आख़िर कैसे ऐसे निर्णय लिए कांशीराम ll जिससे सामाजिक राजनैतिक पृष्ठभूमि बदल दी ll

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BAHUJAN SAFARNAMA (बहुजन सफ़रनामा)

BAHUJAN SAFARNAMA (बहुजन सफ़रनामा)

Күн бұрын

#bahujanmission #kanshiram #Life_Struggle. #indianelection #leadership
मां मुझे सहेरा नहीं कफन चाहिए..
पूना से जाने के बाद साहब कांशीराम जी गांव से संपर्क खत्म हो चुका था, लेकिन परिवार के सदस्यों को यह जानकारी रहती थी कि साहब बहुत बडे़-बडे़ कार्यक्रम करते हैं तथा समाज को मानसिक रुप से तैयार करके एक निश्चित उदेश्य के लिए अपनी सारी ऊर्जा लगा रहें हैं ईसी दौर में रोपड (पंजाब) में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया | जिसमें साहब को मुख्य वक्ता के रुप में बुलाया | उधर साहब के गांव ख्वासपुर में ये सूचना मिलते ही परिवार के लोगों ने आपस में चर्चा की और साहब की माता बिशन कौर ने साहब के पिता हरि सिंह को साहब से मिलकर घर लेकर आने का आग्रह किया तो पिता हरि सिंह जी ने कार्यक्रम मे जाने से मना कर दिया और कहा कि अगर तुम्हें जाना है तो जाओ मैं नहीं जाना चाहता |
तब माता बिशन कौर छोटे-छोटे हरबंस को साथ लेकर कार्यक्रम में पहुंच गई | वहां बहुत बडा कार्यक्रम था और भारी संख्या में भीड एकत्र थी साहब अपना लक्ष्य सामने मौजूद भीड को अपने भाषण के माध्यम से बता रहे थे | ईस नेक कार्यक्रम और साहब की ईस तरह की विचारधारा को सुनते हुए माता बिशन कौर लगातार रोती रही | जैसे ही कार्यक्रम समाप्त हुआ तो माता बिशन कौर साहब को चिपक कर जोर-जोर से रोने लगी | इतने साल बाद अपने बेटे के चेहरे का देखने के मौका मिला है तो मां की ममता न रुक सकी और जो उलाहने माता देना चाहती थी वो उलाहने देती रही | काफी देर बाद साहब ने मां को शांत किया और घर परिवार की चर्चा होने लगी | तब मां ने कहा कि बेटा समाज की रीति रिवाज के अनुसार बडे बेटे की शादी की जाती है उसके बाद छोटे की शादी की जाती है | तेरे कारण हमने छोटे बच्चों की शादी भी नहीं की है | ईसलिए घर चल मैं मरने से पहले तेरे सिर पर सहेरा देखना चाहती हूं |
साहब ईस बात पर मुस्कुराए और कहने लगे कि मां तुझे अभी भी मेरी शादी के चिंता है, गंभीर होते हुए साहब ने कहा मां मिझे सहेरा नहीं कफन दे... क्योंकि मैं मर चुका हूं | ये बात सुनकर मां और जोर से रोने लगी | बडी मुश्किल से साहब ने मां को फिर चुप किया और कहा कि मां मेरा व्यक्तिगत घर परिवार नहीं है | समस्त बहुजन समाज ही मेरा परिवार है रही बात शादी की | मैं पहले ही कह चुका हूं | मैं आजीवन शादी नहीं करुंगा | रही बात घर जाने की अगर आप लोग मेरे से मिलना चाहो तो इसी तरह क कार्यक्रमों में आकर मिल लेना क्योंकि मेरे पास समय बहुत कम है और काम ज्यादा है | ईस प्रकार लंबी बातचीत करने के बाद साहब अगले कार्यक्रम लिए आगे बढ गए और मां बिशन कौर रोते-रोते खाली हाथ गांव लौट आई |
जब एक आदमी के जीवन का निश्चित मकसद बन जाता है तो उस मिशन में जज्बातों और भावनाओं को तबज्जों नहीं दी जाती और जो आदमी भावनाओं में बहकर अपने कदम रोक देता है वह जिंदगी मैं अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर सकता |
5 दिसंबर,1993 को एक पत्रकार वार्ता में साहब से पूछा गया कि आपकी शादी कब हुई? साहब ने जवाब दिया - "मेैैंने शादी नहीं की है | जब मेरी शादी होने की बात चल रही थी तो मैंने फैसला किया कि मुझे सामाजिक और राजनीतिक जीवन में रहना है, तो मुझे शादी नहीं करनी चाहिए | मेरा कोई अपना परिवार मोहमाया का जंजाल नहीं है |"
मान्यवर कांशीराम जिन्दाबाद जिन्दाबाद...
ईस लेख को जब मेंने पुस्तक में पढा तो सोचा की गुजराती में अनुवाद करके पोस्ट करना चाहा लेकिन जो शब्द का मर्म होता है वो सही मायने मैं वाचक को समज में नही आऐगा ऐसा मुझे लगा ईसलिए जैसा था वैसा ही हिन्दी मैं पोस्ट किया..!!
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Пікірлер: 4
@monurajambedkar7528
@monurajambedkar7528 2 ай бұрын
Jay Bhim
@AjayKumar-ov4rx
@AjayKumar-ov4rx 2 ай бұрын
❤❤❤❤❤❤
@AjayPsycho332
@AjayPsycho332 2 ай бұрын
Jay bhim namo budhay sir 🙏
@Bundelkhandibhaivlog
@Bundelkhandibhaivlog 27 күн бұрын
बहुत बढ़िया भास्कर जी 💙
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How to treat Acne💉
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ISSEI / いっせい
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