug because you are living inside the world society and the effect of society and the world always reflect on us
@Everything_125 ай бұрын
Today is Pana Sankranti ପଣା ସଂକ୍ରାନ୍ତି for odias as new year. Jay kuldevi🕉🙏
@lakshmi_sanaatani90045 ай бұрын
चैत्र नवरात्रि की अनंत शुभकामनाएँ🙏 जय स्कंदमाता🙏
@HyperQuest5 ай бұрын
आपको भी लक्ष्मी जी 🙏🏻
@harekrishna22915 ай бұрын
@@HyperQuest बीजी. 7.14 दैवी ह्येषा गुणमयी मम माया दुरत्यया। मामेव ये प्रपद्यन्ते मायामेतां तरन्ति ते ॥ 14॥ दैवी ह्य एषा गुणमयी मम मया दुरत्यया मम एव ये प्रपद्यन्ते मयाम एतम् तरन्ति ते समानार्थी शब्द दैवी - दिव्य; हाय - अवश्य; एषा - यह; गुण - मयि - भौतिक प्रकृति के तीन गुणों से युक्त; माँ - मेरा; माया - ऊर्जा; दुरत्याया - बहुत कठिन है; माम् - मेरे लिए; एव - अवश्य; तु - वे जो; प्रपद्यन्ते - समर्पण; मायाम् एताम् - यह मायावी ऊर्जा; तरन्ति - पराजित; ते - वे. अनुवाद भौतिक प्रकृति के तीन गुणों से युक्त मेरी इस दिव्य ऊर्जा पर काबू पाना कठिन है। लेकिन जिन्होंने मेरे प्रति समर्पण कर दिया है वे आसानी से इससे आगे निकल सकते हैं। मुराद भगवान के परम व्यक्तित्व में असंख्य ऊर्जाएँ हैं, और ये सभी ऊर्जाएँ दिव्य हैं। यद्यपि जीव उनकी ऊर्जा का हिस्सा हैं और इसलिए दिव्य हैं, भौतिक ऊर्जा के संपर्क के कारण उनकी मूल श्रेष्ठ शक्ति ढकी हुई है। इस प्रकार भौतिक ऊर्जा से आच्छादित होने के कारण, कोई संभवतः इसके प्रभाव से उबर नहीं सकता है। जैसा कि पहले कहा गया है, भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकृतियाँ, भगवान के सर्वोच्च व्यक्तित्व से उत्पन्न होने के कारण, शाश्वत हैं। जीव भगवान की शाश्वत श्रेष्ठ प्रकृति से संबंधित हैं, लेकिन अपरा प्रकृति, पदार्थ से दूषित होने के कारण, उनकी माया भी शाश्वत है। इसलिए बद्ध आत्मा को नित्य-बद्ध, या शाश्वत रूप से बद्ध कहा जाता है। भौतिक इतिहास में कोई भी किसी निश्चित तिथि पर उसके बद्ध होने के इतिहास का पता नहीं लगा सकता है। नतीजतन, भौतिक प्रकृति के चंगुल से उसकी रिहाई बहुत मुश्किल है, भले ही वह भौतिक प्रकृति एक निम्न ऊर्जा है, क्योंकि भौतिक ऊर्जा अंततः सर्वोच्च इच्छा द्वारा संचालित होती है, जिसे जीवित इकाई दूर नहीं कर सकती है। निम्न, भौतिक प्रकृति को उसके दिव्य संबंध और दिव्य इच्छा द्वारा गति के कारण दिव्य प्रकृति के रूप में परिभाषित किया गया है। दैवीय इच्छा से संचालित होने के कारण, भौतिक प्रकृति, यद्यपि निम्नतर है, ब्रह्मांडीय अभिव्यक्ति के निर्माण और विनाश में बहुत अद्भुत कार्य करती है। वेद इसकी पुष्टि इस प्रकार करते हैं: मायां तु प्रकृतिं विद्यां मायिनं तु महेश्वरम्। "यद्यपि माया [भ्रम] मिथ्या या अस्थायी है, माया की पृष्ठभूमि सर्वोच्च जादूगर, भगवान का व्यक्तित्व है, जो महेश्वर, सर्वोच्च नियंत्रक है।" ( श्वेताश्वतर उपनिषद 4.10) गुण का दूसरा अर्थ रस्सी है; यह समझना चाहिए कि बद्ध आत्मा माया की रस्सियों से कसकर बंधी हुई है। हाथों और पैरों से बंधा हुआ व्यक्ति खुद को मुक्त नहीं कर सकता - उसे ऐसे व्यक्ति द्वारा मदद की जानी चाहिए जो बंधन से मुक्त है। क्योंकि बंधा हुआ बंधा हुआ व्यक्ति की सहायता नहीं कर सकता, इसलिए बचाने वाले को मुक्त करना होगा। इसलिए, केवल भगवान कृष्ण, या उनके प्रामाणिक प्रतिनिधि आध्यात्मिक गुरु, बद्ध आत्मा को मुक्त कर सकते हैं। ऐसी श्रेष्ठ सहायता के बिना, कोई भी व्यक्ति भौतिक प्रकृति के बंधन से मुक्त नहीं हो सकता। भक्ति सेवा, या कृष्ण चेतना, व्यक्ति को ऐसी मुक्ति प्राप्त करने में मदद कर सकती है। कृष्ण, मायावी ऊर्जा के स्वामी होने के नाते, इस अजेय ऊर्जा को बद्ध आत्मा को मुक्त करने का आदेश दे सकते हैं। वह इस रिहाई का आदेश समर्पित आत्मा पर अपनी अहैतुकी दया और जीव, जो मूल रूप से भगवान का प्रिय पुत्र है, के प्रति अपने पैतृक स्नेह के कारण देता है। इसलिए भगवान के चरण कमलों के प्रति समर्पण ही कठोर भौतिक प्रकृति के चंगुल से मुक्त होने का एकमात्र साधन है। माम् एव शब्द भी महत्वपूर्ण है। मम का तात्पर्य केवल कृष्ण (विष्णु) से है, ब्रह्मा या शिव से नहीं। यद्यपि ब्रह्मा और शिव बहुत ऊंचे हैं और लगभग विष्णु के स्तर पर हैं, रजो-गुण (जुनून) और तमो-गुण (अज्ञान) के ऐसे अवतारों के लिए बद्ध आत्मा को माया के चंगुल से मुक्त करना संभव नहीं है। दूसरे शब्दों में, ब्रह्मा और शिव दोनों भी माया के प्रभाव में हैं । केवल विष्णु ही माया के स्वामी हैं ; इसलिए केवल वे ही बद्ध आत्मा को मुक्ति दे सकते हैं। वेद ( श्वेताश्वतर उपनिषद 3.8) तम एव विदित्वा वाक्यांश में इसकी पुष्टि करते हैं , या "केवल कृष्ण को समझने से ही स्वतंत्रता संभव है। " भगवान शिव भी पुष्टि करते हैं कि मुक्ति केवल विष्णु की कृपा से ही प्राप्त की जा सकती है। भगवान शिव कहते हैं, मुक्ति-प्रदाता सर्वेषां विष्णुर् एव न संशयः: "इसमें कोई संदेह नहीं है कि विष्णु सभी के लिए मुक्तिदाता हैं।"
@harekrishna22915 ай бұрын
