काशी के रक्षक बाबा विश्वनाथ की कहानी | Kashi Vishwanath Temple | By Vipendra Singh Chauhan

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काशी विश्वनाथ मंदिर, जो भगवान शिव को समर्पित है, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी (प्राचीन नाम काशी) में स्थित एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। इसे हिंदू धर्म के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक माना जाता है, और इसका उल्लेख हिंदू ग्रंथों और पुराणों में मिलता है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिनकी हिंदू समाज में अत्यधिक मान्यता है। इसे 'काशी का कोतवाल' और 'विश्वनाथ' के नाम से भी जाना जाता है, जो यह दर्शाता है कि भगवान शिव स्वयं इस नगरी के रक्षक हैं।
मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
वाराणसी को दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में से एक माना जाता है, और इसका धार्मिक महत्व हजारों वर्षों पुराना है। काशी विश्वनाथ मंदिर का संबंध वाराणसी की इस प्राचीनता से है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का अस्तित्व वैदिक काल से है। यह स्थल हिंदू धर्म में मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है और इस मंदिर के दर्शन मात्र से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिल जाती है।
इस मंदिर का इतिहास उतार-चढ़ाव भरा रहा है। इसका कई बार विनाश और पुनर्निर्माण हुआ है। 11वीं शताब्दी में मुहम्मद ग़ज़नी के आक्रमण के दौरान इसे पहली बार नष्ट किया गया था। इसके बाद, 12वीं शताब्दी में राजा विजयचंद ने इसका पुनर्निर्माण करवाया। लेकिन मुगल बादशाह औरंगज़ेब के शासनकाल में इसे फिर से तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनाई गई। हालांकि, काशी विश्वनाथ का मूल ज्योतिर्लिंग मस्जिद के पास ही सुरक्षित रखा गया था। 18वीं शताब्दी में मराठा महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने इस मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया और इसे वर्तमान रूप प्रदान किया।
वास्तुकला और संरचना
काशी विश्वनाथ मंदिर की वास्तुकला अत्यंत आकर्षक है। यह उत्तर भारतीय नागर शैली में बना हुआ है, जिसमें सोने का शिखर विशेष रूप से ध्यान खींचता है। महाराजा रणजीत सिंह ने 1835 में मंदिर के शिखर के लिए 1 टन सोने का दान दिया था, जिससे यह मंदिर और भी भव्य दिखाई देता है। मंदिर के चारों ओर संकरी गलियों में बाजार और भक्तों की भीड़ रहती है, जो इस पवित्र स्थल की महत्वपूर्णता को और बढ़ाते हैं।
मंदिर परिसर में मुख्य रूप से भगवान विश्वनाथ (शिव) का ज्योतिर्लिंग स्थापित है। इसके साथ ही मंदिर के भीतर देवी अन्नपूर्णा, भगवान गणेश और भगवान विष्णु के भी छोटे मंदिर स्थित हैं। ज्ञानवापी कुआं, जिसे औरंगज़ेब के समय मंदिर के नष्ट होने के दौरान भगवान शिव के शिवलिंग को छिपाने के लिए बनाया गया था, भी परिसर के पास स्थित है।
धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन
काशी विश्वनाथ मंदिर में साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन विशेषकर महाशिवरात्रि, सावन, और काशी कार्तिक पूर्णिमा के समय यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। महाशिवरात्रि के दिन इस मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया जाता है। इस दिन भगवान शिव की महिमा का गुणगान किया जाता है और भक्त पूरी रात जागकर भक्ति में लीन रहते हैं। सावन के महीने में लाखों श्रद्धालु काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए आते हैं और जलाभिषेक करते हैं। इसके अलावा, हर साल यहां हजारों कांवड़िये दूर-दूर से आकर भगवान शिव को गंगाजल अर्पित करते हैं।
काशी विश्वनाथ मंदिर भारतीय संस्कृति का प्रमुख केंद्र भी है। वाराणसी को भारतीय शास्त्रीय संगीत और साहित्य का गढ़ माना जाता है, और यह मंदिर इन सांस्कृतिक धरोहरों से गहराई से जुड़ा हुआ है। मंदिर परिसर और उसके आसपास संगीत, नृत्य, और धार्मिक अनुष्ठान नियमित रूप से आयोजित किए जाते हैं, जिनमें भाग लेने के लिए भारत और विदेशों से कलाकार और भक्त आते हैं।
मंदिर के आसपास के स्थल
काशी विश्वनाथ मंदिर के निकट कई अन्य धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल भी हैं, जो इसे एक महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा का केंद्र बनाते हैं। मंदिर के पास ही स्थित है दशाश्वमेध घाट, जहां गंगा आरती का आयोजन किया जाता है। हर शाम इस घाट पर गंगा नदी की आरती की जाती है, जिसमें सैकड़ों भक्त और पर्यटक हिस्सा लेते हैं। यह घाट वाराणसी के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है और यहां स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है, ऐसा मान्यता है।
इसके अलावा, मंदिर के पास ही सारनाथ स्थित है, जहां भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। यह स्थल बौद्ध धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल है और यहां पर विभिन्न बौद्ध स्तूप और मंदिर स्थित हैं। वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर और इसके आसपास के स्थल धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों के अनमोल खजाने हैं, जो भारत की प्राचीनता और उसकी आध्यात्मिक समृद्धि को दर्शाते हैं।
काशी विश्वनाथ धाम परियोजना
हाल ही में, काशी विश्वनाथ मंदिर को और भी अधिक भव्य और सुविधाजनक बनाने के लिए काशी विश्वनाथ धाम परियोजना का शुभारंभ किया गया। इस परियोजना के तहत मंदिर के चारों ओर की जगह को विस्तारित किया गया है और भक्तों के लिए सुविधाजनक प्रवेश और पूजा की व्यवस्था की गई है। यह परियोजना 2021 में पूरी हुई और इसके तहत मंदिर के आसपास की संकरी गलियों को चौड़ा किया गया, जिससे भक्तों को मंदिर तक पहुंचने में आसानी हो सके।
काशी विश्वनाथ मंदिर भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का एक अद्वितीय प्रतीक है। यह मंदिर न केवल आध्यात्मिक केंद्र है, बल्कि यह भारतीय इतिहास, कला और संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग भी है। इसके दर्शन मात्र से भक्तों को अद्वितीय शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। काशी विश्वनाथ मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व इसे हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण स्थलों में से एक बनाता है, और हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आकर भगवान शिव की कृपा प्राप्त करते हैं।

Пікірлер: 6
@saurabhdubey3239
@saurabhdubey3239 12 күн бұрын
Har har mahadev
@khushbuchaudhary-ox7to
@khushbuchaudhary-ox7to 3 ай бұрын
Har Har Mahadev
@Cutebaby12277
@Cutebaby12277 2 ай бұрын
Har Har Har Mahadev
@bholusharma2827
@bholusharma2827 3 ай бұрын
Beauty of India 🙏
@chandankumarmahatha1214
@chandankumarmahatha1214 Ай бұрын
Prabhu maa sab Devi dewata
@PrachiVarshney-t4v
@PrachiVarshney-t4v 3 ай бұрын
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Toshleh
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