कैलाश गौतम जी की कालजयी कविता तकरीबन हरवर्ष मौनी अमावस्या पर सुनी जाती है।पूरा मेला आंखों के सामने जीवन्त हो जाता है।आदरणीय गौतम जी को शत शत नमन।
@professorharry58252 ай бұрын
Kailash Gautam ji Nahi hain ! Mujhe aaj pata chala
@prabhatkumarsingh910719 күн бұрын
P
@mohityadav779317 күн бұрын
Master sahab Aaj aap ki yaad aai ki aap hmm logo ko sunate the to bahut kuch search krne ke baad pta chla or Pranipat Gurudev 🙏 💯 sure nahi ha ki aap he ha lakin mujhe puri ummid ha ki aap he hai@@prabhatkumarsingh9107
@Dharmendrakumar-fc1zx3 жыл бұрын
यह कविता मैंने तीस साल पहले लखनऊ रेडियो पर सुनी थी, आज फिर सुनकर मन खुश हो गया।
@manishpandeyiaf3 жыл бұрын
Bilkul, maine bhi karib 25 saal pehle suna hoga, radio pe
@satakshitiwari69393 жыл бұрын
Very nice 👍🏻👍🏻 I listened after thritypq
@satakshitiwari69393 жыл бұрын
I'm sending after 30
@satakshitiwari69393 жыл бұрын
A
@vimlamishra4112 жыл бұрын
@@manishpandeyiaf ;'+
@soniyag.g.i.ckldskn68712 жыл бұрын
बचपन में इसको हम लोग आकाशवाणी लखनऊ पर सुनते रहते थे बहुत आनंद आता था आज आज इसे पुनः सुनकर मन बहुत प्रसन्न हो गया और एक मधुर मुस्कान आई चेहरे पर 🙏🙏🙏
@gulabsinghpatel72272 жыл бұрын
Mai prayagraj se hu aj amausha ka mela ka din bhi h adbhut kavita 😘😘
@PramodYadav-dr9vqАй бұрын
Magh mela❤❤❤
@Golu02042 жыл бұрын
हम अपने बचपन में रेडियो पर सुनते थे हेलो फैजाबाद कार्यक्रम आता था उसमें हमे लगा था कि अब सुनने को नहीं मिलेगा लेकिन आज बहुत बहुत खुशी हुई फिरसे सुनकर 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@Alishasingh372004 ай бұрын
Aree wahh
@Lakshyaup362 ай бұрын
Mai bhi suna tha redio par
@shivkumarrajput69892 күн бұрын
कैलाश जी की कविता पूर्णतः वास्तविकता से ओत प्रोत अवधी भाषा में अत्यन्त रोचक वृत्तांत से भरी है l आज जब हम महाकुंभ मेले के जीवन्त पहलुओं को देखते हैं तो श्री कैलाश जी की कविता मेले की कमेंट्री जैसे लगती है l जब जब कुंभ मेला आयेगा तब तब ऐसे महान कविराज श्री कैलाश जी याद आते रहेंगे l
@sangeetasangeetadevi30863 жыл бұрын
हम अपने परिवार के साथ शाम को बैठ कर सुनते थे आज काफी दिन बाद सुनकर दिल खुश हो गया है😊😊
@jaggudadasmaths994 Жыл бұрын
इससे अच्छी भोजपुरी कविता आज तक नही सुनी। मौज आ गई
@rajatagrahari839317 күн бұрын
भोजपुरी नहीं अवधि है sir
@grtneeraj6 күн бұрын
Ye hindi ki banarshi dilect hai jo varanasi aur azamgarh me bolte hai .I am from azamgarh and speak same dilect in my village .Bihari bhojpuri sounds like shit
@hariomsingh03072 күн бұрын
@@grtneeraj अंग्रेजी में लिख के अपने आप को तेजू खान समझ रहे हो ? बिहारी भोजपुरी क्या होती है लोडू? भोजपुरी की उत्पति भोजपुर से हुई आरा बक्सर गाजीपुर इन क्षेत्रों में आदर्श भोजपुरी बोली जाती है ! इनसे दूरी बढ़ने के साथ ही बोली बदलती जाती है (कहावत सुने होगे) और सबको अपनी भाषा प्यारी होती है ! So shut da fcuk up !