एसबी 1.1.2 धर्म: प्रोज्हितकैतवोऽत्र परमो निर्मत्सरणं सततं वेद्यं वास्तवमात्र वस्तु शिवदं तापत्रयोन्मूलनम्। श्रीमद्भागवते महामुनिकृते किं वा परैरीश्वरः सद्यो हृदयवरुध्यतेऽत्र कृतिभिः सुश्रुषाभिस्तत्क्षणात् ॥ 2॥ धर्मः प्रोज्जहिता-कैतवो 'त्र परमो निर्मितसारणां सततं वेद्यं वास्तवम् अत्र वास्तु शिवदां तप -त्रयोनमूलं श्रीमद्भागवत महा-मुनि-कृते किं वा परैर ईश्वरः सद्यो ह ऋद्य अवरुध्यते 'त्र कृतिभिः शुश्रुषुभिस् तत्-क्षणात् समानार्थी शब्द धर्मः - धार्मिकता; प्रोज्जहिता - पूर्णतया अस्वीकृत; कैतवः - सकाम इरादे से आच्छादित; अत्र - यहाँ; परमाः - सर्वोच्च; निर्मित्सरानाम् - शत-प्रतिशत शुद्ध हृदय वाले का; सताम् - भक्त; वेद्यम् - समझने योग्य; वास्तवम् - तथ्यात्मक; अत्र - यहाँ; वास्तु - पदार्थ; शिवदम् - कल्याण; तप - त्रय - तीन गुना दुःख; उन्मूलानाम् - उखाड़ने वाला; श्रीमत - सुन्दर; भागवते - भागवत पुराण ; महा - मुनि - महान ऋषि (व्यासदेव); कृते - संकलित करके; किम् - क्या है; वा - आवश्यकता; परैः - अन्य; ईश्वरः - परम भगवान; सद्यः - तुरन्त; हृदि - हृदय के भीतर; अवरुध्यते - सघन हो जाता है; अत्र - यहाँ; कृतिभिः - पवित्र पुरुषों द्वारा; शुश्रुषुभिः - संस्कृति द्वारा; तत् - क्षणात् - बिना देर किये । अनुवाद भौतिक रूप से प्रेरित सभी धार्मिक गतिविधियों को पूरी तरह से खारिज करते हुए, यह भागवत पुराण उच्चतम सत्य का प्रतिपादन करता है, जो उन भक्तों द्वारा समझ में आता है जो पूरी तरह से हृदय से शुद्ध हैं। सर्वोच्च सत्य सभी के कल्याण के लिए भ्रम से अलग वास्तविकता है। ऐसा सत्य त्रिविध दुखों को नष्ट कर देता है। महान ऋषि व्यासदेव द्वारा [अपनी परिपक्वता में] संकलित यह सुंदर भागवत, ईश्वर प्राप्ति के लिए अपने आप में पर्याप्त है। किसी अन्य शास्त्र की क्या आवश्यकता है? जैसे ही कोई ध्यानपूर्वक और विनम्रतापूर्वक भागवत का संदेश सुनता है, ज्ञान की इस संस्कृति से परम भगवान उसके हृदय में स्थापित हो जाते हैं। मुराद धर्म में चार प्राथमिक विषय शामिल हैं, अर्थात् पवित्र गतिविधियाँ, आर्थिक विकास, इंद्रियों की संतुष्टि और अंततः भौतिक बंधन से मुक्ति। अधार्मिक जीवन एक बर्बर स्थिति है। दरअसल, मानव जीवन तभी शुरू होता है जब धर्म शुरू होता है। भोजन करना, सोना, डरना और संभोग करना पशु जीवन के चार सिद्धांत हैं। ये जानवरों और इंसानों दोनों में आम हैं। परन्तु धर्म मनुष्य का अतिरिक्त कार्य है। धर्म के बिना मानव जीवन पशु जीवन से बेहतर नहीं है। इसलिए, मानव समाज में धर्म का कुछ रूप मौजूद है जिसका लक्ष्य आत्म-प्राप्ति है और जो ईश्वर के साथ मनुष्य के शाश्वत संबंध का संदर्भ देता है। मानव सभ्यता के निचले चरण में भौतिक प्रकृति पर प्रभुत्व जमाने की होड़ या दूसरे शब्दों में कहें तो इंद्रियों को संतुष्ट करने की होड़ लगी रहती है। ऐसी चेतना से प्रेरित होकर मनुष्य धर्म की ओर उन्मुख होता है। इस प्रकार वह कुछ भौतिक लाभ प्राप्त करने के लिए पवित्र गतिविधियाँ या धार्मिक कार्य करता है। लेकिन यदि ऐसे भौतिक लाभ अन्य तरीकों से प्राप्त किए जा सकते हैं, तो तथाकथित धर्म की उपेक्षा की जाती है। आधुनिक सभ्यता में यही स्थिति है. मनुष्य आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहा है, इसलिए वर्तमान समय में उसे धर्म में अधिक रुचि नहीं है। चर्च, मस्जिद या मंदिर अब व्यावहारिक रूप से खाली हैं। पुरुषों को धार्मिक स्थानों की तुलना में कारखानों, दुकानों और सिनेमाघरों में अधिक रुचि है जो उनके पूर्वजों द्वारा बनाए गए थे। इससे व्यवहारिक रूप से सिद्ध होता है कि धर्म कुछ आर्थिक लाभ के लिए किया जाता है। इन्द्रियतृप्ति के लिए आर्थिक लाभ आवश्यक है। अक्सर जब कोई इंद्रिय संतुष्टि की खोज में भ्रमित हो जाता है, तो वह मोक्ष का रास्ता अपनाता है और भगवान के साथ एक होने का प्रयास करता है। परिणामस्वरूप, ये सभी अवस्थाएँ केवल अलग-अलग प्रकार की इन्द्रियतृप्ति हैं। वेदों में उपर्युक्त चार गतिविधियों को नियामक तरीके से निर्धारित किया गया है ताकि इंद्रिय संतुष्टि के लिए कोई अनुचित प्रतिस्पर्धा न हो। लेकिन श्रीमद-भागवतम इन सभी इंद्रिय संतुष्टिदायक गतिविधियों से परे है। यह विशुद्ध रूप से दिव्य साहित्य है जिसे केवल भगवान के शुद्ध भक्त ही समझ सकते हैं जो प्रतिस्पर्धी इंद्रिय संतुष्टि से परे हैं। भौतिक संसार में पशु और पशु, मनुष्य और मनुष्य, समुदाय और समुदाय, राष्ट्र और राष्ट्र के बीच गहरी प्रतिस्पर्धा है। लेकिन भगवान के भक्त ऐसी प्रतियोगिताओं से ऊपर उठ जाते हैं। सकाम गतिविधियों को शामिल किया जाता है।
@VedicRevival5 ай бұрын
बहुत बहुत शुभकामनाएं बहन। देवी माता आदिशक्ति हम सब पर अपनी कृपा बनाए रखे।
@Sagmamale3545 ай бұрын
Param Brahma kaun
@taniyasonani29685 ай бұрын
Jai Maa Durga ❤️❤️❤️❤️❤️
@lakshmi_sanaatani90045 ай бұрын
नमस्तुभ्यं ज्येष्ठ भ्राता श्री🙏
@Hindu-vn7bv5 ай бұрын
Namastubhyam pyari behna 🚩🙏😊
@Tera_Baapbsdk575 ай бұрын
🕉️Jai maa bhadrakali 🙏🚩🕉️😊
@HyperQuest5 ай бұрын
🙏🏻🙏🏻
@Nimish-soni5 ай бұрын
Jay Shri ram ✨ Jay Shri Hanuman Ji 🔥 Jay Ma Bhawani 🔥
@prashantkinekar6545 ай бұрын
।। जय माँ दुर्गे ।।
@commentnahipadhaikar23395 ай бұрын
आद्य शक्ति भुवनेश्वरी का राजा हिमावान की पुत्री के रूप में पार्वती अवतार लेने का भी दार्शनिक महत्त्व है। राजा हिमावान एक साधक हैं, भुवनेश्वरी, जो चित रूप में व्याप्त है, वो पराशक्ति कुंडलिनी शक्ति के रूप में हर जीव में व्याप्त हो जाती है। इस दशा में पार्वती कुंडलिनी शक्ति का प्रतीक हैं। फिर कोई साधक प्रयास (योगादि क्रियाओं) से कुंडलिनी शक्ति को जागृत करता है, तो वह पुनः इस चिदाकाश में जाने के लिए उठती है। चिदाकाश यहां शिव हैं और पार्वती का शिव को पाने के लिए तप करना कुंडलिनी शक्ति का ऊपर की ओर उठने को दर्शाता है। राजा हिमवान ऐसे सफल साधक हैं। हम अधिकतर लोगों के मूलाधार में दक्ष यज्ञ चल रहा है, क्योंकि वहां शिव का अभाव है, कुंडलिनी को बढ़ने से रोका हुआ है। हिमालय पर्वत श्रृंखला नाड़ियों का प्रतीक है। कामाख्या शक्तिपीठ मूलाधार चक्र का, और कैलाश पर्वत सहस्र दल चक्र का।
@lakshmi_sanaatani90045 ай бұрын
शांतिदूत से दूर रहें सुरक्षित रहें😊। जय श्री राम🙏
@kirankumari6605 ай бұрын
Jai mā bhagvati bhrata🎉
@lakshmi_sanaatani90045 ай бұрын
@@kirankumari660 जय माँ भगवती 🙏🏻 भ्राता नहीं भगिनी 😊 मैं लड़की हूँ😊 जय श्री राम🙏
@dattatraykanade9775 ай бұрын
😂
@ajiteshsingh78585 ай бұрын
Shantidut kaun?
