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lyric and voice...ajay nathani...
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मंगलगाथा सुनलों इक थी माँ नारायणी...
राणीसती है नाम...झुन्झुनू मे है धाम..
बोलो जय नारायणी..
मंगलगाथा सुनलों इक थी माँ नारायणी...
राजस्थान की है ये कहानी...डोकवा मे जन्मी नारायणी
अग्रवाल गुरसामल के घर...भगवती आई थी खुद चल कर
जन्मकुंडली मे ये लिखा था...अमर सुहाग का साथ रचा था
किन्तु पति सुख नहीं लिखा था...अजब नियति का योग रचा था
पूर्वजन्म की परिनिति थी...अभिमन्यु की वो पत्नी थी
गर्भवती थी उत्तरा उस दिन...पति संग सती का योग था जिस दिन
कृष्ण ने उसका मान किया था...उसको ये वरदान दिया था
कलियुग मे जब जन्म मिलेगा...सती धर्म तेरा पूरा होगा
विधि का सब है विधान...करलो मंगल गान...बोलो जय नारायणी
मंगलगाथा सुनलों इक थी माँ नारायणी...
प्यार पिता का माँ का आँचल...नारायणी को मिलता हरपल
बचपन से ही चतुर-चपल थी...विद्यावान अति चंचल थी
खेलत कुदत बीता बचपन...बीते उम्र के तेरह सावन
मात-पिता को चिंता सताई...बेटी व्याह के योग्य हो आई
पूछन लागे सबसे मिलकर...ढूंढन लागे पूत्री का वर
जन्म लिया जिस हेतु नारायणी...आगई थी वो घड़ी सुहानी
होना था जो प्रभु ने रांचा...मिलता दूजा वर क्यूँ साँचा
जनम-जनम की प्रीत का नाता...उत्तरा को अभिमन्यु भाता
विधि का सब है विधान...करलो मंगल गान...बोलो जय नारायणी...
मंगलगाथा सुनलों इक थी माँ नारायणी...
पति और पत्नी का ये नाता...परिणय सूत्र मे जो बंध जाता
रिश्ता ये सब प्रभु बनाते...हम मानुष बस मिलन कराते
बंधन ये नहीं एक जनम का...रिश्ता है ये जन्म-जन्म का
नारायणी ने वही वर पाया...जन्मो जिसने साथ निभाया
अभिमन्यु भी पुनर्जन्म मे आया था अब तनधन बन के
विधि ने दोनों कुल को मिलाया...मात-पिता ने व्याह रचाया
व्याह हुआ था उनका निराला...गौना एक बरस को टाला
नारायणी अब बन के सुहागन...रहे बरस भर माँ के आंगण
विधि का सब है विधान...करलो मंगल गान...बोलो जय नारायणी...
मंगलगाथा सुनलों इक थी माँ नारायणी...
पिता तनधन के जालीराम थे...नगर हिसार के वो दीवान थे
थे नवाब के सबसे प्यारे...किन्तु हुआ जो विधि ने रचा रे
घुड़सवार अच्छा था तनधन...घोड़ी उसकी अति विलक्छन
पुत्र नवाब के मन को भाई...पर तनधन ने किया मनाही
तब शहजादा जिद मे समाया...घोड़ी चुराने रात को आया
अनजाने मे हाथों तनधन...शहजादे का हो गया मर्दन
उसी रात तंधन परिवारा...छोड़ हिसार का वैभव सारा
शाह नवाब से जान बचा के...नगर झुन्झुनू बस गए जाके
विधि का सब है विधान...करलो मंगल गान...बोलो जय नारायणी...
नियति हाथों पुत्र गवांकर...था नवाब ये सौगंध खा कर
जब तक न तंधन मारूँगा...और न कोई काम करूंगा
लगे बीतने दिन पर दिन जब...एक बरस भी बीत गया जब
दूत नवाब संदेशा लाया...सेना को षड्यन्त्र बताया
उधर नारायणी के घर से भी...गया संदेशा झुन्झुनू मे भी
गुरसामल ने भेजा बुलावा...नारायणी का हो मुकलावा
होने लगी सारी तैयारी...उधर नवाब को खबर थी सारी
होनी मे अब क्या है लिखा था...कौन ये जाने किसको पता था
विधि का सब है विधान...करलो मंगल गान...बोलो जय नारायणी...