@abhishekdubey109315 сағат бұрын
@@grtneeraj it is mixture of bhojpuri and awadhi
@Happiieeme5 күн бұрын
कल अमौसा का मेला है, और आज मैं इस कालजई रचना को सुन रही हूं।
@NeerajYadav-wi3kw4 күн бұрын
Same hear
@sachinsavvlogs7364 күн бұрын
Same
@kumkumsinghkumkumsingh46872 жыл бұрын
यह कविता मैने बचपन सुनी थी पर अभी तक याद थी आज फिर एक बार सुन कर बहुत खुशी हुई धन्यवाद भाईसाहब
@abhideep_k.2 жыл бұрын
Sahi kaht hau
@TL-KRISHNAКүн бұрын
परसो ही महाकुम्भ मे स्नान किया और पापा बुआ रास्ते भर यही कविता गाकर हस रहे थे आज पहली बार सुना शानदार कविता
@gopalojha89632 жыл бұрын
बचपन में रेडियो के आकाशवाणी लखनऊ पे जब ये आता तो हम सभी सारा काम छोड़कर सुनने को भागते ,,,😊
@rvmishra75852 күн бұрын
कविता नही जीवनी रच डाली है आपने नमन है
@ravindrakumargaur42026 күн бұрын
" कपूर" होते हुए शब्द चयन और उपमायें ...शायद ही कहीं आज के दौर में इनसे (शब्दों, उपमाओं) भेंट हो? रेणु और प्रेमचन्द का निर्दोष गंवई भारत ।साक्षात् दर्शन!!🙏.. नमन कविवर ।🌹
@shaurabh_sharma_shaurya4 күн бұрын
पिछले 22 दिनों से प्रत्येक रात को यह कविता मेरा साथी बना हुआ है, इस कविता में अपनापन है अपनी बोली है अपनी मिठास है, जय अवधी 🙏🙏🙏
@shleshgautam68056 күн бұрын
कीर्ति शेष पिताश्री जनकवि कैलाश गौतम जी को सादर नमन। अविस्मरणीय एवं कालजयी कविता। धरा कभी छोड़ी नहीं,छूकर भी आकाश अजर-अमर तुम हो गए,कविता के कैलाश डॉ श्लेष गौतम
@Vishaljaiswal753 күн бұрын
पूरा जनपद आप पर गौरवान्वित है ,,🙏
@vipulpandey52293 күн бұрын
सादर प्रणाम श्री श्लेष सर...from Diamond jubilee hostel (2013-2022)
@shobharai34362 жыл бұрын
हमें रवीश कुमार जी ने सुनाया था। कैलाश जी की कविता। और आज़ आप के मुखारविंद से सुनकर बहुत आनन्द आया। बहुत बहुत धन्यवाद सर जी 👍👍
@HappySingh-te3xsАй бұрын
Kon ravish kumar
@anitayadav558Ай бұрын
The great journalist@@HappySingh-te3xs
@vineetrai22588 күн бұрын
Kaun ravish wo NDTV wala dalla
@ramashisprasad219915 күн бұрын
यही है हमारा भोजपुरी साहित्य महिया से मीठ अउर बोली से ज्यादा टीस। बहुत सुंदर, बहुत सुंदर।नमन है।
@grtneeraj6 күн бұрын
Ye hindi ki banarshi dilect hai jo varanasi aur azamgarh me bolte hai .I am from azamgarh and speak same dilect in my village .Bihari bhojpuri sounds like shit
@hariomsingh03072 күн бұрын
@@grtneeraj your hate for this language is so miserable! Get a life man !
