Рет қаралды 84,646
Khan sir Ne Prabhu Yeshu Masih ko Mahina diya
Khan_sir_said,_Truly_Jesus_Christ_lived_from_the_dead.@the_jesus_best
please subscribe my KZbin channel
God bless you my bro. and sister
“प्रभु सचमुच जी उठा है!”
जब यीशु को मार डाला गया, उस समय उसके चेलों को कितनी तकलीफ हुई होगी और दुःख पहुँचा होगा, इसका आप अंदाज़ा लगा सकते हैं। उनकी आशा वैसी ही बेजान हो गई थी, जैसे कब्र में यीशु का बेजान शरीर था; जिसे अरिमतिया के यूसुफ ने वहाँ रखा था। इतना ही नहीं, उनकी यह आशा भी पूरी तरह खत्म हो चुकी थी कि यीशु यहूदियों को रोम की गुलामी से छुड़ाएगा।
अगर मामला यहीं खत्म होना था, तो इसके बाद यीशु के चेले उसी तरह गुमनामी में खो जाते, जैसे मसीहा होने का दावा करनेवालों के चेले धीरे-धीरे खत्म हो गए थे। मगर यीशु अब भी ज़िंदा था! बाइबल के मुताबिक यीशु अपनी मौत के कुछ दिनों बाद कई बार अपने चेलों को दिखाई दिया। तभी तो कुछ चेलों ने आश्चर्य से कहा: “प्रभु सचमुच जी उठा है!”-लूका 24:34.
चेलों को पूरा-पूरा विश्वास था कि यीशु ही सच्चा मसीहा है और अपने इस विश्वास का सबूत देने के लिए वे लोगों को खासकर यीशु के जी उठने की बात बताते थे। और यही बात उसके मसीहा होने का एक ठोस सबूत था। जी हाँ, “प्रेरित बड़ी सामर्थ से प्रभु यीशु के जी उठने की गवाही देते रहे।”-प्रेरितों 4:33.
उस समय अगर कोई यीशु के किसी चेले से यह कहलवा देता कि पुनरुत्थान एक फरेब है, या कोई यह साबित कर देता कि यीशु का शरीर अभी भी कब्र में ही पड़ा है, तब तो मसीहियत की शुरूआत होने से पहले ही उसका अंत हो गया होता। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। चेले जानते थे कि मसीहा ज़िंदा है, इसलिए वे जहाँ भी गए उन्होंने उसके पुनरुत्थान की गवाही दी और बहुत-से लोगों ने पुनरुत्थित यीशु में विश्वास किया।
आप भी यीशु के पुनरुत्थान पर विश्वास क्यों कर सकते हैं? और क्या सबूत है कि यीशु वाकई में जी उठा था?
सबूतों पर गौर क्यों करें?
सुसमाचार की चारों किताबों में यीशु के पुनरुत्थान का ज़िक्र है। (मत्ती 28:1-10; मरकुस 16:1-8; लूका 24:1-12; यूहन्ना 20:1-29)a मसीही यूनानी शास्त्र की दूसरी किताबों में भी यीशु के पुनरुत्थान की बात दावे से कही गई है।
इसी वजह से यीशु के चेलों ने उसके जी उठने का ऐलान किया! और अगर यीशु वाकई परमेश्वर द्वारा जी उठाया गया था, तो सचमुच यह एक ऐसी अनोखी खबर थी जिसे दुनिया ने पहली बार सुना था। इससे यह साबित होता है कि परमेश्वर सचमुच में है। इसके अलावा, इसका मतलब यह भी है कि यीशु इस वक्त ज़िंदा है।
लेकिन इन बातों का हमसे क्या संबंध? ज़रा यीशु की इस प्रार्थना पर गौर कीजिए: “अनन्त जीवन यह है, कि वे तुझ अद्वैत सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को, जिसे तू ने भेजा है, जानें।” (यूहन्ना 17:3) तो सबसे पहली बात यह है कि हम यीशु और उसके पिता के बारे में ऐसा ज्ञान हासिल कर सकते हैं जिनसे हमें ज़िंदगी मिल सकती है। और इस ज्ञान के मुताबिक चलने के द्वारा हमें एक और फायदा भी हो सकता है। अगर आज हम मर भी जाते हैं तो हमें दुबारा ज़िंदा किया जा सकता है, जैसे यीशु को किया गया था। (यूहन्ना 5:28, 29) साथ ही, हमें परमेश्वर के राज्य में एक खूबसूरत पृथ्वी पर हमेशा-हमेशा तक जीने की आशा मिलती है, जिसका राजा उसका महिमावान बेटा यानी राजाओं का राजा यीशु होगा।-यशायाह 9:6, 7; लूका 23:43; प्रकाशितवाक्य 17:14.
