श्रीमद् सद्गुरु महाराज जी की जय। 🙏🙌🙏 हमारे श्री महाराज जी ने बताया कि, जीवात्मा और परमात्मा एक बात में समान है। वह बात यह है कि जब से परमात्मा तब से जीवात्मा। 🙏राधे राधे🙏
@vaidicknowledge5 күн бұрын
जी दोनों अनादि है |
@yogitasaini.6 күн бұрын
ओउम् आचार्य जी नमस्ते । सुनकर बहुत ही अच्छा लगा । आपका धन्यवाद जी ।
@vaidicknowledge6 күн бұрын
नमस्ते जी
@_Snehit__4 күн бұрын
This Acharya ji got the great translation but... he didn't understand the real meaning of the verses... so whatever he explains in the video is half truth. The full truth is beyond his boundary of knowledge about Gita.
@vaidicknowledge4 күн бұрын
@_Snehit__ यदि आप और अतिरिक्त जानते है तो कृपया अवगत कराए मैं आर्यन आचार्य आपका स्वागत करता हूं |
@sudesharya35756 күн бұрын
सादर नमस्ते आचार्य जी
@vaidicknowledge6 күн бұрын
नमस्ते जी
@_Snehit__4 күн бұрын
Okay, our body doesn't contain any Atma in there. Atma = Param-atma, Atma is formless so, it can't be in our body like other parts in body. Atma = Chetna / conciousness. Atma is no spirit. Atma itself is nothingness. Jivatma ( what we think ) is false and made by humans who could not understood nothingness. Chetna is Atma when it is purified through Atmagyan. Don't you think, if any omniscient Atma is there in ourselves then every human being will be more compassionate, more loveable, more sensitive to violence and all, when it is led by Atma itself.But we don't see anything in ourselves...we are quarrelling, suffering, jealous and fearful of the world all the time.... who is led by Atma will be free from all this. and will never ever fear anything even death.❤
@vaidicknowledge4 күн бұрын
@@_Snehit__ आप कहते है कि कोई जीवात्मा शरीर के भीतर नहीं है यदि होता तो हमारा सबके प्रति प्रेम का दृष्टिकोण होता परन्तु आप ये नहीं विचार कर रहे है कि प्रकृति जो त्रिगुणात्मक है सत्त्व रज और तम उनका प्रभाव जीवात्मा पर पड़ता है जिससे कभी हम शान्त कभी चंचल और कभी क्रुद्ध या मूढ़ता युक्त व्यवहार करते है | इस संसार में तीन चीजे अनादि अर्थात् जिनका कोई आरम्भ नहीं है वो ईश्वर जीव और प्रकृति |