@sanchitasrivastava1753Ай бұрын
अद्भुत है हमारी संगम नगरी,और अद्भुत है ये रचना, पूरा मेला चलचित्र की तरह सामने आ गया।
@शुभम_भारतीАй бұрын
ग्रामीण भारत की सादगी और सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत चित्रण! नमन है कैलाश गौतम सर को🙏🙏
@rampatiyadav8717Ай бұрын
Maine ye kavita 1992 me Sangam prayaraj me kavi sammelan me live suna tha .Aaj khoj liya ..kavi ka nam yaad nhi tha..Aaj sun kar maja aa gaya ❤🎉🎉
@shanigupta38424 күн бұрын
आज मौनी अमावस्या है और आज ही गजब मुझे फिर 20 साल बाद फिर वही कविता मिल गया।
@riteshkryadav16feb96. Жыл бұрын
शुद्ध गरीब किसान मजदूर और भारत के ग्रामीण क्षेत्र के झलक है इस कविता में । 🙏🙏🙏🙏🙏
@priyaojha22375 жыл бұрын
Wah gutam jee Kavita ka jariya Kya khoob prayagraj ka maila ki prastuti di hai aapna bhut sunder tarika sai bhartiya sanskrti ko bataya hai aapna 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏👌👌👌👌👌👌👌👌👌
@ravikumar8132 Жыл бұрын
कौन कौन ऐसा है जिसने यह कविता रेडियो पर सुनी और फिर खोजते हुए yutube पर आया है ❤
@shailendrapandeyofficial91187 күн бұрын
30 साल पहले कैसेट में सुना था, उसके बाद आज सुना ...... अद्भुत, निशब्द ❤️🙏
@akankshaupadhyay99835 жыл бұрын
ई भक्ति के रंग में रंगल गाँव देखा धरम में करम में सनल गाँव देखा अगल में बगल में सगल गाँव देखा अमवसा नहाये चलल गाँव देखा॥ एहू हाथे झोरा, ओहू हाथे झोरा अ कान्ही पे बोरी, कपारे पे बोरा अ कमरी में केहू, रजाई में केहू अ कथरी में केहू, दुलाई में केहू अ आजी रंगावत हईं गोड़ देखा हँसत हउवैं बब्बा तनी जोड़ देखा घुँघुटवै से पूँछै पतोहिया कि अइया गठरिया में अबका रखाई बतइहा एहर हउवै लुग्गा ओहर हउवै पूड़ी रमायन के लग्गे हौ मड़ुआ के ढूँढ़ी ऊ चाउर अ चिउरा किनारे के ओरी अ नयका चपलवा अचारे के ओरी अमवसा क मेला अमवसा क मेला इहइ हउवै भइया अमवसा क मेला॥ मचल हउवै हल्ला चढ़ावा उतारा खचाखच भरल रेलगाड़ी निहारा एहर गुर्री-गुर्रा ओहर लोली-लोला अ बिच्चे में हउवै सराफत से बोला चपायल हौ केहू, दबायल हौ केहू अ घंटन से उप्पर टंगायल हौ केहू केहू हक्का-बक्का केहू लाल-पीयर केहू फनफनात हउवै कीरा के नीयर अ बप्पारे बप्पा, अ दइया रे दइया तनी हमैं आगे बढ़ै देत्या भइया मगर केहू दर से टसकले न टसकै टसकले न टसकै, मसकले न मसकै छिड़ल हौ हिताई नताई क चरचा पढ़ाई लिखाई कमाई क चरचा दरोगा क बदली करावत हौ केहू अ लग्गी से पानी पियावत हौ केहू अमवसा क मेला अमवसा क मेला इहइ हउवै भइया अमवसा क मेला॥ जेहर देखा ओहरैं बढ़त हउवै मेला अ सरगे क सीढ़ी चढ़त हउवै मेला बड़ी हउवै साँसत न कहले कहाला मूड़ैमूड़ सगरों न गिनले गिनाला एही भीड़ में संत गिरहस्त देखा सबै अपने अपने में हौ ब्यस्त देखा अ टाई में केहू, टोपी में केहू अ झूँसी में केहू, अलोपी में केहू अखाड़न क संगत अ रंगत ई देखा बिछल हौ हजारन क पंगत ई देखा कहीं रासलीला कहीं परबचन हौ कहीं गोष्ठी हौ कहीं पर भजन हौ केहू बुढ़िया माई के कोरा उठावै अ तिरबेनी मइया में गोता लगावै कलपबास में घर क चिन्ता लगल हौ कटल धान खरिहाने वइसै परल हौ अमवसा क मेला अमवसा क मेला इहइ हउवै भइया अमवसा क मेला॥ गुलब्बन क दुलहिन चलैं धीरे-धीरे भरल नाव जइसे नदी तीरे-तीरे सजल देह हौ जइसे गौने क डोली हँसी हौ बताशा शहद हउवै बोली अ देखैलीं ठोकर बचावैलीं धक्का मनै मन छोहारा मनै मन मुनक्का फुटेहरा नियर मुस्किया-मुस्किया के ऊ देखेलीं मेला सिहा के चिहा के सबै देवी देवता मनावत चलैंलीं अ नरियर पे नरियर चढ़ावत चलैलीं किनारे से देखैं इशारे से बोलैं कहीं गांठ जोड़ैं कहीं गांठ खोलैं बड़े मन से मन्दिर में दरसन करैलीं अ दूधे से शिवजी क अरघा भरैलीं चढ़ावैं चढ़ावा अ गोठैं शिवाला छुवल चाहैं पिन्डी लटक नाहीं जाला अमवसा क मेला अमवसा क मेला इहइ हउवै भइया अमवसा क मेला॥ बहुत दिन पर चम्पा चमेली भेटइलीं अ बचपन क दूनो सहेली भेंटइलीं ई आपन सुनावैं ऊ आपन सुनावैं दूनों आपन गहना गदेला गिनावैं असों का बनवलू असों का गढ़वलू तू जीजा क फोटो न अब तक पठवलू न ई उन्हैं रोकैं न ऊ इन्हैं टोकैं दूनौ अपने दुलहा क तारीफ झोकैं हमैं अपनी सासू क पुतरी तू जान्या अ हम्मैं ससुर जी क पगरी तू जान्या शहरियों में पक्की देहतियो में पक्की चलत हउवै टेम्पो चलत हउवै चक्की मनैमन जरै अ गड़ै लगलीं दूनों भयल तू-तू मैं-मैं लड़ै लगली दूनों अ साधू छोड़ावैं सिपाही छोड़ावै अ हलुवाई जइसे कराही छोड़ावैं अमवसा क मेला अमवसा क मेला इहइ हउवै भइया अमवसा क मेला॥ कलौता क माई क झोरा हेरायल अ बुद्धू क बड़का कटोरा हेरायल टिकुलिया क माई टिकुलिया के जोहै बिजुलिया क भाई बिजुलिया के जोहै माचल हउवै मेला में सगरों ढुंढाई चमेला क बाबू चमेला का माई गुलबिया सभत्तर निहारत चलैले मुरहुवा मुरहुवा पुकारत चलैले अ छोटकी बिटिउवा क मारत चलैले बिटिउवै पर गुस्सा उतारत चलैले गोबरधन क सरहज किनारे भेंटइलीं गोबरधन के संगे पउँड़ के नहइलीं घरे चलता पाहुन दही-गुड़ खियाइत भतीजा भयल हौ भतीजा देखाइत उहैं फेंक गठरी परइलैं गोबरधन न फिर-फिर देखइलैं धरइलैं गोबरधन अमवसा क मेला अमवसा क मेला इहइ हउवै भइया अमवसा क मेला॥ केहू शाल सुइटर दुशाला मोलावै केहू बस अटैची क ताला मोलावै केहू चायदानी पियाला मोलावै सोठउरा क केहू मसाला मोलावै नुमाइस में जातैं बदल गइलीं भउजी अ भइया से आगे निकल गइलीं भउजी हिंडोला जब आयल मचल गइलीं भउजी अ देखतै डरामा उछल गइलीं भउजी अ भइया बेचारू जोड़त हउवैं खरचा भुलइले न भूलै पकौड़ी क मरचा बिहाने कचहरी कचहरी क चिन्ता बहिनिया क गौना मसहरी क चिन्ता फटल हउवै कुरता फटल हउवै जूता खलित्ता में खाली केराया क बूता तबौ पीछे-पीछे चलत जात हउवन गदेरी में सुरती मलत जात हउवन अमवसा क मेला अमवसा क मेला इहइ हउवै भइया अमवसा क मेला॥
@srishtisrijan014 жыл бұрын
💛🌺
@userAmitchaurasiya6 ай бұрын