इसलिए इस सवाल पर गौर करना वाकई महत्त्वपूर्ण है कि यीशु मरने के बाद जी उठा था या नहीं। इसका असर न सिर्फ हमारी अभी की ज़िंदगी पर पड़ता है, बल्कि भविष्य पर भी। इसलिए आइए हम कायल करनेवाले ऐसे चार सबूतों पर गौर करें जो साबित करते हैं कि यीशु मरा और उसे फिर ज़िंदा किया गया।
यीशु स्तंभ पर ही मरा
यीशु के पुनरुत्थान पर विश्वास न करनेवाले कुछ विद्वानों का दावा है कि हालाँकि यीशु को सूली पर चढ़ाया गया था, मगर उसकी मौत सूली पर ही नहीं हुई। वह सिर्फ बेहोश हो गया था। बाद में कब्र के ठंडे वातावरण की वजह से उसे फिर से होश आ गया। लेकिन हकीकत में, सारे सबूत यह दिखाते हैं कि कब्र में यीशु का मृत शरीर रखा गया था।
यीशु की मौत के कई चश्मदीद गवाह थे क्योंकि उसे सरेआम स्तंभ पर कीलों से ठोका गया था। इसके अलावा, एक रोमी सूबेदार ने भी उसकी मौत को प्रमाणित किया था; जिसका पेशा ही था यह जाँच करना कि अपराधी की मौत हो चुकी है। यही नहीं, यीशु वाकई मर चुका है, यह पक्का करने के बाद ही रोमी गवर्नर पुन्तियुस पीलातुस ने अरिमतिया के यूसुफ को यीशु का मृत शरीर दिया।-मरकुस 15:39-46.
कब्र खाली थी
यीशु का शरीर कब्र में न देखकर चेलों को यह पहला सबूत मिला कि उसका पुनरुत्थान हो चुका है। और कब्र के खाली होने की बात पर कोई शक नहीं कर सकता था। यह कब्र बिलकुल नयी थी जिसका पहले कभी इस्तेमाल नहीं हुआ था। और यह उस जगह के बहुत करीब थी, जहाँ यीशु को स्तंभ पर चढ़ाया गया था, साथ ही यह राहगीरों की नज़रों से भी छिप नहीं सकती थी। (यूहन्ना 19:41, 42) सुसमाचार की सारी किताबें कहती हैं कि यीशु के मरने के तीसरे दिन, जब उसके दोस्त सुबह के वक्त उसकी कब्र के पास गए तो उन्होंने कब्र खाली देखी।-मत्ती 28:1-7; मरकुस 16:1-7; लूका 24:1-3; यूहन्ना 20:1-10.
यीशु की खाली कब्र देखकर जितने हैरान उसके दोस्त हुए, उतने ही हैरान उसके दुश्मन भी हुए। यीशु के बैरियों की कब से यही कोशिश थी कि उसे कब मार डालें और कब्र में गाड़ दें। फिर अपने मकसद में कामयाब होने के बाद भी, उन्होंने यह सावधानी बरती कि कब्र अच्छी तरह से सीलबंद हो और उन्होंने उसके आगे पहरा भी लगवा दिया। इसके बावजूद, हफ्ते के पहले दिन की सुबह को यीशु की लाश कब्र से गायब थी।