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रहस्यमय जंगल का खौफ"The horror of the mysterious forest
एक खौफनाक और रोमांचक कहानीA terrifying and thrilling story
रहस्यमय जंगल का खौफ
शाम का समय था, सूरज धीरे-धीरे ढल रहा था और जंगल में अंधेरा पसरने लगा था। विशाल, घना और रहस्यमय जंगल अपनी गोद में कई अनसुलझे रहस्यों को छुपाए हुए था। अनिल और उसकी दोस्त मीरा ने सुना था कि इस जंगल के बीचों-बीच एक पुरानी और खंडहर हो चुकी हवेली है, जहाँ रात में अजीबोगरीब आवाजें आती हैं।
"क्या तुम सच में वहां जाना चाहती हो?" अनिल ने थोड़े घबराए हुए स्वर में पूछा।
"हाँ, मैं जानना चाहती हूँ कि वहाँ क्या है।" मीरा ने आत्मविश्वास से कहा।
दोनों ने टॉर्च और पानी की बोतलें लीं और जंगल की ओर चल पड़े। कुछ देर बाद, उन्हें एक छोटी पगडंडी दिखाई दी जो घने पेड़ों के बीच से गुजरती हुई हवेली की ओर जाती थी। दोनों धीरे-धीरे उस पगडंडी पर चलने लगे। जंगल की खामोशी और पक्षियों की रहस्यमय आवाजें वातावरण को और भी डरावना बना रही थीं।
कुछ समय बाद, उन्हें हवेली का धुंधला सा रूप दिखाई दिया। हवेली खंडहर हो चुकी थी, उसकी दीवारें टूटी-फूटी और जर्जर थीं। अनिल और मीरा ने हिम्मत जुटाई और अंदर प्रवेश किया। हवेली के अंदर का दृश्य और भी भयावह था। चारों ओर जालों का जाल बिछा हुआ था और फर्श पर धूल की मोटी परत जमी हुई थी।
तभी, अचानक एक जोर की आवाज आई, जैसे कोई भारी दरवाजा अपने आप बंद हो गया हो। अनिल और मीरा चौक गए। "ये आवाज कहाँ से आई?" मीरा ने फुसफुसाते हुए पूछा।
"शायद ऊपर के कमरे से," अनिल ने अंदाजा लगाया। वे धीरे-धीरे सीढ़ियों की ओर बढ़े। सीढ़ियाँ चढ़ते समय उनके कदमों की आवाज और भी गूंजने लगी। ऊपर पहुँचकर उन्होंने देखा कि एक कमरा खुला हुआ था और उसकी खिड़की तेज हवा से थपथपा रही थी।
जैसे ही वे कमरे के अंदर गए, एक पुराना संदूक उनकी नजरों के सामने था। संदूक के ऊपर एक पुराने समय की चाबी रखी हुई थी। "शायद इसमें कुछ राज छुपा हो," मीरा ने कहा और चाबी उठाकर संदूक का ताला खोलने लगी। ताला खुलते ही संदूक के अंदर एक पुरानी डायरी और कुछ धूल से ढकी चीजें निकलीं।
मीरा ने डायरी उठाई और उसे पढ़ने लगी। डायरी में लिखा था कि इस हवेली के मालिक, राजवीर सिंह, ने अपनी सारी दौलत इस संदूक में छुपाई थी और जो भी इसे पाएगा, वह इस दौलत का मालिक बनेगा। लेकिन डायरी के आखिरी पन्ने पर एक चेतावनी थी: "जो भी इस दौलत को पाने की कोशिश करेगा, वह कभी जिंदा नहीं बचेगा।"
तभी, हवेली में फिर से एक जोर की आवाज गूंजी और कमरा हिलने लगा। अनिल और मीरा ने फौरन संदूक को छोड़ दिया और तेजी से बाहर की ओर भागे। वे जंगल की पगडंडी पर वापस दौड़ने लगे, उनके दिल की धड़कनें तेज हो गई थीं।
जब वे जंगल से बाहर निकले, तो उन्हें अहसास हुआ कि वे शायद किसी बुरी शक्ति से बच निकले थे। दोनों ने तय किया कि वे फिर कभी उस हवेली की ओर रुख नहीं करेंगे।
हवेली के रहस्य और उसका खौफ उनके दिलों में हमेशा के लिए बस गया था, और वे कभी भी उस अंधेरे जंगल की ओर लौटने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।