@Jay-kf5hw5 ай бұрын
@@ajiteshsingh7858aur kaun hamare peacefull community wale ....😊 Unse bade shantipriya log aur ho kaun sakte hai....
@humanity25945 ай бұрын
Finally you're focusing on Shakti philosophy!🔱 Great Job👌🏻 Jay Jagadamba💖🕉🙏🏻
@HyperQuest5 ай бұрын
🙏🏻🚩 Thank you 😇
@vivekmishra56395 ай бұрын
❤ Jai maa Durga
@VikasMishra-ps4lv5 ай бұрын
जय माता दी जय माता दी जय माता दी जय माता दी जय माता दी जय माता दी जय माता दी जय माता दी जय माता दी
@rudramehta47175 ай бұрын
माता काली मां दुर्गा श्री राम और कृष्णा का ही स्वरूप है
@SibasasankPrabhatrohit5 ай бұрын
,Murk,,, Maa Kali durga siba ke swaroop 🔱Siba Shakti ek hei 🪔,,,,,Kurm Puran Mei ,,,,, Iswar Gita hei ,,,,,Jo Bhagaban Shiv ne Birat biswaroop dikhaya tha,,,, Shakti to Shiv ka Hei ,,,Om namah pravti pataye har har Mahadev🔱,,,,Sri Mad Bhagavatam 8 Skand 7Adhay 23/,,21,,29,,31,, slok mei Sri Mad Bhagavatam ka adhay Rushi Muni or Devata milake Jo Shiv ke Stusti ki thi 🪔🔱🙏 our ,,,ANUSHAN PARB. ,,MAHABHARAT MEI Dharm Raj ,,Yudhishthir ne Jo Puchha te ki Bhisma se ki Jo Birat biswaroop dhari Shiv 🔱🙏Brahma ki Iswar Kalyan kari Jagadhiswar Shiv ke naam ki Mahima batayi ye Sri Krishna ne bhi jo Mahima Bole hei Shiv ke bare mein kya padhe nahi ho ,,, Shiv Maa Pravati NE. khud Sri Krishna ko baradan diye hei milake ek sathhh,🪔🔱🙏 ,,,,sri krishna maa durga ek. e. kya bolo rahe ho ,,,, Shiv hi Shakti hei Shakti hi Shiv hei Jo ki mata durga Pravati hei,,,,, Shiv AJANMA Jo JANMA nahi lete ya hue ,,hei ,, 🪔🔱🙏 Uma Maheswara se hi E Samasta JAGAT BYATP HEI ESHA Bhi LiKHA Mahabharat mei 🔱 ANUSHAN PARB MEI 🪔🙏Hei Kyu Ki Shiv Shakti ek Hei,,,,,,Jo Ardhanariswar hei Shiv ko Shiv Shakti ko namaskar hei 🪔🙏🔱🔱🔱🔱🔱🔱🙏🪔🔱🙏Om Shiv hei Shiv ne Om ko Banaye hei 🔱🙏
@sonu-pilli-chappal5 ай бұрын
बिलकुल 🚩🚩
@r.v9854 ай бұрын
Ram krushn ma durga ke swrup hai..
@सत्यसनातन3694 ай бұрын
सब आयामों के विष्णु ने राम कृष्ण अवतार लिया है कल्प कल्प मे जय विजय के उद्धार के लिए सत्य नारायण ने राम कृष्ण अवतार लिया नारद के श्राप से पालनकर्ता क्षेर सागर के विष्णु ने राम कृष्ण अवतार लिया और गर्भदक विष्णु भी राम कृष्ण अवतार मे आये हैँ और कर्णोदक महाविष्णु भी राम कृष्ण अवतार मे आये और कौशल्या दूर्वासा और कागभूषण्डी को इन्ही महाविष्णु ने अनंत ब्रह्माडो के दर्शन कराये क्युकी यही अनंत ब्रह्माण्ड धारण करते हैँ. विष्णु तत्त्व ही नही शक्ति यानि दुर्गा भी राम और कृष्ण अवतार लेती हैँ जिसका वर्णन कुछ ग्रंथो मे है शाक्त तंत्रो मे भी है की देवी तारा से राम अवतार हुआ और काली से कृष्ण अवतार हुआ 😎और किसी कल्प मे सनातन राम अपने साकेत लोक से और सनातन कृष्ण अपने गोलोक से अवतरित होते हैँ मूल राम और मूल कृष्ण यही हैँ जिसका वर्णन कई ग्रंथो मे है लेकिन ये सब लोक और उनके प्रभु सब माया ही हैँ आयाम 10 या 100 नही अनंत हैँ और परमात्मा का कोई रूप कोई नाम कोई लोक नही वो सर्वव्यापी अनंत है 😎उसे राम कृष्ण शिवाय सदाशिव सत्य नारायण परमशिव परमवासुदेव किसी भी नाम और रूप मे नही बांध सकते ना ही उसका कोई मंत्र है. उसका ना कभी अवतार होता है ना ही वो सृस्टि प्रलय करता है वो बस दृस्टा है
@yogeshaaseri74985 ай бұрын
मां देवी भगवती नमस्तुभियम
@ArunKumar-qw4ux5 ай бұрын
Jay maa durga jay mata di Jay sri krishna
@Keralitehindu5 ай бұрын
श्री राधा रानी ने उमा देवी से कहा : आप और मैं एक हैं। हमारे बीच कोई अंतर नहीं है। आप विष्णु हैं और मैं ही शिव हूं, जिनमे मात्र रूप का भेद है। शिव के हृदय में विष्णु ने तुम्हारा रूप धारण किया है और विष्णु के हृदय में शिव ने मेरा रूप धारण किया है। यह राम (परशुराम), एक वैष्णव है जो शैव में परिवर्तित हो गया है। यह गणेश स्वयं विष्णु में परिवर्तित शिव हैं। ब्रह्माण्ड पुराण : मध्यखंड अध्याय 42
@SriKrishn98385 ай бұрын
Bilkul shi bro maa lalita hi govind hai or radha ji hi sadashiv hai yhi paramgyan hai
@mahadevmatlabsukoon58325 ай бұрын
See brahmand Purana lalitha upakhyan nail of parashakti is equal to 10 form of Vishnu and radha is her small aspects today these radha devotees are making there own interpretation making radha above parashakti mata 😂😂😂
@SriKrishn98385 ай бұрын
@@shreeharibhavik aapki personal soch hai bhai pr reality kuch or hi hai kisi bhi sampardaay ke ho aap does not matter but itna dhyan rakhna sacchai jab saamne aayegi toh bahot der ho chuki hogi paschataap ka bhi time nhi milega isiliye abhi se sudhar jao toh better hoga
@Keralitehindu5 ай бұрын
@@mahadevmatlabsukoon5832 lol phele khud kya likha hai? Radha rani khud shivji ke female roop hai ider Or yah sirf yeh bataya gaya hai ki Uma hari ek hai or Radha Shivji ek hai kisiko bada ya chota ni
@Keralitehindu5 ай бұрын
@@shreeharibhavik Shiv hi Radha hai unpad devi puran padho Or shiv puran mein Radha ke mention hai
@pradyumnasarkar43805 ай бұрын
Jai Maa Jagadjanani Maa Jagadamba Maa Jai Baba Mahadevji 🙏🚩
@nayanjoshi57495 ай бұрын
अच्छी चीजों को प्रोपोगेट करे ताकि बेकार चीजों के लिए जगह ही ना बचे और समाज को गैर मार्ग पर चलने से बचाया जाए 🙏
@Krishndevotte5 ай бұрын
कृष्ण एक चैतन्य है वह एक दिव्य ऊर्जा है इनसे ही समस्त ब्रह्मांड की शक्तियां उत्पन हुई है यह सब कुछ है सिंपल में कहे तो यह एक दिव्य प्रकाश है अध्यात्मिक ❤❤❤
@सत्यसनातन3694 ай бұрын
सब आयामों के विष्णु ने राम कृष्ण अवतार लिया है कल्प कल्प मे जय विजय के उद्धार के लिए सत्य नारायण ने राम कृष्ण अवतार लिया नारद के श्राप से पालनकर्ता क्षेर सागर के विष्णु ने राम कृष्ण अवतार लिया और गर्भदक विष्णु भी राम कृष्ण अवतार मे आये हैँ और कर्णोदक महाविष्णु भी राम कृष्ण अवतार मे आये और कौशल्या दूर्वासा और कागभूषण्डी को इन्ही महाविष्णु ने अनंत ब्रह्माडो के दर्शन कराये क्युकी यही अनंत ब्रह्माण्ड धारण करते हैँ. विष्णु तत्त्व ही नही शक्ति यानि दुर्गा भी राम और कृष्ण अवतार लेती हैँ जिसका वर्णन कुछ ग्रंथो मे है शाक्त तंत्रो मे भी है की देवी तारा से राम अवतार हुआ और काली से कृष्ण अवतार हुआ 😎और किसी कल्प मे सनातन राम अपने साकेत लोक से और सनातन कृष्ण अपने गोलोक से अवतरित होते हैँ मूल राम और मूल कृष्ण यही हैँ जिसका वर्णन कई ग्रंथो मे है लेकिन ये सब लोक और उनके प्रभु सब माया ही हैँ आयाम 10 या 100 नही अनंत हैँ और परमात्मा का कोई रूप कोई नाम कोई लोक नही वो सर्वव्यापी अनंत है 😎उसे राम कृष्ण शिवाय सदाशिव सत्य नारायण परमशिव परमवासुदेव किसी भी नाम और रूप मे नही बांध सकते ना ही उसका कोई मंत्र है. उसका ना कभी अवतार होता है ना ही वो सृस्टि प्रलय करता है वो बस दृस्टा है
@yagneshsuthar61585 ай бұрын
Let me tell you honestly, you are improving exponentially day after day, and I am really happy with that 😊🙏 सर्वे भवन्तु सुखिन:
@joshmachine25055 ай бұрын
Increase our population.
