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🥰जया एकादशी कब है 7 फरवरी या 8 फरवरी को । ज्ञाने श्वरी गुरुजी से #Jayaekadashi #ekadashi2025
जया एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
जया एकादशी 2025 की तिथि और समय
तिथि प्रारंभ: 9 फरवरी 2025, रात 08:40 बजे
तिथि समाप्त: 10 फरवरी 2025, शाम 06:55 बजे
पारण (व्रत तोड़ने का समय): 11 फरवरी 2025, सूर्योदय के बाद
महत्व
यह एकादशी व्रत सभी प्रकार के पापों को नष्ट करने वाला माना जाता है।
इसे करने से व्यक्ति भूत, प्रेत, पिशाच योनि से मुक्ति पाकर मोक्ष प्राप्त करता है।
भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
व्रत विधि
1. स्नान: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
2. पूजा: भगवान विष्णु की पूजा करें, तुलसी दल अर्पित करें और दीप जलाएं।
3. मंत्र जाप: "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें।
4. भजन-कीर्तन: पूरे दिन भगवान विष्णु के भजन और कीर्तन करें।
5. उपवास: निर्जला या फलाहार उपवास रखें। यदि स्वास्थ्य अनुमति न दे, तो सात्विक भोजन कर सकते हैं।
6. दान-पुण्य: ब्राह्मणों को दान देना और जरूरतमंदों की सेवा करना शुभ माना जाता है।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, स्वर्ग में देवराज इंद्र के दरबार में एक गंधर्व नृत्य कर रहा था। उसी दौरान उसकी ध्यान भंग करने वाली हरकतों के कारण भगवान इंद्र ने उसे श्राप देकर पिशाच योनि में डाल दिया। जब उस गंधर्व ने जया एकादशी का व्रत किया, तो उसे श्राप से मुक्ति मिल गई और वह पुनः अपने दिव्य स्वरूप में लौट आया।
फल और लाभ
पिशाच योनि से मुक्ति मिलती है।
मोक्ष और पुण्य की प्राप्ति होती है।
घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा और बुरे कर्मों का नाश होता है।
निष्कर्ष
जया एकादशी व्रत भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने और जीवन में पवित्रता बनाए रखने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। यदि कोई इस दिन श्रद्धा से उपवास करता है और विष्णु जी की भक्ति करता है, तो उसे जीवन में सुख-समृद्धि और मोक्ष का आशीर्वाद प्राप्त होता है।