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जय श्री राम जय मां वैष्णवी देवी
मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री रामचंद्र जी की लीला के अष्टमदिवस पर आज सीता हरण पर श्री राम विलाप जटायु काप्राण त्यागना हनुमान जी और सुग्रीव का राम जी को मिलनाबाली सुग्रीव युद्ध एवं अन्य लीलाओं का मंच अभिनय कियाजाएगा समस्त देवतूल्य जनता से विनम्र निवेदन है आप सभीअधिक से अधिक संख्या में पधारकर प्रभु का आशीर्वाद लेंऔर साथ-साथ मंच अभिनय कर रहे पात्रों एवं रामलीलाकमेटी का उत्साहवर्धन करने का कष्ट करें श्री रामलीला कमेटीइग्यारदेवी आपका हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन करती है
ऋष्यमूक पर्वत (हम्पी)- बता दें कि सुग्रीव और श्रीराम, लक्ष्मण का मिलन हम्पी में ऋष्यमूक पर्वत पर हुआ था. तब सुग्रीव बाली के भय से यहीं रहते थे. यहां पहाड़ी में एक कंदरा को सुग्रीव गुफा कहा जाता है. इस पर्वत के लिए यह भी कहा जाता है कि यहां पहले सुग्रीव अपने सचिवों सहित रहते थे. राम भी बाली के सामने नहीं आए-
हनुमानजी ने सुग्रीव को प्रभु श्रीराम से मिलाया। सुग्रीव ने अपनी पीड़ा बताई और यह भी बताया कि बाली किस तरह दूसरों की शक्ति को अपने भीतर खींच लेता है। फिर प्रभु श्रीराम ने बाली को छुपकर तब तीर से वार कर दिया जबकि बाली और सुग्रीव में मल्ल युद्ध चल रहा था।
शबरी, भगवान राम और लक्ष्मण को अपनी कुटिया में ले गई और उनकी आवभगत करने लगी, तब शबरी ने भगवान राम को जूठे बेर परोसे और रामजी बेर खाने लगे तभी लक्ष्मण बोले कि यह जूठे बेर है. आप कैसे खा सकते हैं. इस पर श्रीराम ने कहा कि यह झूठे नहीं मीठे बेर हैं. इनमें माता शबरी के प्रेम और स्नेह की मिठास है.पौराणिक कथा के अनुसार, शबरी भील समाज से थी. भील समाज में किसी भी शुभ अवसर पर पशुओं की बलि दी जाती थी, लेकिन शबरी को पशु-पक्षियों से बहुत स्नेह हुआ करता था. इसलिए पशुओं को बलि से बचाने के लिए शबरी ने विवाह नहीं किया और ऋषि मतंग की शिष्या बन गई और ऋषि मतंग से धर्म और शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त किया.