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भक्तों नमस्कार! प्रणाम! सादर नमन और अभिनन्दन... भक्तों जैसा कि आप जानते हैं कि दर्शन दो भगवान नाम के इस यात्रा शृंखला के लिए आजकल हम राजस्थान की यात्रा पर हैं।
भक्तों इस में ज़रा भी संदेह नहीं, कि अनगिनत मान्यताओं और असंख्य परम्पराओं वाले हमारे देश का मुकुटमणि वीरभूमि, मरुभूमि, राजपूताना कहे जानेवाला राजस्थान है... दुनिया भर में पिंक सिटी के नाम से मशहूर राजस्थान की राजधानी जयपुर की जिस तरह हर बात निराली है उसी तरह यहाँ एक से एक निराले और चमत्कारी मंदिर भी मौजूद है। इन्ही चमत्कारी मंदिरों शामिल है जयपुर का मोती डोंगरी गणेश जी का मंदिर....यह मंदिर जयपुर के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
मंदिर के बारे में:
भक्तों जयपुर के प्राचीन व प्रमुख गणेश मंदिरों में से एक मोती डूंगरी गणेश जी का मंदिर भी है। इस मंदिर में लगभग 800 वर्ष प्राचीन दाहिनी सूंड़ वाले गणेशजी की विशाल मूर्ति प्रतिष्ठित है। इस मूर्ति पर सिंदूर का चोला चढ़ाकर भव्य श्रिंगार किया जाता है। यह मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। इस गणेश मंदिर में लोग दूर दूर से दर्शन करने आते हैं और गणेश जी से अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करते हैं।
नए वाहनों की होती है पूजा:
भक्तों मोती डोंगरी गणेश मंदिर, नए वाहनों की पूजा के लिए अत्यंत प्रसिद्ध है। अतः हमेशा भक्तों की भीड़ से भरे रहने वाले इस मंदिर में, राजस्थान सहित देश के अन्य शहरों से लोग दर्शन करने के साथ साथ नए अपने नये वाहनों की पूजा करवाने भी आते हैं। ऐसा माना जाता है कि गणेश जी के इस मंदिर में वाहनों की पूजा करवाने से संबन्धित वाहन दुर्घटना ग्रस्त नहीं होता है। इसलिए मोती डोंगरी गणेश मंदिर में दर्शन करने के लिए बहुत दूर-दूर से भक्त लोग आते रहते हैं।
मंदिर की स्थिति:
भक्तों जैसा कि मोती डोंगरी गणेश मंदिर नाम से स्पष्ट हो जाता है कि भगवान गणेश के इस मंदिर का संबंध मोती डूंगरी से है। विघ्नेशवर गणेश जी का यह मंदिर जयपुर के मोती डूंगरी के तलहटी में स्थित है, जिससे जयपुर सहित आसपास के अन्य श्रद्धालुओं का अटूट विश्वास जुड़ा हुआ है।
मंदिर का इतिहास:
भक्तों मोती डोंगरी गणेश मंदिर के बारे में इतिहासकारों का कहना है कि गणेश जी के ये अद्भुत प्राचीन प्रतिमा, वर्ष 1761 में जयपुर के महाराजा माधो सिंह प्रथम की ससुराल यानि महाराजा माधो सिंह प्रथम की पटरानी के पीहर (मायका) मावली गुजरात से मँगवाई गई थी। कहा जाता है कि जिस समय यह प्रतिमा लाई गयी थी उस समय ये लगभग 500 वर्ष पुरानी हो चुकी थी।
नगरसेठ द्वारा मंदिर निर्माण:
भक्तों मोती डोंगरी गणेश जी इस प्रतिमा जयपुर के नगर सेठ पल्लीवाल, गुजरात से लेकर आए थे। उन्ही की देखरेख में मोती डूंगरी मंदिर का निर्माण हुआ तथा उन्ही के द्वारा गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा करवाई गयी थी।
मंदिर की मान्यता:
भक्तों मोती डूंगरी गणेश मंदिर में यों तो हमेशा ही भक्तों की भीड़ रहती है। लेकिन बुधवार व त्योहारों के अवसर पर इस मंदिर में आनेवाले भक्तों की संख्या में आम दिनों की अपेक्षा कई गुना बढ़ोत्तरी हो जाती है। खासतौर से गणेश चतुर्थी, दोनों नवरात्रि, रामनवमी, विजयदशमी, धनतेरस और दीपावली के दिन तो इस मंदिर में आनेवाले भक्तों की संख्या लाखों में पहुँचती है। इन अवसरों पर नए वाहनों की पूजा करवाने आनेवाले भक्तगण यहाँ विराजमान गणेश जी को सिंदूर का चोला चढ़ाकर लड्डू का भोग लगाते हैं। और मनोरथ पूर्ति हेतु प्रार्थना करते हैं।
मंदिर का समय:
भक्तों मोती डूंगरी गणेश मंदिर प्रतिदिन सुबह 06:15 बजे खुलता है और शाम 07:00 बजे बंद होता है, आप यहाँ दिन के किसी भी समय में जाकर दर्शन कर सकते हैं।
नजदीकी दर्शनीय स्थल:
भक्तों अगर आप मोती डोंगरी गणेश जीमंदिर के दर्शन को जा रहे हैं और पर्यटन के शौकीन भी हैं तो आप मोती डोंगरी गणेश जीमंदिर के अलावा, गढ़ गणेश मंदिर, बिड़ला मंदिर, हवामहल, अलबर्ट हाल म्यूजियम, जंतर-मंतर, गीताभवन ,जयगढ़ किला, सिटी पैलेस, ऐतिहासिक नाहरगढ़ किला, वैष्णो देवी मंदिर, राजापार्क, जयगढ़ का किला, जवाहर सर्किल, गुरुद्वारा राजापार्क, जगत शिरोमणि चाँद पोल मंदिर, रामनिवास बाग, सागर झील, जैन मंदिर मानसरोवर, गलता मंदिर, ईशर घाट आदि घूम सकते हैं। जहां हर वर्ष लाखो की संख्या में सैलानी आते हैं।
भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन ! 🙏
इस कार्यक्रम के प्रत्येक एपिसोड में हम भक्तों को भारत के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदिर, धाम या देवी-देवता के दर्शन तो करायेंगे ही, साथ ही उस मंदिर की महिमा उसके इतिहास और उसकी मान्यताओं से भी सन्मुख करायेंगे। तो देखना ना भूलें ज्ञान और भक्ति का अनोखा दिव्य दर्शन। 🙏
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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