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रज़ा शती उत्सव 2022
कौने ठगवा नगरिया लूटल हो..... (कबीरदास), गायन - कलापिनी कोमकली और भुवनेश कोमकली
देश के मूर्धन्य चित्रकार सैय्यद हैदर रज़ा आज होते तो 100 वर्ष के हुए होते। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन चित्रकला को समर्पित किया। उनकी चित्रकला बिन्दु से शुरू होकर एक बड़े कैनवास पर एक दृष्टि का सृजन करता है। वे अधिकांश चित्रों में हिन्दी की कविताओं का प्रयोग करते थे जिसका कोई दार्शनिक अर्थ निकलता है।
सैय्यद हैदर रज़ा द्वारा स्थापित रज़ा फौउण्डेशन ने उनके सौवें जन्म दिन पर `रज़ा जन्म शती` वर्ष मनाने का निश्चय किया है। जिसके अन्तर्गत वर्ष भर विभिन्न कलाओं का प्रदर्शन, समारोह और गोष्ठी संगोष्ठी आयोजित होंगे।
`रज़ा शती` की शुरूआत दिनांक 22 फरवरी 2022 को रज़ा के जन्म दिन पर इण्डिया इन्टरनेशनल सेंटर में कुमार गन्धर्व की बेटी कलापिनी कोमकली और पोते भुवनेश कोमकली के गायन से प्रारंभ हुआ। कोमकली बन्धुओं ने कबीर, तुसली, सूर, होरी आदि के पदों का सुन्दर गायन प्रस्तुत किया।
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