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चिड़िया को उड़ने दे।मछली को तैरने दे।जुगनूँ को टिमटिमाने दे।तितली को पंख फैलाने दे।
अंडों में पल रहे जीवन को सूरज की ताप सहने दे।
एक#कोयल को एक कोयल से#मन_की_बात कहने दे।
ए-आदमी बम रहने दे ।
तेरे बम की#पॉवर से जुगनूँ के#बल्ब बुझ जायेंगे।
तेरे बम की चिंगारी से तितली के पंख जल जायेंगे।
तेरे बम के धमाके से बड़ी#मछली डर जायेंगी।
छोटी मछली तो मर जायेंगी।
तेरे बम के धमाके से…
शायद,
तेरे आँगन में खेलता तेरा भी छोटा-सा बच्चा डर जाये।
वो डरे… और भागे… भागे और गिर जाये।
गिरे और चोट लग जाये।
पर… तुझको इसका डर नहीं।
क्योंकि
तेरे पास#वेद है#हकीम है#डॉक्टर है#अस्पताल है।
#मंदिर और #मस्जिद पंडित और मौलवी की दुवा है।
इन सबके साथ माँ की फूंक संसार की सबसे बडी दवा है।
लेकिन क्या तेरे पास…
#तितली के जले हुए पंख पर लेप करने के लिए#मरहम है।
#चिड़िया के टूटे हुए पंख को सिलने के लिए सुई धागा है।
#जुगनूँ के फ्यूज हो चुके बल्ब को बदलने की#टेक्नोलॉजी है।
अगर नहीं तो बस कर सम रहने दे।
ए-आदमी बम रहने दे।
बात बेटी की विदाई की हो।
या बेटे की सगाई की हो।
या घर से किसी के नौकरी पर जाने की हो।
या हमारे भगवान श्री राम के घर वापस आने की हो।
रास्तों से दूर पत्थर और शूल होने चाहिए।
जहाँ आकर बैठेंगे हमारे भगवान श्रीराम साफ़ वहाँ की धूल होनी चाहिए।
जिन्हें खाकर चौदह वर्षों तक राम बनें हैं #मर्यादा_पुरुषोत्तम_भगवान_श्रीराम उनके खाने के लिए वही कंदमूल होने चाहिए।
राम के लिए हाथों में बम नहीं फूल होने चाहिए।
इसलिए
कलियों को खिलने दे।
भँवरों को उनसे मिलने दे।
मुस्कुराने दे।गुनगुनाने दे।
सबके जीवन में ग़म नहीं सरगम रहने दे।
ए-आदमी बम रहने दे।