😂😂😂
@manishkumarsingh7982 ай бұрын
❤
@bhav_manjari7283Ай бұрын
❤
@friendshipvppАй бұрын
शानदार 🙏🙏
@amitkumar-cg3ow2 жыл бұрын
Ravish jee ke Bihan se yaha aaya hu...Bahut achha lga🌻
@AjayPandey-ry6dwАй бұрын
इसकी लास्ट लाइन बेहद भावुक मार्मिक है आंखों में आशु आ गया 😢😢
@amardeepyadav5221Ай бұрын
बहुत ही सुन्दर लाजवाब कविता हमारे बनारसी भाषा में ❤❤
@AmitKumar-yc5gi3 күн бұрын
कैलाश जी आप हमारे दिल में सदैव अमर रहेंगे ❤
@geetatiwari861219 күн бұрын
शत् शत् नमन है कैलाश गौतम जी को। 🙏
@Deepak_singh_mahuКүн бұрын
बहुत सुंदर बहुत ही अच्छे ढंग से अपने चित्र सहित खींच कर रख दिया है
@afilterwala2 күн бұрын
अदभुत लेखनी कवि कैलाश गौतम जी आज 30 साल भी वही ताजगी
@nandlalmaurya8787 күн бұрын
कैलाश गौतम जी कि ये कविता सुनकर ऐसा महसूस होता है कि मेले का इससे अच्छा सजीव वर्णन संभव नहीं है।
@TheSiddharthShaw3 жыл бұрын
बहुत सुंदर कविता मेरे मैनेजर मनोज तिवारी सर ने मुझे पहली बार दिखाया था।
@dr.govindsharanjaiswal6463Ай бұрын
बहुत शानदार बहुत दिनों बाद बहुत ढूंढने पर मिली ये कविता आज तक की सबसे सुंदर कविता
@Cartoonduniya-h2mАй бұрын
Bachpan me suna tha ..aawaj fir sun liya .... Ek ek sabd. Chun ke liya gya hai...❤ Bina mela dekhe pura drishy samne aa jata hai sun kr
@shivsingh6397Ай бұрын
कैलाश जी ने ग्रामीणों के मेले देखते हुए उनके मनोदशा का बड़ा सटीक चित्रण प्रस्तुत किया है
@manishagrwal57011 ай бұрын
बहुत ही शानदार कविता, और सुनाने की शैली जबरदस्त।।।।
@akpandey9742Ай бұрын
एकदम प्रयाग के मूल को कविता के माध्यम से लाकरके दर्शकों के सामने रखने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,प्रयाग का निवासी ❤
@bhav_manjari7283Ай бұрын
एक एक दृश्य जीवंत कर दिया इसे कहते हैं कविता जो आपको सीधे मेला में ही पहुंचा देती है ऐसा लगता है कि जैसे हम भी मेले में हैं और सबकुछ चलचित्र की भांति सामने हो रहा है और अंतिम बंध में जो परिवार के मुखिया की स्थिति दिखाई है बिल्कुल वास्तविक है एक दम सटीक अवलोकन😊
@digvijaysingh63286 күн бұрын
भाई , एक एक शब्द ने मन मोह लिया ..😊
@SunilKumar-pb5df21 күн бұрын
किशोरवस्था में आकाशवाणी लखनऊ स "किसानों के लिए'' कार्यक्रम में सुनते थे, आज मऊ रेलवे स्टेशन पर महाकुम्भ के संदर्भ में कुछ अंश सुने। पुरानी स्मृतियां जीवन्त हो उठीं 👌👌🙏
@poojaverma39767 күн бұрын
Mai to bhut sari bchpan ki yaade u tube pr search krke yaad taja krti hu 😊 vo sab asani se mil jate h ab u tube pr bhut sukoon bhra lgta h
@exploringindia_133 күн бұрын
एक बनारसी अपनी कविता को बनारसी अंदाज में पेश करते हुए ♥️❣️
@krishnakumarprajapati772 жыл бұрын
Ye Gana Main 16 Saal Pahle Radio Per Suna Tha Parantu Aaj Khojte Khojte Mil Gaya...
@pradoshtiwari3720Ай бұрын
लाजवाब, एकदम सटीक चित्रण
@gokulyaduvanshi939219 күн бұрын
मजा आ गया सुन के बहुत अच्छी प्रस्तुति ❤❤❤
@pratikshathakur69732 жыл бұрын
is Kavita ka koi jawab hi nahin hai..bilkul real life story
@pratikdubey7053Ай бұрын
वाह! क्या अद्भुत रचना है!😍🙏🏻
@jamalakhtarsamastipuri98363 жыл бұрын
Pure vegiterian poetry,,,, So nice
@abhisheksharma-kb6vu4 күн бұрын
Ye masterpiece hai sabko sunna chahiye aur Gautam ji ko sadhuvad dena chahiye
@theshiva-6006Ай бұрын
अगर गांव के लोग दिल से देखे तो दिल भर जाएगा , वाह 👏👏
@kunwarsumit77652 жыл бұрын
भोजपुरी के यह हीरे और हीरो क्यों दब के रह जाते हैं, क्या सुंदर ज़बान औ केतना नीक कविता ।
@EasyCraft78 ай бұрын
Ye avadhi hai na ki bhojpuri
@suryamohanprasad64294 ай бұрын
@@EasyCraft7 ye banaras belt ki bhasa h . Jisme jaunpur,bihar sabhi bhasao ka prabhav h
@batuknarayansingh7765Ай бұрын
दबे नहीं हैं मंच काव्य पर इनकी एक धमक थी स्वर्गीय कैलाश गौतम जी हम लोग इनको अलीगढ़ के नुमाइश में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में रातभर जागकर सुनते थे।
@AnkurPandey01127 күн бұрын
अवधी@@EasyCraft7
@aashishagrawal54719 күн бұрын
Bhai Shahb bhojpuri nahi hai h ye
@suryamanisingh90176 ай бұрын
1996 me suna tha maine .....salam hai aapko ... bilkul satya vachan hai aapke pure halat ko Banya kar diya
@ShivKumar-bd5mp3 жыл бұрын
It is very beautiful poem that presents the exact condition our Indian culture
@tilakdharibharati3134 күн бұрын
कल अमावस का मेला है,आज यह कविता सुनने में बहुत आनंद आ रहा है।😂😂😂
@rahulranjankashyap807819 күн бұрын
भोजपुरी को आज के गायकों ने कहा से कहा पहुंचा दिया😢😢😢
@worldtourister6 ай бұрын
भोजपुरी भाषा आप जैसे लोगों को पाकर धन्य हो गई। नमन है आपको
@Saurabh2000023 күн бұрын
अवधी हैं ये भोजपुरी नहीं
@ashoksirsst13 күн бұрын
भोजपुरी ह ❤ ❤
@grtneeraj6 күн бұрын
Ye hindi ki banarshi dilect hai jo varanasi aur azamgarh me bolte hai .I am from azamgarh and speak same dilect in my village .Bihari bhojpuri sounds like shit
@hariomsingh03072 күн бұрын
@@grtneerajतुम फिर यहां हग दिए
@hariomsingh03072 күн бұрын
@@Saurabh20000कविवर चंदौली के थे
@ayogenterprisesaayurvedpow2082Ай бұрын
30 sal baad sunane ko mila, bahut sakun mila hai, radio par aata tha.
@navianvayvideos25062 жыл бұрын
मेरे पापा को भी बहुत ही अच्छा लगता है, और उनको खुश देखकर मुझे बहुत अच्छा लगता है 😍😍😍😍👌👌👌👌👍👍👍
@santoshmishra8151Ай бұрын
यह कविता मै पहली बार 2001 में आल इंडिया रेडियो के लखनऊ केंद्र से प्रस्तुत होने वाले किसी कार्यक्रम सुना था शाम को शायद चौपाल में या किसी और कार्यक्रम के याद नहीं है, लेकिन रेडियो पर सुना था
@govindkumarrai63184 күн бұрын
Wahh greatest sir❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤bhwbihor ho gya
@Sanyasicgk28 күн бұрын
मैं एक महीने के अंदर 5 वीं बार सुन रहा हूँ....... पहले भी सुन चूका हूं
@DrFaizaAbbasi3 жыл бұрын
Haseen behad haseen. Bhasha mein koi banawat nahi. Ek dum aisa lagta hai watan ki mitti ki khushboo jhonka.
@ramprakash83423 жыл бұрын
Ye kavita maine bacpan me suni thi aj mai pachpan ka ho gaya lekin es kavita ko sunne me utna hi Maja aaya👌
@sanjayraghvanshi86342 күн бұрын
ईएस कविता को सुन रहा हूं कवि को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं संजय सिंह वेनवंशी
@ajit_58243 жыл бұрын
बेहतरीन प्रस्तुति कृपया और ऐसी कविताएं लाये
@dev9995322 күн бұрын
अद्भुत अलौकिक एवं कालजयी रचना।
@ratanpal14654 жыл бұрын
Waah.... Kya khoob....aap ko aap ki lekhani ko pranaam
@AmritlalTiwari-i8s18 күн бұрын
बहुत ही सुन्दर कविता एक दम से सांची बात है
@rajeevsrivastava52666 ай бұрын
Maine Goutam ji ko live is Kavita ko gate şuna hai apne school ke Kavi sammelan me.Nice memory recall.
