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दी लल्लनटॉप के संपादक सौरभ द्विवेदी आपको इस वीडियो में आनंद महल की पूरी कहानी बताएँगे. साथ ही जानिये की आखिर कैसे हुआ आनंद पाल का एनकाउंटर.
सन 1997 की बात है. पढ़ाई-लिखाई में ठीक रहा आनंदपाल सिंह बीएड कर चुका था. पिता हुकुम सिंह चाहते थे कि वो सरकारी मास्टर बन जाए. आनंद की शादी को पांच साल हो गए थे. चुनांचे उसे लाडनूं में एक सीमेंट एजेंसी दिलवा दी गई. गरज यह थी कि प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के साथ-साथ रोजगार का कुछ स्थाई बंदोबस्त भी किया जा सके.
आनंदपाल तब तक अपने लिए अलग राह चुन चुका था. उसका विचार राजनीति में जाने का था. 2000 में जिला पंचायत के चुनाव हुए. आनंदपाल ने पंचायत समिति का चुनाव लड़ा और जीत गया. इसके बाद पंचायत समिति के प्रधान का चुनाव होना था. आनंदपाल सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर पर्चा भर दिया. उसके सामने था कांग्रेस के कद्दावर नेता हरजी राम बुरड़क का बेटा जगनाथ बुरड़क.
ये चुनाव आनंदपाल महज दो वोट के अंतर से हार गया. लेकिन अनुभवी नेता रहे हरजीराम को समझ में आ गया कि यह नौजावन आगे खतरा बन सकता है. नवंबर 2000 में पंचायत समिति में साथी समितियों का चुनाव था. इस वक़्त आनंदपाल और हरजी राम के बीच तकरार काफी बढ़ गई. ऐसा बताया जाता है कि सबक सिखाने की गरज से हरजी ने आनंद के खिलाफ कई झूठे मुकदमे दायर करवा दिए. इन मुकदमों में उसे पुलिस टॉर्चर झेलना पड़ा और उसके कदम अपराध की दुनिया की ओर बढ़ गए.
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Produced By: The Lallantop
Edited By: Varun Sharma