@SanjaySingh-kv5vn5 ай бұрын
मनुष्यों ने या पुरुषो ने अपने आप को श्रेष्ठ बताने के लिए नारी शक्ति को दबा दिया और शक्ति स्वरूपा जगत जननी को परमपुरुष का नाम दे दिया। और हमे जन्म देने वाली एक नारी ही होती है। जो हमे इस संसार मे प्रवेश दिलने का एक मात्र मार्ग है। और उस जननी को लोग l मात्र वासना कि वस्तु या प्रवेशद्वार समझ लिया है। यही तो उनकी माया है। की वो बड़े ज्ञानी पुरुषो को भी अपने माया मे फसा लेती है।🛑🛑🚩🚩🌺🌺🙏🙏
@ambrish985 ай бұрын
विषय भोग, तथा वासना की उपस्तिथि हर बुद्धिजीव में विद्यमान है, आप इसे लिंग बोध से विभाजित करके, किसी एक लिंग विशेष पर आछेप नही लगा सकते, ये गलत है।
@Infinite10005 ай бұрын
अगर वासना ना हो तो मनुष्य क़्या किसी भी जीव का जन्म ही ना हो, और रही श्रेष्ठता क़ी बात तो बिना वीर्य सिर्फ अंडाषय से किसी का जन्म हो ही नहीं सकता, दोनों क़ी आवश्यकता हैं, ये भी जान लो शक्तिशाली हरदम कमजोर के ऊपर शाशन करता ही हैं इसमें कोई लिंग जाती धर्म, नहीं होता और ये शाश्वत प्रकृति का नियम हैं,
@सत्यसनातन3694 ай бұрын
पुरुष और प्रकृति दोनों मिलके ही सृस्टि निर्माण करते हैँ नारी जन्म देती है लेकिन बीज के बिना जन्म असंभव है जैसे बिना चाक के कुम्हार मिट्टी से पात्र कभी नहीं बना सकता वैसे ही नारी प्रकृति मिट्टी की तरह वो तत्त्व है जिससे जीवन निर्माण होता है लेकिन पुरुष या चैतन्य कुम्हार का चाक की तरह ही उतना ही जरुरि है 😎इसीलिए हर जीव को प्रकृति पुरुष ने जोड़े मे बनाया है 😎 ये विदेशियों की थ्योरी है भारत मे स्त्रियों को कभी नहीं दबाया स्वयंबर से लेके स्त्री शिक्षा तक सब कुछ नारियों को मिला है भारत मे पुराणतन युगो मे 😎
@AmbrishAwasthi-y1q4 ай бұрын
The other animal don't have cranial capacity like ours. Even then the misogyny in humans is one of the worst among all animals. Disgusting and Need to be condemned whenever required
@avinashjha37904 ай бұрын
Koi bhi stree purush ke rajveer ko appne garbha me dharan kiye Bina santan utpati nahi kar sakti esiliye para Shakti ko bhi param purush ki avskta hai
@rupeshmahale82593 ай бұрын
सारी बाते सही है👌👍 सनातन धर्म के बारे मे बता रहे हो अच्छी बात है👌 तो चैनल का नाम भारतीय नाम क्यु नही रखा,,,,, 😑😶
@premlatasachan35845 ай бұрын
Beta आप बहुत अच्छा काम कर रहे हो जो हमने कभी नहीं सुना था वो आप ने बताया सुकिर्या
@hirdayprajapati92355 ай бұрын
Make video on why some hindu temples give non veg in prasad
@SenseiTJ5 ай бұрын
Why not! Vedic Fools like you wont understand Shaktism
@आर्यश्रेष्ठ-घ3श5 ай бұрын
🚩🇮🇳🙏🏻🚩❤️
@lifeofmufasa2715 ай бұрын
Devi sati ki mritu nhi hoti deh tyaga Prabhu ji
@KNKfunnyvideo5 ай бұрын
In begining i felt like i am attending any initial programming learning lecture, who learnt can understand 🙏
@arjunsinghrathore92525 ай бұрын
Jai maa Gita jai sanatan dharm jai sanatan rashtra jai hindu rashtra
@commentnahipadhaikar23395 ай бұрын
वैसे देवी गीता का उपदेश देवी भुवनेश्वरी ने दिया थे दुर्गा देवी ने नही। दुर्गा देवी का शाक्त संप्रदाय में विशेष स्थान भी है, परन्तु मुख्य देवी, जिन्हे आदि पराशक्ति कहा जाता है, वो या तो ललिता त्रिपुरसुंदरी या कालिका देवी हैं। वो ही देवी सृष्टि निर्माण के लिए भुवनेश्वरी रूप धारण करती हैं। अनेकों ब्रह्माण्ड में अनेकों दुर्गाए हैं, पर भुवनेश्वरी एक ही है। यूं कहा जा सकता है की देवी हर ब्रह्माण्ड में दुर्गा रूप लेती हैं। रूप और नाम का भेद है। बाकी शक्ति एक ही है। दुर्गा के कई रूप हैं, भुवनेश्वरी चतुर्भजा हैं, जो हाथों में पाश अंकुश , और वर अभय मुद्राएं धारण करती हैं।
@notyourtypesigmarule5 ай бұрын
Sab ak hi h vo aadi shakti ko hi koii durga yaa lalita kehta hai Devi mahatmay padho.maa durga hi sarvoch brahm h Devi bhagvat padho maa bhuvneshwari lalita sarvoch brahm hai Kaalika Tantric padho maa kaali sarvoch brahm hai Shiv puran padho shiv ji aur maata uma hi sarvoch brahm h (uma samhita) Ak baad yaha hi clear hojaani chahiye ki uss aadi maaya jo nirakar hai jo formless h Vahi alag alag form me aati rehti hai aur parabrahm Shakti alag alag roop me vahi aati hai to vo parabrahm se alag kaise huve ? Isko hi aham brahmasmi kaha gaya h Ki vo parabrahm iss roop me bhi viraaj maan hai to vo parabrahm se alag kaise huva
@notyourtypesigmarule5 ай бұрын
Yaani maa durga lalita kaali bhuvneshwari ussi nirakar brahm ka swaroop hai isliye vo ye sab bhi vahi param brahm h
@commentnahipadhaikar23395 ай бұрын
@@notyourtypesigmarule bilkul
@commentnahipadhaikar23395 ай бұрын
@@notyourtypesigmarule main bas us specific form ki baat kar Raha hoon jisme unhone Geeta Updesh Diya tha. Jab devi ka Virat roop dekhkar sabhi devta gan bhaybheet ho gaye, to Himavan Raja aur devtaon ki vinti paar devi usi Chaturbhuja roop me aa gayi jisme unhone Paash Ankush aur Vara abhaya mudraye dharan ki hui thi
@commentnahipadhaikar23395 ай бұрын
@@notyourtypesigmarule Haan, Lalita and Kaali are like Nirakar Parabrahma directly transforming into Sakar forms, while Durga is like secondary transformation of Lalita in each Universe. Nonetheless Parabrahma herself. Though in Durga kul which is now almost extinct sect absorbed into Kalikul, Durga or Mooldurga too is Primary manifestation of Parabrahma, though there is much distinction what form of Durga. In the end every form is she herself.
