कानुड़ा थारी लागे छवि प्यारी बिरज म बाँसुरी बाज़ी ।। मीरां महला उतरी रे छापा तीलक लगाय । बतलाई बोल न हीं रे राणों रयों रिझाय रे।1 मीरा ऊभी गोखडे रे, उंटा कसीयो भार । दाव छोडयों मेडतो रे ,सीदी पुष्कर जाय रे।2 जहर पीयालो राणों भेजीयो रे दयो मीरां न जाय । कर चरणा मृत प़ी गयी रे,थे जानों यदुनाथ रे ।3 सर्प पिटारो राणों भेजियो रे दयो मीरां न जाय , खोल पिटारो मीरां पेरीयो रे बनग्यों नोसर हार रे।4 राणों मीरां पर कोपियों रे सूत लयी तलवार मारया प्रायछित लागसि रे पीवर दयो पहुचाय रे 5 मीरां हर की लाडली रे,राणों बन को ठूंठ । समझाया समझयो नही रे ले ज्याति बेकुंट रे ।6 बोल मीरां के श्याम की