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करवा चौथ व्रत कथा - करवा चौथ की कहानी - करवा चौथ 2024 || Karwa Chauth Vrat Katha -
करवा चौथ की कहानी
करवा चौथ का पर्व भारतीय महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है, खासकर उत्तर भारत में। यह व्रत पति की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रमा दर्शन तक निर्जल और निराहार व्रत रखती हैं। करवा चौथ की कथा से जुड़ी कई कहानियां हैं, जिनमें से सबसे प्रचलित है वीरवती की कहानी।
वीरवती एक सुंदर और धर्मपरायण महिला थी, जिसकी शादी एक राजा से हुई थी। करवा चौथ के दिन उसने भी व्रत रखा, लेकिन दिनभर भूखी-प्यासी होने के कारण शाम होते-होते उसकी तबीयत खराब हो गई। वीरवती के भाई अपनी बहन की हालत देखकर चिंतित हो गए और उन्होंने एक तरकीब निकाली। उन्होंने पेड़ के पीछे एक आईना रख दिया और दूर से दीपक जलाकर ऐसा प्रतीत किया कि चंद्रमा निकल आया है। वीरवती ने उसे चंद्रमा समझकर व्रत तोड़ दिया।
व्रत तोड़ते ही उसे सूचना मिली कि उसके पति की मृत्यु हो गई है। वीरवती दुखी होकर रोने लगी और अपने पति के शव के पास बैठकर प्रार्थना करने लगी। उसकी तपस्या और सच्ची निष्ठा से देवी माँ प्रसन्न हुईं और उसे वरदान दिया कि उसका पति पुनः जीवित हो जाएगा। देवी के आशीर्वाद से वीरवती का पति जीवित हो गया और तब से करवा चौथ का व्रत पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है।
इस व्रत में महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और चंद्रमा की पूजा के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करती हैं। करवा चौथ नारी के प्रेम, समर्पण और त्याग का प्रतीक है, जिसमें वह अपने पति की सुरक्षा और लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती है।