@kattarhinduutkarshtyagi99405 ай бұрын
Jai Mata di 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
@adityarajput94105 ай бұрын
I appreciate that you study every topic so thoroughly and convey the information to us
@HyperQuest5 ай бұрын
Thank you Aditya ji 🙏🏻
@ArnabJyotiDey-p6k5 ай бұрын
🕉 Jai Mata Di 🕉 Har Har Mahadev 🕉
@debojeetsen64615 ай бұрын
Asta shakti of goddess Mahisasuramardini /Chandi👉 1 🌺Ugra chanda, 2🌺 Prachanda, 3🌺 Chandograh, 4 🌺Chanda naika, 5 🌺Chanda, 6🌺 Chanda bati, 7 🌺Chanda rupa, 8 🌺Ati chandika From the shlok 👉- ugrachanda prachanda cha chandogrh chanda naika chanda chanda bati chaiba chanda rupati chandika
@kinnerachippada5 ай бұрын
Please don't keep thumb nails like this, it's completely okay if ur drawn towards shakteyam! Don't compare shree krishna to anyone, he is incomparable! And everything /everybody comes from him. If u say it one more time I shall say mata Lakshmi and Shiva are same and he is wife of shree maha vishnu
@Harihara515 ай бұрын
Jay shree ram 🚩🌸
@ॐनमश्चण्डिकायै4 ай бұрын
कृष्ण ही काली हैं काली ही कृष्ण हैं कृष्ण ही गंगा है।
@kirankumari6605 ай бұрын
Hare krishna
@ramapirstudio185 ай бұрын
गौतम बुद्ध श्रीहरि के अवतार हैं?? अग्नि पुराण में उनके पिता का नाम शुद्धोधन है प्लीज़ detail video बनाए 🙏 में बहुत Confused हु 😐 कई लोग उन्हें श्रीहरि के अवतार नहीं मानते। प्लीज़ details video बनाए 🙏
@HyperQuest5 ай бұрын
जी गौतम बुद्ध और विष्णु जी के अवतार बुद्ध जी में अन्तर है ।
@ramapirstudio185 ай бұрын
@@HyperQuestलेकिन प्रभुजी महाभारत: शांतिपर्व अध्याय 348 श्लोक 43 और अग्नि पुराण: अध्याय 16 श्लोक 1 और 2 विष्णुधर्म पुराण (पूर्व) : अध्याय 66 श्लोक 68 to 71 में उनके पिता का नाम शुद्धोधन बताया गया है 😐 इसलिए में ज्यादा CONFUSED हु कृपया मार्गदर्शन करें गुरूजी 🥺 प्लीज़ detail video बनाए 🙏🙏
@ramapirstudio185 ай бұрын
प्लीज़ गुरुजी detail video 🙏🥺
@ramapirstudio185 ай бұрын
@@HyperQuestलेकिन प्रभुजी महाभारत: शांतिपर्व अध्याय 348 श्लोक 43 और अग्नि पुराण: अध्याय 16 श्लोक 1 और 2 विष्णुधर्म पुराण (पूर्व) : अध्याय 66 श्लोक 68 to 71 में उनके पिता का नाम शुद्धोधन बताया गया है 😐 इसलिए में ज्यादा CONFUSED हु कृपया मार्गदर्शन करें गुरूजी 🥺 प्लीज़ detail video बनाए 🙏
@Bhargav-m3v5 ай бұрын
જય માં જય જય માં જય ભીલેશ્વરી માતાજી જય માં આદિશક્તિ મહાશક્તિ દુર્ગા માતાજી જય ચંડી ચામુંડા માતાજી 😊❤😊❤😊❤😊❤😊❤😊❤😊❤😊❤😊❤😊
गौतम बुद्ध श्रीहरि के अवतार हैं?? मे नीचे दिए गए प्रमाणो के कारण confused हु 🥺प्रभुजी महाभारत: शांतिपर्व अध्याय 348 श्लोक 43 और अग्नि पुराण: अध्याय 16 श्लोक 1 और 2 विष्णुधर्म पुराण (पूर्व) : अध्याय 66 श्लोक 68 to 71 में उनके पिता का नाम शुद्धोधन बताया गया है 😐 इसलिए में ज्यादा CONFUSED हु कृपया मार्गदर्शन करें गुरूजी 🥺 प्लीज़ detail video बनाए 🙏
@sankarpadhi34095 ай бұрын
CHALO KOI TO SAMJHKE DUSROKO SAMJHARAHAHE KI PARAMSAKTI PARMATMA AK HE.....🧐🧐😅😅 USME POLITICS MATKARO...... "THANK YOU FOR YOUR TRY TO REVEALING TRUTH AND SPREADING KNOWLEDGE TO OUR IRRATIONAL MINDED SOCIETY ".....👍👍
@HyperQuest5 ай бұрын
🙏🏻🙏🏻😇
@ramapirstudio185 ай бұрын
गौतम बुद्ध श्रीहरि के अवतार हैं?? मे नीचे दिए गए प्रमाणो के कारण confused हु 🥺प्रभुजी महाभारत: शांतिपर्व अध्याय 348 श्लोक 43 और अग्नि पुराण: अध्याय 16 श्लोक 1 और 2 विष्णुधर्म पुराण (पूर्व) : अध्याय 66 श्लोक 68 to 71 में उनके पिता का नाम शुद्धोधन बताया गया है 😐 इसलिए में ज्यादा CONFUSED हु कृपया मार्गदर्शन करें गुरूजी 🥺 प्लीज़ detail video बनाए 🙏
@Jain25255 ай бұрын
16:16 minute - जैन दर्शन भी कहता है कि सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चारित्र यह तीनों मिलकर ही मोक्ष का मार्ग है।
@ramapirstudio185 ай бұрын
गौतम बुद्ध श्रीहरि के अवतार हैं?? मे नीचे दिए गए प्रमाणो के कारण confused हु 🥺प्रभुजी महाभारत: शांतिपर्व अध्याय 348 श्लोक 43 और अग्नि पुराण: अध्याय 16 श्लोक 1 और 2 विष्णुधर्म पुराण (पूर्व) : अध्याय 66 श्लोक 68 to 71 में उनके पिता का नाम शुद्धोधन बताया गया है 😐 इसलिए में ज्यादा CONFUSED हु कृपया मार्गदर्शन करें गुरूजी 🥺 प्लीज़ detail video बनाए 🙏
@Jitendrakumar-zz6lz5 ай бұрын
उपनिषद के ज्ञान को इतने सरल वैज्ञानिक रूप से प्रस्तुत करने के लिए शब्द नहीं है कि आपको धन्यवाद दिया जा सके। चौरसिया जी को सादरप्रणाम
@harekrishna22915 ай бұрын
एसबी 1.1.2 धर्म: प्रोज्हितकैतवोऽत्र परमो निर्मत्सरणं सततं वेद्यं वास्तवमात्र वस्तु शिवदं तापत्रयोन्मूलनम्। श्रीमद्भागवते महामुनिकृते किं वा परैरीश्वरः सद्यो हृदयवरुध्यतेऽत्र कृतिभिः सुश्रुषाभिस्तत्क्षणात् ॥ 2॥ धर्मः प्रोज्जहिता-कैतवो 'त्र परमो निर्मितसारणां सततं वेद्यं वास्तवम् अत्र वास्तु शिवदां तप -त्रयोनमूलं श्रीमद्भागवत महा-मुनि-कृते किं वा परैर ईश्वरः सद्यो ह ऋद्य अवरुध्यते 'त्र कृतिभिः शुश्रुषुभिस् तत्-क्षणात् समानार्थी शब्द धर्मः - धार्मिकता; प्रोज्जहिता - पूर्णतया अस्वीकृत; कैतवः - सकाम इरादे से आच्छादित; अत्र - यहाँ; परमाः - सर्वोच्च; निर्मित्सरानाम् - शत-प्रतिशत शुद्ध हृदय वाले का; सताम् - भक्त; वेद्यम् - समझने योग्य; वास्तवम् - तथ्यात्मक; अत्र - यहाँ; वास्तु - पदार्थ; शिवदम् - कल्याण; तप - त्रय - तीन गुना दुःख; उन्मूलानाम् - उखाड़ने वाला; श्रीमत - सुन्दर; भागवते - भागवत पुराण ; महा - मुनि - महान ऋषि (व्यासदेव); कृते - संकलित करके; किम् - क्या है; वा - आवश्यकता; परैः - अन्य; ईश्वरः - परम भगवान; सद्यः - तुरन्त; हृदि - हृदय के भीतर; अवरुध्यते - सघन हो जाता है; अत्र - यहाँ; कृतिभिः - पवित्र पुरुषों द्वारा; शुश्रुषुभिः - संस्कृति