@shailendrarastogi88528 күн бұрын
Bahot hi sunder kavita aur usse jayada sunder usko bolne ka tarka🎉
@rajneeshmishra149226 күн бұрын
बहुत ही सुन्दर भाव में माघ मेला का मनोहारी वर्णन।
@rajupandit9567Ай бұрын
Bachpan me sunte the ......yaad taaza ho gyi
@sharadkumar4934Ай бұрын
बहुत अच्छी कविता बहुत ही अच्छे कवि द्वारा
@sandeepkumarmishra885Ай бұрын
बात तो सही हम रेल देख कर आए हैं भोजपुरी में कविता सुनकर मैं बहुत ही प्रसन्न हूं जब से मैं सुनाऊं तो तीन नीचे मैं बहुत ही खुश हूं
@dileep-kumar28 күн бұрын
Seen on fb short videos... couldn't stop a bit to search him😊
@surajpandey133821 күн бұрын
Bhojpuri industry ak taraf...ye pankti ak taraf...❤
@dineshp99104 күн бұрын
Bahut hi mantra mugdh kar diya, lok geet se lok dasa ki lajawaab peshkash, nayi pidhi ke kaviyon ko aapse sikhne ki jarurat hai...
Is kavita Ko obra inter college Sonbhadra UP m 30 saal suna tha inke dwara
@SUMITKUMAR-mn4ss2 жыл бұрын
हमारी समृद्ध संस्कृति
@Neyuri_dinchariya21 күн бұрын
बहुत सुंदर भैया आए तो अपने कहानी बहुत ही सुंदर
@premkumar0012 күн бұрын
Jaipur dialogue se aaye huye yahan par attandance de👍
@VijayYadav-wh9fiАй бұрын
आज तीसरे बर्ष से मेला ड्यूटी कर रहे हैं सर.. आपकी कविता में पुरा मेला का रुप रेखा है
@ShivanshKesarwani-up1xh7 күн бұрын
From Teen Taal.... Jai ho Jai ho Jai ho ❤❤❤
@Piyushpandey052 жыл бұрын
मेला दिनों का आता है एक बार आके चला जाता है 🥰🥰
@SunderkandbyvishalupadhyayАй бұрын
कौन कौन रील देखकर आया है।😊
@ghanshyamsharma5101Ай бұрын
मै
@kuldeeppandey9293Ай бұрын
Ham
@AtulKumarSharma-r5eАй бұрын
Ham
@abhisheksingh-hq8doАй бұрын
Hum aaeni ha bhaiya
@dhananjay14190Ай бұрын
Hum
@preetimaurya2464Ай бұрын
हमे ये कविता अंशु मालवीय भईया ने सुनाया था, माघ मेले में जबतक ये कविता ना हो तब तक मेला अधूरा लगता है, हमे तो पूरा आता है अब हम भी इस कविता का पाठ करते हैं ❤❤
@RohitChaurasiya0106Ай бұрын
Hii preeti
@PawanGupta-dy6wg14 күн бұрын
Bahot marmik aur satya se sarabor kavita
@DineshSingh-ey4mq24 күн бұрын
कैलाश जी जब इलाहाबाद रेडियो पर कृषिजगत कार्यक्रम मे शाम को आते थे । आज यादे ताजा हो गया ।
@sanjutiwarididi82062 жыл бұрын
Maine bhi aaj se 15 saal pahle aakashwadi lucknow pe suna tha
@saurabhmedhankar4248Ай бұрын
मैंने इसको F M FAIZABAD पर सुना था लगभग 14 साल पहले
@phoolchand64852 жыл бұрын
Very clear vision of village enviorment shows poetry like them.
@sunitasrivastava72302 жыл бұрын
Waah mujhe apne daadi baba ki yaad aa gai...aankhen bheeg gayeen...
@shivendrasingh6399 Жыл бұрын
😢 hmm
@bpflower4203 жыл бұрын
आज मेरे हिंदी के अध्यापक ने इस कविता के बारे में बताएं है ।
@NitinKumar-jw1cq5 жыл бұрын
Wah , behtareen , lajwab 😆😆😆😆😆
@AKASHKumarGAUTAM-qn3ng3 күн бұрын
कविता सुनते सुनते पता ही नहीं चलता की कब खत्म हो जाती