Рет қаралды 904,284
कटेरी......... कटेरी एक प्रकार का जंगली व कांटेदार पौधा होता है जो झाड़ी के रूप में जमीन पर चारों ओर 1 से 4 फुट में फैली होती है कटेरी उष्ण प्रकृति की होती है | उष्ण वीर्य होने के कारण अग्निदिपन, पाचक, कृमि और मल को रोकनेवाली होती है | वनौषधि के रूप में प्राप्त होने वाली गृहणी, कृमिरोग, उल्टी , पेटदर्द व अजीर्ण में बहुत लाभ पहुंचाती है | कटेरी को हृदय की दुर्बलता व सुजन में बहुत गुणकारी माना गया है | साथ ही रक्त विकारों को दूर करने में भी फायदेमंद साबित होती है
अगर सिरदर्द की समस्या होतो कटेरी के फूलों का रस निकालकर इसके रस का लेप सिर पर करने से जल्द ही आराम मिलता है |
स्त्रियों के ढीले स्तनों की समस्या में कंटकारी की जड़ के साथ अनार के पेड़ की जड़ की छाल को दोनों को पीसकर इसका लेप स्तनों पर करने से जल्द ही स्तन कठोर होने लगते है |
ज्वर होने पर कटेरी की जड़ और बराबर मात्रा में गिलोय को लेकर इनका काढ़ा बना ले | इस काढ़े के उपयोग से बुखार जल्द ही ठीक होने लगता है |
आमवात में कंटकारी के पतों का रस निकाल ले | इस रस में कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर स्थानिक प्रयोग करने से आमवात जल्द ही ठीक होने लगता है |
गंभीर खांसी की समस्या होने पर कटेरी के बीज, अडूसा, पुष्कर्मुल, कालीमिर्च, पिप्पली और अगर - इन सभी को सामान मात्रा में लेकर इनका चूर्ण बना ले | तैयार चूर्ण में से 250 mg से 500 mg तक की मात्रा में शहद के साथ मिलकर चाटने से आराम मिलता है
#कटेरीकेफायदे
#Kateri Plant
#Yellowfruitnightshade
#ભોરીંગણી