द्वारा; तत् - क्षणात् - बिना देर किये । अनुवाद भौतिक रूप से प्रेरित सभी धार्मिक गतिविधियों को पूरी तरह से खारिज करते हुए, यह भागवत पुराण उच्चतम सत्य का प्रतिपादन करता है, जो उन भक्तों द्वारा समझ में आता है जो पूरी तरह से हृदय से शुद्ध हैं। सर्वोच्च सत्य सभी के कल्याण के लिए भ्रम से अलग वास्तविकता है। ऐसा सत्य त्रिविध दुखों को नष्ट कर देता है। महान ऋषि व्यासदेव द्वारा [अपनी परिपक्वता में] संकलित यह सुंदर भागवत, ईश्वर प्राप्ति के लिए अपने आप में पर्याप्त है। किसी अन्य शास्त्र की क्या आवश्यकता है? जैसे ही कोई ध्यानपूर्वक और विनम्रतापूर्वक भागवत का संदेश सुनता है, ज्ञान की इस संस्कृति से परम भगवान उसके हृदय में स्थापित हो जाते हैं। मुराद धर्म में चार प्राथमिक विषय शामिल हैं, अर्थात् पवित्र गतिविधियाँ, आर्थिक विकास, इंद्रियों की संतुष्टि और अंततः भौतिक बंधन से मुक्ति। अधार्मिक जीवन एक बर्बर स्थिति है। दरअसल, मानव जीवन तभी शुरू होता है जब धर्म शुरू होता है। भोजन करना, सोना, डरना और संभोग करना पशु जीवन के चार सिद्धांत हैं। ये जानवरों और इंसानों दोनों में आम हैं। परन्तु धर्म मनुष्य का अतिरिक्त कार्य है। धर्म के बिना मानव जीवन पशु जीवन से बेहतर नहीं है। इसलिए, मानव समाज में धर्म का कुछ रूप मौजूद है जिसका लक्ष्य आत्म-प्राप्ति है और जो ईश्वर के साथ मनुष्य के शाश्वत संबंध का संदर्भ देता है। मानव सभ्यता के निचले चरण में भौतिक प्रकृति पर प्रभुत्व जमाने की होड़ या दूसरे शब्दों में कहें तो इंद्रियों को संतुष्ट करने की होड़ लगी रहती है। ऐसी चेतना से प्रेरित होकर मनुष्य धर्म की ओर उन्मुख होता है। इस प्रकार वह कुछ भौतिक लाभ प्राप्त करने के लिए पवित्र गतिविधियाँ या धार्मिक कार्य करता है। लेकिन यदि ऐसे भौतिक लाभ अन्य तरीकों से प्राप्त किए जा सकते हैं, तो तथाकथित धर्म की उपेक्षा की जाती है। आधुनिक सभ्यता में यही स्थिति है. मनुष्य आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहा है, इसलिए वर्तमान समय में उसे धर्म में अधिक रुचि नहीं है। चर्च, मस्जिद या मंदिर अब व्यावहारिक रूप से खाली हैं। पुरुषों को धार्मिक स्थानों की तुलना में कारखानों, दुकानों और सिनेमाघरों में अधिक रुचि है जो उनके पूर्वजों द्वारा बनाए गए थे। इससे व्यवहारिक रूप से सिद्ध होता है कि धर्म कुछ आर्थिक लाभ के लिए किया जाता है। इन्द्रियतृप्ति के लिए आर्थिक लाभ आवश्यक है। अक्सर जब कोई इंद्रिय संतुष्टि की खोज में भ्रमित हो जाता है, तो वह मोक्ष का रास्ता अपनाता है और भगवान के साथ एक होने का प्रयास करता है। परिणामस्वरूप, ये सभी अवस्थाएँ केवल अलग-अलग प्रकार की इन्द्रियतृप्ति हैं। वेदों में उपर्युक्त चार गतिविधियों को नियामक तरीके से निर्धारित किया गया है ताकि इंद्रिय संतुष्टि के लिए कोई अनुचित प्रतिस्पर्धा न हो। लेकिन श्रीमद-भागवतम इन सभी इंद्रिय संतुष्टिदायक गतिविधियों से परे है। यह विशुद्ध रूप से दिव्य साहित्य है जिसे केवल भगवान के शुद्ध भक्त ही समझ सकते हैं जो प्रतिस्पर्धी इंद्रिय संतुष्टि से परे हैं। भौतिक संसार में पशु और पशु, मनुष्य और मनुष्य, समुदाय और समुदाय, राष्ट्र और राष्ट्र के बीच गहरी प्रतिस्पर्धा है। लेकिन भगवान के भक्त ऐसी प्रतियोगिताओं से ऊपर उठ जाते हैं। सकाम गतिविधियों को शामिल किया जाता है।
@Keralitehindu5 ай бұрын
Vişnu-Pārvatī Abheda hai (Umā is female form of Śrī hari) In the heart of Śiva, Vişņu has assumed your (Pārvatī) form.
@subhajitdutta2865 ай бұрын
ShivShakti is not different. The Absolute truth is *Formless* *Nameless* *Genderless* and *attributeless* The Absolute truth takes many form(Shiv, Shakti, Ganpati, Krishn ect.) to operate this existence(because it's attributeless). Actually *Everything(Nothing) is eternal.*
@desiweabu16145 ай бұрын
@@subhajitdutta286 Yes, so therefore, nothing exists and there is no such thing as this Parabrahm you speak of, because It is powerless as well. Everything occurs naturally, ohh sorry, nothing exists and the existence itself is a myth and since you are saying that Nothing Exists that means whatever you are saying also doesn't exist. 😂 Aaye bade Nirakar Parambramh wale Mayavadi 🤣
@subhajitdutta2865 ай бұрын
@@desiweabu1614 matlab ulta chor kotwal ko dante🤣Abe chomu mayavadi tu hain main nahi🤣 Kiuki *Har ek rup Maya hi hain* 😂🤣 Jo Parbrahm hai wo Maya(roop, gun, naam) se pare hain😁
@desiweabu16145 ай бұрын
@@subhajitdutta286 Ha to wohi to bola mai, ki kuchh bhi exist nahi karta hai, aur isliye aapki ye baat ki kuchh hoke bhi woh nahi hai, to kuchh hai hi nahi na. Aap ko kyu galat lag raha hai ki kuch ho bhi sakta hai? Kuchh hai hi nahi to fir kya tension? Chill bro, although insoluble ho tum, ek din woh Nirakar Parambramh me ek hone ki koshish karte rehna, ho nahi paoge woh baat alag.
@subhajitdutta2865 ай бұрын
@@desiweabu1614 matlab ulta chor kotwal ko dante.😅🤣 Abe chomu Mayavadi tu hain main nahin🤣🤣 or sunle *Har ek Roop Maya hi hain* 🤣😂 Jo Parbrahm hai wo Maya(Roop, Gun,Naam ect) se Pare hain. Kiuki wo Nirgun hain isliye usne apne marzi se aneko Roop(Shiv, Shakti, Ganpati Krishn ect) liya is sansar ko Chalane hetu.
@gulasha.shukla5 ай бұрын
जय श्री राम ❤️❤️🇮🇳🇮🇳 जय श्री राम ❤️🇮🇳
@dilipmaurya83585 ай бұрын
Vishal bhai aap aishe hi upnishad aur puranas ke bare main scientific tarike se samjhaya karo jisse ke pade likhe log bhi anpad na bane rahe aur Bahut bahut dhanyvad 🙏 jai siyaram🙏
@HyperQuest5 ай бұрын
दिलीप जी धन्यवाद 🙏🏻 प्रयास निरंतर करते रहेंगे ❤
@RohanSingh-zg4hf5 ай бұрын
Background Music is so mysterious and amazing.
