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जिंदगी थक गई मौत चलती रही || गोपाल दास नीरज | Gopaldas Neeraj ka geet| sahityik family
यह गीत महान गीतकार श्री गोपाल दास नीरज जी का लिखा गीत है। इसको गाया है श्री राजेन्द्र प्रसाद मिश्र जी ने।
#Gopaldasneeraj #premgeet # #तन्हा_राही_का_सफरनामा
#एक _दिन_कह_रही_थी भ्रमर से कली, होंठ जूठे किये हैं मुझे तू न छू
कह रहा था भ्रमर सुन अरी बावली, निष्कलुष मैं बनू ले मुझे चूम तू
आ गया एक झोंका तभी उस तरफ, हिल उठी डाल तो भू-गगन हिल गए
कुनमुनाई लजाई कली तो बहुत, आप ही आप लेकिन अधर मिल गए
अंत ऐसे हुआ उस मिलन का मगर, दिन सिसकता रहा रात ढलती रही
इस तरह तय हुआ साँस का ये सफ़र, जिंदगी थक गई मौत चलती रही
एक दिन ज़िंदगी की कड़ी धूप मे, दो पखेरू मिले मुक्त नभ के तले
कुछ ना बोले ना डोले ना कुछ बात की, हो गया प्यार लेकिन नयन जब मिले
होंठ ज्यों ही उठे तो नियती हंस पड़ी, आँधियाँ चल पड़ी तम बरसने लगा
छूट गया हाथ से हाथ भीगा हुआ, गालियाँ मार संसार हँसने लगा
और फिर यूँ कटी विरह की निशा, स्नेह बुझता रहा रात जलती रही
इस तरह तय हुआ साँस का ये सफ़र, जिंदगी थक गई मौत चलती रही।
@गोपालदास नीरज
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