Рет қаралды 92,110
बिहार के मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर को लोग उनकी सादगी भरे जीवन के लिए याद करते हैं। बिहार की राजनीति में गरीबों की आवाज बनकर उभरे कर्पूरी ठाकुर को लोग जननायक के नाम से पुकारते थे। उनकी लोकप्रियता का आलम यह था कि वह एक झटके में सरकार बदल सकते थे. बिहार में समस्तीपुर जिले के पितौंझिया गांव में गोकुल ठाकुर और रामदुलारी के घर 24 जनवरी 1924 को कर्पूरी ठाकुर का जन्म हुआ। क्रांतिकारी विचारों वाले कपूरी ठाकुर के अंदर बचपन से नेतृत्व क्षमता ने जन्म लेना शुरू कर दिया था। छात्र जीवन के दौरान युवाओं के बीच लोकप्रियता हासिल कर चुके कर्पूरी ठाकुर ने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। 1952 में कर्पूरी ठाकुर बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए। सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर ताजपुर विधानसभा सीट से पहली बार चुनाव लड़ने वाले कर्पूरी ठाकुर विधायक बने। इसके बाद कर्पूरी ठाकुर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार राजनीतिक करियर की सीढि़यां चढ़ते चले गए। इस दौरान वह बिहार सरकार में मंत्री रहे बाद में वह उपमुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री बने। बिहार के सबसे ताकतवर व्यक्ति होते हुए भी कर्पूरी ठाकुर के पास धन दौलत नहीं थी। उनकी मौत के बाद विरासत में परिवार के लिए वह कुछ भी छोड़कर नहीं गए थे। यहां तक कि एक भी मकान और अन्य जायदाद भी नहीं। कपूरी ठाकुर की इमानदारी के किस्से आज भी बिहार में सुने जा सकते हैं। गरीबों के मसीहा और राजनीतिक योद्धा कर्पूरी ठाकुर का 17 फरवरी 1988 को 64 वर्ष की आयु में निधन हो गया।