@hiteshkumar84175 ай бұрын
देवी गीता भी है ,ये आज ही ज्ञात हुआ। इतना गुढ़ ज्ञान! आश्चर्य!
@khare55695 ай бұрын
Keval Devi Gita ya Krishna Gita hi nahi 60+ adhik Gita humare dharm mein hai jisme isharwar gita, ganesh Gita, Kumar Gita, etc hai and 14 Gita toh keval Mahabharata mein hi hai
@arbinsharma-cf8px5 ай бұрын
@@khare5569mahabharat me 14 geeta kyse plz bataiye🙏
@cw97285 ай бұрын
🎯 Key Takeaways for quick navigation: 00:00 *🕊️ Different avatars of gods guide their devotees, akin to Krishna guiding Arjuna and Shiva imparting wisdom to Ram.* 00:28 *📖 Devi Gita, akin to Bhagavad Gita, imparts spiritual knowledge, including the mysteries of life.* 01:35 *🕯️ The backdrop of Devi Gita involves Sati's death, grieving Shiva, and a demon seeking his end from Shiva's son.* 02:03 *🏔️ Devi Bhagavati, in response to gods' distress, promises to incarnate on Earth to alleviate their suffering.* 02:43 *📚 Devi Bhagavati enlightens Himalaya on Vedantic philosophy, setting the stage for Devi Gita's teachings.* 03:14 *💡 Vedas, Puranas, Upanishads, and other scriptures converge in their essence towards the pursuit of knowledge and understanding.* 03:41 *📚 Devi Gita's description of creation mirrors the concepts found in the Nasadiya Sukta of the Rigveda, emphasizing the primal state of existence before creation.* 04:08 *🔮 Devi defines "Maya" as her divine power, the potential for creation, distinct from truth or falsehood, challenging conventional perceptions of reality.* 04:49 *🌍 Maya's illusory nature perplexes, blending truths and falsehoods, as experiences of the physical world coexist with philosophical inquiries.* 05:02 *🔥 Devi likens Maya to the inherent warmth in fire or the presence of light in the sun, existing as an intrinsic aspect of her divine form, facilitating creation and dissolution.* 05:16 *💫 Devi elaborates on the cyclic nature of creation and dissolution, where all actions and beings eventually merge back into her divine essence, echoing the concept of "Prakriti" in Hindu philosophy.* 05:59 *🌍 The universe returns to its seed form during dissolution, where all living beings and their actions dissolve.* 06:12 *🧠 Devi explains the distinction between the two main elements in creation: inert matter (jad) and conscious energy (chetan).* 06:39 *🌱 Creation begins with the emergence of consciousness, driven by the desire inherent in the primal form of the divine.* 07:33 *🤔 Understanding the principles of Sankhya philosophy is crucial to grasp the process of creation, involving the formation of ideas, followed by their materialization into physical forms.* 08:59 *🌱 When creation begins, the first entities to form are subtle elements.* 09:13 *🌬️ These subtle elements include sound, form, taste, smell, and touch, which are the precursors to tangible elements.* 09:27 *🧠 Creation begins with ideas that form blueprints for sensory experiences before the manifestation of tangible elements.* 09:41 *🔍 Understanding the creation process involves recognizing the subjects of sensory perception and their relationship to the senses.* 10:09 *🌌 These sensory perceptions lead to the manifestation of gross elements, forming the basis of the physical world.* 10:38 *💡 The process of creation involves ideation, leading to the formation of subtle bodies, which eventually evolve into physical forms.* 11:04 *🌟 Subtle bodies, or linga dehas, emerge from the potential forms created by ideation, connecting to the cosmic body.* 11:18 *💫 These linga dehas give rise to the gross elements, forming the cosmic body, known as the "virat swaroop."* 12:04 *📚 The foundational texts of Sanatan Dharma, including the Bhagavad Gita, Brahma Sutras, and various Vedantic philosophies, find their origin in the Upanishads, serving as the basis for all.* 12:18 *💡 Shikshanam introduces a series on Hindu philosophies, Sanskrit, and the Upanishads, starting with teaching the 11 principal Upanishads, beginning with the Isha and Prashna Upanishads.* 12:33 *💻 Pre-bookings for courses on the Isha and Prashna Upanishads are available on Cinam website and app, with a 50% discount if booked before April 17th, offering recorded videos accessible for a lifetime.* 13:06 *🌟 Engaging with the Upanishads is expected to bring a new dimension of strength to one's life, with full support available via comments and the description box.* 14:24 *🔄 Devi Bhagavati discusses the process of karma, explaining how subtle bodies are formed from primordial elements, leading to the inception of ego, initiation of action, and accumulation of karmic imprints until a balance is reached.* 15:21 *💡 Actions and ignorance are interlinked; one cannot eliminate actions without dispelling ignorance. Similarly, dispelling ignorance also leads to the dissolution of actions.* 15:49 *🤔 You can't escape karma, but understanding its origin in ignorance can help transcend it. Both knowledge and action are necessary for spiritual progress.* 16:29 *💭 The integration of karma, knowledge, and devotion is essential for liberation from the cycle of birth and death. Devi Gita emphasizes the unity of these paths.* 17:13 *🙏 Devi Gita introduces the Devi Pranava mantra, symbolizing the supreme reality. Understanding its components (ह, र, ई) signifies the individual and collective aspects of existence.* 18:09 *🎓 Explore the enriching answers to the six questions posed by the disciples of Rishi Pipalad. Enroll in the courses on the Shikshanam platform for detailed insights.* 18:24 *📚 Like, share, and subscribe to the channel to spread knowledge and receive more enlightening content.* Made with HARPA AI
@Masterjiha5 ай бұрын
Ya Devi sarvbhuteshu Shakti Rupen sansthita namastasae namastasae namastasae Namo Namah❤
@Maza_Moraya5 ай бұрын
Ganesh geeta me bhi yahi bataya h... sirf Ganesh ji ko param bramha roop mana h... koyi bhi Puran dekhe to sirf naam alag alag h lekin andar ka gabha, andar ka gyan 1 hi h! Puran alag alag isiliye hote h ki har insaan ki choice alag alag hoti h... kisi ko Ganesh ji k bhakti me man ramta h, kisi ko shiv ji, kisi ko vishnu/krishna, kisi ko devi.... isiliye bhale hi Puran me alag alag parmatma h, lekin wo 1 hi h, andar ka gyan 1 hi h
@VinayGupta-y9k5 ай бұрын
Is Gyan ko share jaroor kre dosto tabhi Hindu apne dharm ke prati jagrit hoga. Jay Mata Dee 🙏🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
@DipanjanSingha-lr7vc5 ай бұрын
Jai Hanuman Ji❤🙏
@ramapirstudio185 ай бұрын
गौतम बुद्ध श्रीहरि के अवतार हैं?? अग्नि पुराण में उनके पिता का नाम शुद्धोधन है प्लीज़ detail video बनाए 🙏 में बहुत Confused हु 😐 कई लोग उन्हें श्रीहरि के अवतार नहीं मानते। प्लीज़ details video बनाए 🙏
@ramapirstudio185 ай бұрын
गौतम बुद्ध श्रीहरि के अवतार हैं?? अग्नि पुराण में उनके पिता का नाम शुद्धोधन है प्लीज़ detail video बनाए 🙏 में बहुत Confused हु 😐 कई लोग उन्हें श्रीहरि के अवतार नहीं मानते। प्लीज़ details video बनाए 🙏
@shreyansh4515 ай бұрын
Jai mata di
@ramapirstudio185 ай бұрын
गौतम बुद्ध श्रीहरि के अवतार हैं?? अग्नि पुराण में उनके पिता का नाम शुद्धोधन है प्लीज़ detail video बनाए 🙏 में बहुत Confused हु 😐 कई लोग उन्हें श्रीहरि के अवतार नहीं मानते। प्लीज़ details video बनाए 🙏
@Ex-MuslimEra5 ай бұрын
Har Har Mahadev 🙏🏻♥️🚩
@ramapirstudio185 ай бұрын
गौतम बुद्ध श्रीहरि के अवतार हैं?? अग्नि पुराण में उनके पिता का नाम शुद्धोधन है प्लीज़ detail video बनाए 🙏 में बहुत Confused हु 😐 कई लोग उन्हें श्रीहरि के अवतार नहीं मानते। प्लीज़ details video बनाए 🙏
@dhrubajyotichoudhury55385 ай бұрын
Ishwar ek hi hai sabhi bhagwan devi devta ek hi Ishwar ka alag alag sakar roop hai Om namah shivay 🕉️🙏🚩 Om namo narayan 🕉️🙏🚩
@HyperQuest5 ай бұрын
🙏🏻❤️🚩
@ramapirstudio185 ай бұрын
गौतम बुद्ध श्रीहरि के अवतार हैं?? अग्नि पुराण में उनके पिता का नाम शुद्धोधन है प्लीज़ detail video बनाए 🙏 में बहुत Confused हु 😐 कई लोग उन्हें श्रीहरि के अवतार नहीं मानते। प्लीज़ details video बनाए 🙏
@SanjayPal-zq7jp5 ай бұрын
भ्राता श्री प्रणाम ,आपसे हमे जो ज्ञान की जो सिख प्राप्त हो रही उसके लिए कोटि2 आभार ...
