Рет қаралды 360,514
Channel- Sunil Batta Films
Film Title- “Teen Varsh” ( Part- 2)
(Based on Novel “Teen Varsh” Written By Padam Bhushan Bhagwati Charan Verma)
Produced & Directed by Sunil Batta, Story-Padam Bhushan Bhagwati Charan Verma, Music-Uttam Chatterji, Associate Director- Bharat Chopra, Camera-Madhu Naidu, Screen Play-Dhirendra Verma,Anees Jamal, Make up-Hem Singh & Roopraj Singh, Astt Makeup- Boby Nigam, Edit-Prakash Muath, Voice-S H Mehndi,Singer-Swati Rizvi, Production-Ajeet Srivastava,Mohinder Agarwal, Kirti Prakash,Vijay Tiwari,Cast- Shekhar Suman,Jaya Bhattacharya,Gauri Sagan,Dinesh Shakul,Asifa Khan,Anis Jamal,Vijay Vikram, Babla Cocher, Manjul Azad, Binny Sharma,Naval Shukla,Azizudin Khalid, V D Gaur,Nidhi Vikram,Vijay Vastava,Mradula Bhardwaj,Saeed,Rajender Tiwari,Naveen Srivastava, Back Ground Music- Uttam Chatterjee & You Tube Music.
कथासार- “तीन वर्ष” (भाग - 2)
“तीन वर्ष” के पिछले भाग में आपने देखा कि रमेश और प्रभा न जाने किस आकर्षण में बंधे एक दूसरे की ओर खिंचते ही चले जा रहे हैं हालांकि दोनों के व्यक्तित्व और पृष्ठभूमि में जमीन आसमान का अन्तर है रमेश भारतीय संस्कारों में पला बढ़ा मध्यमवर्गीय युवक है जबकि प्रभा पाश्चात्य संस्कारों से पोषित उच्चवर्गीय युवती है। रमेश की दृष्टि में प्रेम का स्थान बहुत ऊंचा है जबकि प्रभा के लिए यह मनोरंजन का ही एक स्वरूप है। कुंवर अजीत प्रताप सिंह इन दोनों के बीच बढ़ते आकर्षण और पनपते प्रेम की अन्तिम परिणिति से अच्छी तरह परिचित हैं उन्हें मालूम है कि प्रभा का कुछ भी नहीं बिगड़ेगा लेकिन रमेश लहूलुहान हो जायेगा......इसी आशंका से वह बार बार अपने सरल हृदय मित्र को आगाह करना चाहते हैं पर रमेश यही समझता है कि अजीत उनके सम्बंधों के प्रति ईष्र्यालु हो रहा है इस बीच इलाहाबाद से प्रभा की एक सहेली लीला घूमने फिरने के इरादे से लखनऊ आती है। इलाहाबाद में उसके प्रेमियों की लम्बी सूची है...... प्रभा लीला की मुलाकात रमेश और अजीत प्रताप दोनों ही से कराती है......अजीत का ऐश्वर्य और वैभव लीला को आकर्षित करता है। लीला तो घूमने फिरने के लिए ही लखनऊ आयी है उसे एक अच्छी सी कम्पनी चाहिए...... प्रभा की परीक्षाएं नजदीक हैं इसलिए वह रमेश के साथ अध्ययन करना चाहती है......सौभाग्य से लीला को अजीत की कम्पनी मिल भी जाती है......दोनों ही अवध की रंगीन शामों का आनन्द लेने लगते हैं......प्रभा और रमेश अध्ययन में लग जाते हैं लेकिन यह अध्ययन पुस्तकों का कम प्रेम का अधिक है। बीए फाइनल का रिजल्ट निकल चुका है। प्रभा फस्र्ट डिवीजन पास होती है। मौज मस्ती दावत पार्टी और तफ़रीह में ही अपना अधिकांश समय व्यतीत करने वाले कुंवर अजीत प्रताप सिंह भी फस्र्ट क्लास पास हो जाते हैं किन्तु परम् पढ़ाकू धीर गंभीर और हमेशा से टाप करता आया रमेश इस बार सेकिन्ड डिवीजन में ही अटक जाता है......