Kanchanjangha Base Camp Track (Ep-IV) Ghunsa to Pangpema base camp (KBC) कंचनजंघा बेस कैंप

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Күн бұрын

Kanchanjangha Base Camp Track (Ep-IV)
Day-8,9 & 10
Ghunsa to Pangpema (KBC)
(घुनसा से पैंगपेमा कंचनजंघा बेस कैंप तक)
आज ट्रैक का 8वां दिन घुनसा से हम लोग निकल चुके घुनसा से निकले हुए लगभग 2 घंटा हों गया उधर से आते हुए एक ट्रैकर से मुलाक़ात हुई उन्होंने बताया की आप लोगो का असली ट्रैक आज से शुरू हुई है आगे बहुत ही ख़तरनाक रास्ते हैं उनकी बात सुन के थोड़ी देर के लिए डर तो लगा पर कोई बात नहीं हमने भी ठाना है झंडा जो फहराना है, कुल मिलाकर वही ऐड याद आ गया ,,डर के आगे जीत है,, और हम लोग आगे के लिए निकल लिए आज पूरा दिन घने जंगलो और tute-fute संकरे रास्तो से होकर गुजरना पड़ा, लगभग 5 बजे के बाद कोल्ड डेजर्ट वाले पहाड़ मिल गए उपर से पत्थर टूट टूट कर गिर रहें थे और हम लोग किसी तरह बच बचाकर 6 बजे के करीब खम्बेचान (khambechan) पहुंच गए और यही रात्रि विश्राम किया।
आज ट्रैक का 9वां दिन हम लोग सुबह के 5 बजे ही निकल लिए khambechan से लोहनक का रास्ता और भी मुश्किल भरा था अकेले यात्रा करना मतलब 50-50 का चांस पूरा रास्ता ग्लेशियर के ऊपर चलना था निचे सरकने का डर और ऊपर से छोटे बड़े ग्लेशियरो के टूट के गिरने का डर (कभी कभी तो मन करता की यही से वापिस हों लें) फिर वही डाईलोग याद आ जाता की (डर के आगे जीत है) और हम लोग आगे बढ़ते गए, हम दोनों की हालत एकदम ख़राब बोलने तक की हिम्मत नहीं लोहनक पहुंचते-पहुंचते हलकी हलकी बर्फ बारी होने लगी वहाँ भी गिने चुने 3 लकड़ी के मकान थे, एक छोटा सा रूम लेकर और दाल भात खाकर सोने की कोशिश करने लगे लेकिन ऑक्सीजन की कमी के कारण नींद नहीं आई पूरी रात एक दूसरे से बात करने में ही गुजारी।
आज ट्रैक का 10वां दिन और बेस कैंप पहुंचने का लास्ट दिन और सबसे ख़तरनाक ट्रैक भी क्यों की लोहनक से पन्गापेमा (बेस कैंप) लगभग 4 घंटे का ट्रैक है और ओ भी ग्लेशियर के अपर से चलना होता है और एक तरफ लगभग 500 मीटर की खायी ओ भी ग्लेशियर वाली अगर निचे गए तो ऊपर आने का कोई चांस ही नहीं है ग्लेशियर लगातार टूट टूट कर गिर रही थी जिसकी आवाज किसी हॉरर मूवी से कम नहीं थी और हाईट की वजह से सांस लेने में भी दिक्कत कहने को तो चार घंटे का ट्रैक है लेकिन हम लोगो को लगभग 6 घंटे लगे और हम पहुंच गए अपने लास्ट डिस्टिनेशन पर जिसका नाम है ,,कंचनजंघा बेस कैंप,, वहाँ पर मै जितेन्द्र शर्मा और हमारे मित्र चन्द्रजीत पाण्डेय ने अपने देश का तिरंगा फहराया और वापस हों लिए लोहनक के लिये।
KZbin- Jackworld1989

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