Рет қаралды 5,122
कथा भक्त श्री हरिदास जी महाराज की || 🙏 @PriyaAk17
स्वामी हरिदास (1480-1575) भक्त कवि, शास्त्रीय संगीतकार तथा कृष्णोपासक सखी संप्रदाय के प्रवर्तक थे। इन्हें ललिता सखी का अवतार माना जाता है। वे वैष्णव भक्त थे तथा उच्च कोटि के संगीतज्ञ भी थे। वे प्राचीन शास्त्रीय संगीत के अद्भुत विद्वान एवम् चतुष् ध्रुपदशैली के रचयिता हैं।
स्वामी श्री हरिदास, वृंदावन के रसिक शिरोमणि संत थे, जो श्री ललिता सखी के अवतार थे, जो श्री राधारानी की मुख्य सखी हैं।
संगीतज्ञों के आराध्य स्वामी हरिदास का जन्मोत्सव मनाने को वृंदावन में उनके शिष्यों का जमावड़ा लगने लगा है। यहां 13-14 सितंबर को स्वामी हरिदास संगीत एवं नृत्य महोत्सव में शिरकत करने देश-विदेश से साधक आ रहे हैं। ध्रुपद के जनक स्वामी हरिदास का जन्म विक्रम संवत 1535 में भाद्रपक्ष शुक्ल पक्ष की अष्टमी को हुआ था
संत हरिदास के मन में, वृन्दावन में बिहारी जी के प्रति अटूट श्रद्धा थी। उन्होंने कहा- 'वृन्दावन के प्रेम देवता बिहारी और विहारिणी राधा रानी की कृपा से ही सब कुछ संभव है। जीव को नीरस प्रपंच में नहीं पड़ना चाहिए। जो भगवान से प्रेम करते हैं, भगवान उनके योग-क्षेम का सदा ध्यान रखते हैं।
स्वामी हरिदास (स्वामी हरिदास , जिन्हें स्वामी हरिदास भी लिखा जाता है) एक भारतीय आध्यात्मिक कवि और शास्त्रीय संगीतकार थे। उन्हें भक्ति रचनाओं के एक बड़े संग्रह का श्रेय दिया जाता है, विशेष रूप से ध्रुपद शैली में, वे रहस्यवाद के हरिदासी स्कूल के संस्थापक भी हैं, जो आज भी उत्तर भारत में पाया जाता है।
स्वामी हरिदास महान संगीतकार तानसेन के गुरु थे। तानसेन अकबर के दरबार के नौ रत्नों में से एक थे । एक बार तानसेन ने कहा कि वह अपने गुरु स्वामी हरिदास के बगल में एक बौना था। इससे अकबर स्वामीजी को देखने और उनका गाना सुनने के लिए उत्सुक हो गया।
स्वामी हरिदास संगीत के परम आचार्य थे, उनका संगीत सिर्फ अपने आराध्य को समर्पित था। बैजू बावरा, तानसेन जैसे दिग्गज संगीतज्ञ उनके शिष्य थे। स्वामी जी के संगीत की तारीफ सुन मुगल बादशाह अकबर भेष बदलकर वृंदावन स्वामीजी का संगीत सुनने आए थे।
#vrindavan #premanandjimaharaj
#trending #viralvideo #youtubevideo #youtube #spritual