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कान्हा गुजरी का खेल,भारत में एक नंबर गवरी खेल सुपर rajasthan ki popular gavri palana kala gavri 2023
इस खेल में प्रेमसूखा की शानदार कॉमेडी है मजा आ जाएगा
कान्हा गुजरी का बहुत अच्छा डांस है और Venda vendi ki comedy hai jordar
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पलाना की गवरी कान्हा गुजरी का खेल 2023
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खाकल बावजी के यहां गवरी 2023
मेवाड़ क्षेत्र में किया जाने वाला यह नृत्य भील जनजाति का प्रसिद्ध नृत्य है। इस नृत्य को सावन-भादो माह में किया जाता है। इस में मांदल और थाली के प्रयोग के कारण इसे ' राई नृत्य' के नाम से जाना जाता है। इसे केवल पुरुषों के दुवारा किया जाता है। वादन संवाद, प्रस्तुतिकरण और लोक-संस्कृति के प्रतीकों में मेवाड़ की गवरी निराली है। गवरी का उदभव शिव-भस्मासुर की कथा से माना जाता है। इसका आयोजन रक्षाबंधन के दुसरे दिन से शुरू होता है। गवरी सवा महीने तक खेली जाती है। इसमें भील संस्कृति की प्रमुखता रहती है। यह पर्व आदिवासी जाती पर पौराणिक तथा सामाजिक प्रभाव की अभिव्यक्ति है। गवरी में मात्र पुरुष पात्र होते हैं। इसके खेलों में नरसि मेहता,गणपति,खाडलिया भूत,काना-गुजरी, जोगी, लाखा बणजारा इत्यादि के खेल होते हैैं। इसमें शिव को "पुरिया" कहा जाता है। इस पर्व में नाटक के दौरान भिन्न-भिन्न प्रकार के खेल दिखाते है, जिसमें राजा-रानी, कालू कीर, बंजारा, हटिया, कालका माता, काना गुजरी, चोर-सिपाही, देवी अम्बा, मीणा का खेल, बादशाह की फौज और वीरजारा जैसे प्रमुख किरदार का रोल किया जाता है। इस नाटक को देखने के लिए लोग रात-रात भर जागते रहते हैं।
गबरी में चार तरह के पात्र होते हैं- देवता, मनुष्य, राक्षस और पशु।
मनुष्य पात्र
भूडिया
राई
कुटकड़िया
कंजर-कंजरी
मीणा
बणजारा-बणजारी
दाणी
नट
खेतूडी
शंकरिया
कालबेलिया
कान-गूजरी
भोपा
फत्ता-फत्ती
दानव पात्र
गबरी के दानव पात्र क्रूर तथा दूसरों को कष्ट देने वाले होते हैं। इनके सिर पर सींग तथा चेहरा भयानक होता है। इनमें प्रमुख पात्र है:
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