Рет қаралды 92,350
No Confidence Motion Kya Hota Hai: आंध्र प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी टीडीपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(pm narendra modi) की अगुवाई में एनडीए सरकार(nda government) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव(no confidence motion in parliament) लोकसभा में पेश कर दिया है। इस पर चर्चा जारी है। हालांकि, मोदी सरकार(modi government) इस बात को लेकर आशवस्त है कि सदन में वो इस प्रस्ताव के खिलाफ जीत हासिल कर लेगी क्योंकि उसके पास बहुमत के आंकड़े से ज्यादा सांसदों की संख्या है। बता दें कि मोदी सरकार से पहले मनमोहन सिंह(manmohan sigh) सरकार, अटल बिहारी वाजपेयी सरकार, नरसिम्हा राव सरकार, इंदिरा गांधी सरकार, नेहरू सरकार( Narasimha Rao Government, Indira Gandhi Government, Nehru Government) सभी को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा है। भारत के संसदीय इतिहास में यह 26वीं बार है जब सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है।
#noconfidencemotion #loksabha #parliamentmonsoonsession2023 #monsoonsession #amitshah #pmmodi #pmmodilive #rahulgandhi #rajyasabha #sansad
क्या है अविश्वास प्रस्ताव?
सांवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक कोई सरकार तभी काम कर सकती है जब उसे लोकसभा में बहुमत प्राप्त हो। संसदीय प्रावधानों के मुताबिक बहुमत का फैसला सिर्फ लोकसभा या विधान सभा में ही हो सकता है। जब कोई चुनी हुई और कार्यशील सरकार के खिलाफ ऐसा प्रतीत होता है कि मौजूदा सरकार जनता का विश्वास खो चुकी है और उसके खिलाफ व्यापक जनाक्रोश है तब विपक्ष उसके खिलाफ सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाकर सरकार को गिराने की कोशिश करता है। इसके लिए विपक्षी पार्टी के सांसद को लोकसभा स्पीकर को लिखित रूप से सूचना देनी पड़ती है। उस प्रस्ताव को 50 सांसदों का समर्थन होना चाहिए। जब स्पीकर उस नोटिस को मंजूरी देता है तब माना जाता है कि सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आएगा। नोटिस मंजूर किए जाने के 10 दिनों के अंदर सदन में इस पर बहस कराने और मत विभाजन कराने का प्रावधान है।
क्या है नियम 198?
देश के संविधान में अविश्वास प्रस्ताव का कोई उल्लेख नहीं किया गया है लेकिन संविधान के अनुच्छेद 118 के तहत हर सदन को अपनी प्रक्रिया बनाने का अधिकार है। लोकसभा के नियम 198 के तहत ऐसा प्रावधान किया गया है कि कोई भी सदस्य लोकसभा अध्यक्ष को सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे सकता है।
कैसे होती है प्रक्रिया पूरी?
लोकसभा अध्यक्ष से अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद सदन में बहस का दिन तय किया जाता है। उस दिन प्रस्ताव लाने वाली पार्टी को सबसे पहले चर्चा में बहस के लिए बुलाया जाता है। उसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के लगभग सभी दलों को अपनी बात रखने का मौका दिया जाता है। इस दौरान विपक्ष सरकार की नाकामियों को उजागर करता है और उसे सत्ता से हटाने के लिए सदन से सरकार के खिलाफ यानी अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट करने की अपील करता है। विपक्ष के आरोपों पर सत्ताधारी दल या गठबंधन की तरफ से भी बहस किया जाता है। सदन के नेता यानी प्रधानमंत्री भी इस बहस में भाग लेते हैं और अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हैं। चर्चा पूरी होने के बाद लोकसभा अध्यक्ष प्रस्ताव पर मत विभाजन कराता है। मत विभाजन ध्वनिमत या मतदान कराकर किया जा सकता है। अगर वोटिंग में सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाती है तो सरकार गिर जाती है। साल 1978 में मोरराजी देसाई की सरकार पहली बार अविश्वास प्रस्ताव हार गई थी। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार भी दो बार अविश्वास प्रस्ताव हार चुकी है। Jansatta is one of the leading hindi news channel, which provides all the latest and trending news of india and around the world.