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यह सही है अपने आप कोई नहीं जान सकता
इसलिए कि जिस मन में ऊँचाई नीचाई होती है,
उत्थान पतन होता है,
वो मन अपने खिलाफ judgement नहीं दे सकता
अर्थात हमारा मन गड़बड़ है और उसी मन से हम पूछ रहे हैं - "क्योँ गड़बड़ है ?"
वो कहेगा - "बिलकुल नहीं, हम तो बिलकुल ठीक हैं "
भगवान् और महापुरुष जान सकते हैं - कौन कहाँ है
लेकिन थोड़ा बहुत idea philosophy के द्वारा हो सकता है, और वो होना चाहिए।
-जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज