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*Kartik purnima के दिन उमड़ा जन सैलाब * Sonpur Mela 2023 | छतर मेला देख हैरान रह गये लोग |
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Sonpur Mela 2023 1 Crore का घोड़ा 😳 इस बार का छतर मेला Record तोड़ेगा | Harihar shetra मेला 2023
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बिहार के हरिहर क्षेत्र में आयोजित होने वाले विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला का शुभारंभ 25 नवंबर को होगा तथा यह 26 दिसंबर (32 दिनों) तक चलेगा।
प्रमुख बिंदु
सोनपुर मेला एशिया के सबसे बड़े पशु मेलों में से एक है, जो बिहार के सारण और वैशाली ज़िले की सीमा पर अवस्थित सोनपुर में दो नदियों, गंगा और गंडक के संगम पर आयोजित किया जाता है।
पशुधन के व्यापार के लिए प्राचीन काल से लोकप्रिय, यह महीने भर चलने वाला आयोजन नवंबर के महीने में कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर शुरू होता है।
हर साल कार्तिक पूर्णिमा के स्नान के साथ शुरू होने वाले इस मेले को ‘हरिहर क्षेत्र मेला’के नाम से भी जाना जाता है जबकि स्थानीय लोग इसे ‘छत्तर मेला’कहते हैं। हिंदू भक्त गंगा और गंडक नदी में पवित्र डुबकी लगाने के लिए क्षेत्र में आते हैं और हरिहर नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं।
यह मेला भले ही पशु मेला के नाम से विख्यात है, लेकिन इस मेले की खासियत यह है कि यहां सूई से लेकर हाथी तक की खरीदारी की जा सकती है।
इस मेले का ऐतिहासिक महत्त्व भी है। ऐसा माना जाता है कि इस मेले में मध्य एशिया से पशुओं की खरीदारी करने कारोबारी आया करते थे और यह मेला जंगी हाथियों का सबसे बड़ा केंद्र था। मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य, मुगल सम्राट अकबर और 1857 के गदर के नायक वीर कुंवर सिंह ने भी सोनपुर मेले से हाथियों की खरीद की थी।
सन 1803 में रॉबर्ट क्लाइव ने सोनपुर में घोड़े का बड़ा अस्तबल भी बनवाया था। इसके अलावा सिख धर्म के गुरु नानक देव के यहाँ आने का जिक्र धर्मों में मिलता है और भगवान बुद्ध भी यहां अपनी कुशीनगर की यात्रा के दौरान आये थे।
सोनपुर की इस धरती पर हरिहर नाथ मंदिर दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर है जहां हरि (विष्णु) और हर (शिव) की एकीकृत मूर्ति है। इसके मंदिर के बारे में कहा जाता है कि कभी ब्रह्मा ने इसकी स्थापना की थी। इसके साथ ही संगम किनारे स्थित दक्षिणेश्वर काली की मूर्ति में शुंग काल का स्तंभ है।
सोनपुर मेला बिहार के सोनपुर में हर साल कार्तिक पूर्णिमा (नवंबर-दिसंबर) में लगता हैं।यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला हैं।मेले को 'हरिहर क्षेत्र मेला' के नाम से भी जाना जाता है जबकि स्थानीय लोग इसे छत्तर मेला पुकारते हैं।[बिहार की राजधानी पटना से लगभग 25 किमी तथा वैशाली जिले के मुख्यालय हाजीपुर से ३ किलोमीटर दूर सोनपुर में गंडक के तट पर लगने वाले इस मेले ने देश में पशु मेलों को एक अलग पहचान दी है।[इस महीने के बाकी मेलों के उलट यह मेला कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के बाद शुरू होता है।एक समय इस पशु मेले में मध्य एशिया से कारोबारी आया करते थे। अब भी यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है।सोनपुर पशु मेला में आज भी नौटंकी और नाच देखने के लिए भीड़ उमड़ती है।एक जमाने में यह मेला जंगी हाथियों का सबसे बड़ा केंद्र था। मौर्य वंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य (340 ई॰पु॰ -298 ई॰पु), मुगल सम्राट अकबर और 1857 के गदर के नायक वीर कुँवर सिंह ने भी से यहां हाथियों की खरीद की थी।[सन् 1803 में रॉबर्ट क्लाइव ने सोनपुर में घोड़े के बड़ा अस्तबल भी बनवाया था।एक दौर में सोनपुर मेले में नौटंकी की मल्लिका गुलाब बाई का जलवा होता था।
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