कठिनाई की घड़ी वो आई...नारायणी की अब थी विदाई
मात-पिता संग आस पड़ोसी...सब पर छाई थी खामोशी
सोलह विधि श्रिंगार रचाके...माथे बिंदी सुहाग लगा के
तनधन संग जब चली नारायणी...छलका सबकी आँख से पानी
नारायणी तनधन की सवारी...चली झुन्झुनू राह थी भारी
घुडचालक उनका था राणा...नारायणी ने उसे पहचाना
वीरों का भी वीर था राणा...था तंधन से साथ पुराना
पूर्वजन्म का महारथी था वो...अभिमन्यु का सारथी था वो
विधि का सब है विधान...करलो मंगल गान...बोलो जय नारायणी...
उधर नवाब को सब ये पता था...बीच राह जंगल मे छुपा था
लाया था सेना को सीखा कर... करना हमला घात लगाकर
नारायणी तनधन की सवारी...चली झुन्झुनू राह थी भारी
किया नवाब ने उन पर हमला...लेना था उसे पुत्र का बदला
बागडोर तनधन ने संभाली...भाला और तलवार निकाली
राणा संग कौशल दिखलाए...सत-सत योद्धा मार गिराए
तभी नवाब ने इक मौके से...घेरा तनधन को धोखे से
मौका मिला न कोई उपाय...तनधन वीरगति को पाये
विधि का सब है विधान...करलो मंगल गान...बोलो जय नारायणी...
पति वीर परलोक गया अब...नारायणी को मिली खबर जब
आँखें लाल अंगारा बन गयी...दुर्गा बन नारायणी तन गयी
एक हाथ मे पति का भाला...दूजे मे कृपाण निराला
रणचंडी बन कूदी रन मे...कटने लगे शत्रु प्रांगण मे
थी नवाब की नीयत छोटी...नज़र नारायणी पर थी खोटी
नारायणी ने भर हुंकारा...मूढ़ नवाब को तब ललकारा
कर सीने तलवार प्रहारा...बनके काली उसे संहारा
गिरा नवाब जो जान गंवा के...सेना भागी पीठ दिखा के
विधि का सब है विधान...करलो मंगल गान...बोलो जय नारायणी...
बोली नारायणी राणा जाओ...चुनकर लकड़ी चिता सजाओ
शाम हुई मत देर लगाना...मुझको पति संग अब है जाना
करना है सती धर्म का पालन...तुम साक्षी हो सुनो ये वचन
नाम मेरा जब ले जग सारा...होगा तेरा नाम उचारा
भस्मी हमारी घोड़ी पे रख...चल देना तुम झुन्झुनू के पथ
जहां घोड़ी ये भस्मी गिराए...भवन वही मेरा बनवाए
मेरी ये सब बात बताकर...कहना सबको घर पे जाकर
पुत्र ने वीरगति धन पाया...बेटी ने सतिधर्म निभाया
विधि का सब है विधान...करलो मंगल गान...बोलो जय नारायणी...
राणा को सबकुछ समझा कर...ले पति को जा बैठी चिता पर
नारायणी खुश हो मुस्कावे...राणा झर-झर आँसू बहावे
सत की अग्नि सत से जलायी...चूड़े से ज्योति प्रगटाई
पति प्राणो मे जाए समाई...बोलो जय नारायणी माई
राणीसती की मंगलगाथा...जो जन सुनता सबको सुनाता
जो नारी इसे मन से ध्यावे...अमर सुहाग की ज्योति जलावे
जो नर माने महिमा इसकी...पतिव्रता भरणी हो उसकी
'नाथानी' की सदा सहायी...’अंकुश’ जय नारायणी माई
विधि कासब है विधान...करलो मंगल गान...बोलो जय नारायणी...
.............इति.