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गोरखपुर जेल की तन्हाई; इसी तन्हाई में रहते थे पंडित राम प्रसाद बिस्मिल! जेल की तनहाई देखा है आपने।
जेल की दीवारों से गूंजता था यह तराना कि? सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है।
इस तन्हाई को उन्होंने साधना स्थल बना दिया था।
कुल 4 महीने 10 दिन तक राम प्रसाद बिस्मिल इन्हीं तन्हाई में रहकर भारत माता की जय के नारे लगाते थे। 19 दिसंबर 1927 की सुवह 6:30 बजे उन्हें इस तन्हाई से 30 मीटर की दूरी वाले स्थान पर फांसी दे दिया अंग्रेज हत्यारों ने जिसका प्रथम भाग हमने आपको पूर्व में दिखाया है।
जब फांसी के लिए उन्हें तन्हाई से बाहर ले आने के लिए अंग्रेज अधिकारियों ने कहा तो वे कसरत कर रहे थे।
पूछा कुछ देर में ही फांसी हो जाएगी इस कसरत का क्या मतलब?
तो उन्होंने कहा कि मैं तरोताजा रहना चाहता हूं।
मैं एक फूल हूं और बासी फूल भारत माता को नहीं चढ़ाया जाता।
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