अनंत का अर्थ जिसका अंत न हो।लक्ष्मण पात्र अंत में असत्य को सत्य सिद्ध कर रहे हैं।राम के चरित्र अलग-अलग हैं किन्तु कथा एक है इसे हर व्यक्ति नहीं समझेगा।कल्प कल्प प्रभू चरित अनेका। रामचरितमानस के चारो घाटों पर होने वाली कथा एक है।कथा समस्त भसुण्डि बखानी,जो में तुम सन कहीं भवानी। हरि अनंत हरि कथा अनंता। अर्थात भगवान का कोई अंत नहीं है तथा भगवान की कथा का भी कोई अंत नहीं है। प्रवचन बहुत आनंदमय था किन्तु इसमें हार जीत नहीं होती। परशुराम पात्र अपनी बात को स्वीकार करते हैं कि हमने जाना नहीं,सों उचित है किन्तु लक्ष्मण पात्र को अपनी विजय का अहं नहीं होना चाहिए बात वहीं समाप्त कर देनी चाहिए। जय श्रीराम