ऐसा तो उसने कभी सोचा भी नहीं था। उसका दोस्त अजीत उसे समझाने की बहुत कोशिश करता है कि वह प्रभा की दोस्ती और प्यार से बाज आये......वरना बर्बाद हो जायेगा......थकहार कर कुंवर अजीत प्रताप उसे सलाह देते हैं कि इस प्रकार जीवन बर्बाद करने से तो बेहतर है वह प्रभा से शादी ही कर ले......रमेश को यह सुझाव मन माफिक लगता है।
उत्साह उमंग और भविष्य के सपने संजोये रमेश प्रभा के बगले में पहंुचता है। रमेश को अपने यहां अचानक आया देख प्रभा पुलिकित हो उठती है किन्तु रमेश जब शादी का प्रस्ताव रखता है तो वह गंभीर हो जाती है......यकाएक कोई उत्तर नहीं दे पाती बात को टालने का प्रयास करती है। रमेश जब ज्यादा ही जोश दिखाता है तो वह सीधे सीधे पूछ बैठती है उसकी मन्थली इनकम क्या है शादी के बाद क्या वह उसे यह ऐशो आरामए धन दौलत नौकर चाकर गाड़ी बंगला दे पायेगा रमेश के पांव तले जैसे जमीन निकल जाती है......यथार्थ के धरातल से टकरा कर उसके सपने चूर चूर हो जाते हैं उसे लगता है पैसे वालों के लिए प्यार भी एक व्यापार है......विक्षुब्ध मन और बोझिल कदमों से जब वह वापस अपने होस्टल के कमरे में लौटता है तो गम गलत करने के लिए उसके पास शराब के अलावा और कोई चारा नहीं था। तभी कुंवर अजीत प्रताप उसे ढूंढ़ता हुआ आता है......नशे में धुत रमेश को देखते ही वह समझ जाता है कि उसकी मोहब्बत का जनाज़ा उठ गया है। अजीत उसे दिलासा देने की कोशिश करता है कि जो हुआ ठीक ही हुआ......वह बर्बादी से बच गया......उसे तो पहले ही मालूम था इस बेमेल मोहब्बत का अंजाम क्या होगा। अजीत के दिलासा भरे स्वर बेवफाई की आग में झुलसते रमेश पर घी का काम करते हैं......वह भड़क कर अजीत को लताड़ता है कि पेसे वालों की जुबान पेैसे वाले ही समझते हैं उसी की बातें मानकर वह इस हाल में पहंुचा है। नशे में धुत चोट खाया रमेश इतना क्रोधित हो उठता है कि वह अजीत को तुरन्त कमरे के बाहर चले जाने को कहता है। अजीत नहीं मानता तो वह उसी की पिस्तौल से उस पर गोली चला देता है। अजीत बाल बाल बच जाता है। किन्तु उसका हाथ जख्मी हो जाता है। जख्मी हालत में अजीत न केवल स्वयं को सम्हालता है बल्कि होशोहवास खो बैठे रमेश को भी सहारा देता है। गोली की आवाज सुनकर होस्टल के अन्य छात्र भी आ जाते हैं पर अजीत बहाना बनाकर उन्हें टाल देता है। रमेश अपना आपा इस हद तक खो बैठेगा अजीत को इसकी उम्मीद नहीं थी......वह महसूस करता है कि वास्तव में गलती उसी की थी। राख के नीचे दबी हुयी चिंगारियों को उसने इतनी हवा दी कि वह शोले बनकर भड़क उठे। हालांकि उसने कभी भी रमेश का अहित नहीं सोचा। हां वह यह जरूर चाहता था कि रमेश संसार का हर सुख भोगे, जाने अनजाने हुयी इस गलती के लिए क्षमा मांगकर अजीत रमेश से विदा लेता है...... लीजिए पेश है ‘तीन वर्ष’ का भाग- 2
#HindiSerials
#HindiFilms
#HindiMovies
#ShekharSuman
#OldHindiFilms