@HyperQuest5 ай бұрын
🙏🏻🙏🏻
@Ygibaba5 ай бұрын
किसी को पता है... नर नारी एक है.... शिव ही शक्ति है... जय श्री कृष्णा
@subhajitdutta2865 ай бұрын
Jai maa Skandamata ❤
@AdityaSingh-yh8ns5 ай бұрын
प्रणाम भ्राता श्री भाई जी आपसे एक प्रार्थना है कि आप एक प्लेलिस्ट बना दीजिए जिसमे विडियोज क्रमभद हो। 🙏
@dhruvpatel74575 ай бұрын
Ma kaali ka adesh he malechho ka ham nas kre.om kali🚩
@anannyapearl97205 ай бұрын
म्लेच कई प्रकार के हैं यहूदी, क्रिस्टियन, मुल्लाह... इन तीन से और भी अनगिनत प्रकार पैदा हुए हैं... फिर, जो भी जानवर खाता है वो भी म्लेच... जो भी मारने कि सोचता है वो भी
@Somnath-v7i5 ай бұрын
Today is Bengali New year day.suvo navo varsho (means happy new year).
@arghahalder43715 ай бұрын
Hare Krishna ❤️❤️
@sikendramandalarya18505 ай бұрын
Jay Mata rani
@ramapirstudio185 ай бұрын
गौतम बुद्ध श्रीहरि के अवतार हैं?? मे नीचे दिए गए प्रमाणो के कारण confused हु 🥺प्रभुजी महाभारत: शांतिपर्व अध्याय 348 श्लोक 43 और अग्नि पुराण: अध्याय 16 श्लोक 1 और 2 विष्णुधर्म पुराण (पूर्व) : अध्याय 66 श्लोक 68 to 71 में उनके पिता का नाम शुद्धोधन बताया गया है 😐 इसलिए में ज्यादा CONFUSED हु कृपया मार्गदर्शन करें गुरूजी 🥺 प्लीज़ detail video बनाए 🙏
गुरुजी गौतम बुद्ध श्रीहरि के अवतार हैं ?? मे नीचे दिए प्रमाणो के कारण confused हु🥺 प्रभुजी महाभारत: शांतिपर्व अध्याय 348 श्लोक 43 और अग्नि पुराण: अध्याय 16 श्लोक 1 और 2 विष्णुधर्म पुराण (पूर्व) : अध्याय 66 श्लोक 68 to 71 में उनके पिता का नाम शुद्धोधन बताया गया है 😐 इसलिए में ज्यादा CONFUSED हु कृपया मार्गदर्शन करें गुरूजी 🥺 प्लीज़ detail video बनाए 🙏
@abhayverma83565 ай бұрын
हमारा सनातन धर्म का ज्ञान बहुत अद्भुत है। जय जय श्री राम 🙏🙏🚩🚩
@dimpymain5 ай бұрын
Kai baar Maan..me adhyatma se jude prashna ate hain....Prabhu kripa se aap n aap k videos madhyam bante Hain un k uttar k liye... Last time man me sawal tha...kya ye duniya tavi exist karti h jab hum dekte hain...jawab aap k wo cat experience Wale video se mila Me kuch year se adwet Marg me hu...par jaise ki childhood practice h bhagwan ko alag se vigrah he samaj ne ki...kavi kavi...bhakti karne lagti hu...to lagta tha kahin me adwet k Marg se bhatak to ni Rahi....uska uttar v Aaj aap k video se mila... Aapka bahut bahut dhanyawad 🙏🙏🙏
@HyperQuest5 ай бұрын
जी हर्ष हुआ जानकर कि आपकी किसी प्रकार से मैं सहायता कर पाया । और आभारी हूँ की आप मुझे सुनती हैं 🙏🏻
@sanatangyan10565 ай бұрын
😊माता दुर्गा भगवान श्री कृष्णा की आद्या शक्ति है सब कुछ वही करती है
@ashutoshmehra23325 ай бұрын
Maa hi shri krishna hai , aur shakti toh woh sab ki hi hai 😊
@subhajitdutta2865 ай бұрын
Krishn is maya of Almighty Adya Shakti 😊
@saurabh31785 ай бұрын
@@ashutoshmehra2332Durga is a not Shree Krishna but Krishna is a Durga
@unicorn85975 ай бұрын
Bhagwan Sri Krishna hi alag alag Roopo mein Lila kar rahe hai.❤
@subhajitdutta2865 ай бұрын
@@unicorn8597 it's abyakt(unmanifested) Parbrahm not Krishna(manifestation of Vishnu)
@ramapirstudio185 ай бұрын
गौतम बुद्ध श्रीहरि के अवतार हैं?? अग्नि पुराण में उनके पिता का नाम शुद्धोधन है प्लीज़ detail video बनाए 🙏 में बहुत Confused हु 😐 कई लोग उन्हें श्रीहरि के अवतार नहीं मानते। प्लीज़ details video बनाए 🙏
@VarshaSingh-bs8dm5 ай бұрын
Radhe Radhe
@vikramsharma58305 ай бұрын
Jai mata Di ❤🚩🚩🚩
@vikaschoudhary15385 ай бұрын
जय माता दी❤❤ मुझे आपसे एक प्रश्न पूछना था, कि कुछ लोग एक दूसरे के संप्रदाय के देवी देवताओं के बीच छोटे या बड़े का भेदभाव करते हैं| यह तो चलो सदियों से चलता आ रहा है पर आजकल यह और बढ़ गया है, ज्यादातर वैष्णव मे.. हम किसी देवी देवता मे अंतर ना करते हैं ना समझते हैं, पर कोई जिनको हम सबसे ज्यादा पूजते हैं, वो जब ये कह देते हैं कि ये थोड़ी तुमको पार लगा सकते हैं,तुम्हे केवल कृष्ण या विष्णु ही पार लगा सकते हैं तो हमें बहुत बुरा लगता है... तो इस पर कृपया कोई टिप्पणी कीजिये... हमारे लिए श्री कृष्ण, राम, विष्णु, शिव, देवी शक्ति सब एक समान हैं ❤❤❤
@7385naresh5 ай бұрын
जय श्री राम
@annapoorna65645 ай бұрын
Jai maa aadi shakti...jai maa durga ...jai jai anant baar maa mahadurga❤❤❤❤
@Mysteriousworld_3335 ай бұрын
Plz give a video on shiv tatva 🙏
@funtime81595 ай бұрын
Dear Sir, बहुत सारे लोग ग्रंथो में दिखाते है कि श्री राम जी वन में शिकार करते थे जिसमें जानवर शामिल होते थे। कुछ जगह पर यज्ञ हवन आदि में घोड़े का मांस और चर्बी का उपयोग किया जाता था ये भी लिखा गया है। आपसे अनुरोध है को इस विषय पर जो कुछ त्रुटियां हो उनपर प्रकाश डालें।
@HyperQuest5 ай бұрын
जी इस विषय पर भी वीडियो लायेंगे 🙏🏻
@victordey8855 ай бұрын
🙏🏻Jai Maa Durga🙏🏻
@Bhargav-m3v5 ай бұрын
જય માં ખોડીયાર માતાજી જય હો માં ચામુંડા માતાજી જય હો યોગેશ્વર કૃષ્ણ ભગવાન 😊❤