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यह चैनल किसी भी जाति, धर्म, वर्ण, मजहब की धार्मिक भावनाएं/ श्रद्धा आहत नहीं करता। हमारा उद्देश्य समाज में पहले अंधविश्वास, पाखंड, कुरीतियों, भेदभाव छुआछूत के प्रति लोगों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना है, यह चैनल साइंटिफिक दृष्टिकोण को अपना कर समाज से अंधविश्वास दूर करने का पूरा प्रयास करेगी। साथ ही तार्किक इतिहास और तार्किक बातों को प्राथमिकता देगी।
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खुद को अनुपयोगी आबादी का हिस्सा बनने से कैसे बचाएं :--
जानिए Rajesh R Pasi जी से जो की एक अमेरिकन कंपनी में फाइनेंसियल एनालिस्ट है !
अगले 10-15 सालों में दुनिया बहुत तेज़ी से बदलेगी । इसलिए मैं चाहता हूँ हमारे लोग कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान दें ताकि जब दुनिया बदले तो वह भी दुनिया के साथ साथ ख़ुद को बदलें नहीं तो वह आउटडेटेड हो जाएँगे । और जब आउटडेटेड हो जाएँगे तो वह भी दुनिया की अनुपयोगी आबादी का हिस्सा बन जाएँगे । आने वाले समय में मौजूदा बहुत सी जॉब ख़त्म हो जाएँगीं , बहुत से लोग बेरोजगार हो जाएँगे , खाने की कमी नहीं होगी क्योंकि नई तकनीकें इतना अन्न पैदा करेंगी की पूरी आबादी के लिए खाना उपलब्ध होगा , राशन मिलता रहेगा पर उनके लिये काम नहीं होगा । वह अनुपयोगी आबादी होगी और सरकारें इस आबादी के साथ कैसे निपटेंगे यह तो भविष्य बताएगा
1. शिक्षा - शिक्षा का महत्व आज सभी समझते है । पर आने वाले समय में सिर्फ़ शिक्षा महत्वपूर्ण नहीं होगी । क्योंकि आने वाले समय में पढ़े लीखों की एक लंबी फ़ौज हमारे देश में खड़ी होगी । एक -एक वैकन्सी के लिये हज़ारों या लाखों लोग लाइन में खड़े होंगे । इसलिए भविष्य में सिर्फ़ शिक्षा काम नहीं आएगी । कौनसी शिक्षा आपने ली है वह भी महत्वपूर्ण होगा । उदाहरण के लिए सिर्फ़ बीए,बीएससी या बीकॉम ग्रेजुएट की ज़्यादा वैल्यू नहीं होगी । आपको इनसे इतर कुछ करना होगा जैसे कॉमर्स में जाना है तो CA,CMA, या CS जैसे कोर्स कर सकते है । साइंस से है तो NEET/ JEE/ या IISc से ग्रेजुएट कर सकते है । कहने का मतलब है कुछ एक्स्ट्रा करना होगा । क्योंकि नार्मल ग्रेजुएट और कुछ एक्स्ट्रा किए हुए ग्रेजुएट में अंतर होगा ।
2. रोज़गार - रोज़गार का हमारे लोग बस एक ही मतलब समझते है वह है नौकरी और वह भी सिर्फ़ सरकारी नौकरी । हमारे अधिकतर बच्चे पढ़ाई करते है सिर्फ़ एक लक्ष्य को लेकर और वह एक सरकारी नौकरी प्राप्त करना । जबकि भारत में सरकारी नौकरी का रोज़गार में हिस्सेदारी सिर्फ़ 4-5% है । 95% से ज़्यादा रोज़गार भारत में प्राइवेट सेक्टर से आता है । पर हमारे अधिकतर लोग सिर्फ़ 4-5% जॉब पर फ़ोकस करते है और रोज़गार 95% अवसर को पूरी तरह से इगनौर कर देते है । प्राइवेट सेक्टर में असीम संभावनाएँ है । भविष्य में अधिकतर जॉब इसी सेक्टर से आएगी
3. जगह से इमोशनल अटैचमेंट -हमारे लोग अपने घर, आपने गाँव, अपनी जगह से बहुत इमोशनल अटैचमेंट रहता है । वह पढ़ाई के लिए स्कूल और कॉलेज अपने घर के पास ही चाहते है। यही हाल जॉब का भी है । लोगों को जॉब अपने घर के बग़ल में ही चाहिए । लोग दूर जाना ही नहीं चाहते और इसी चक्कर में अच्छी ऑपोर्च्युनिटी छोड़ देते है । वह बड़ा सपना ही नहीं देखते । इसके पीछे एक तो बाहर जाने का डर होता है दूसरा होता है इमोशनल टैचमेंट घर का, परिवार का ,दोस्तों का । यह सब छोड़ना बहुत मुश्किल होता है । पर विकास के लिए अपने घर से दूर जाना बहुत ज़रूरी है ।
4. इन्वेस्टमेंट - इन्वेस्टमेंट हमारे जीवन का एक बहुत उपयोगी मुद्दा है जिसे हमारे लोग अक्सर महत्व नहीं देते । हमारे लोग पढ़ाई करेंगे , फिर कमाना शुरू करेंगे हमें बताया गया है कि कमाओ और बचत करो । इन्वेस्टमेंट के बारे में हमें सिखाया ही नहीं जाता । यही कारण है कि अच्छी इनकम होने के बावजूद हमारे लोग रिटायर होने तक भी अच्छी आर्थिक स्थिति में नहीं पहुँच पाते । आजके जमाने में सेविंग करके आप आर्थिक रूप से मज़बूत नहीं हो पायेंगे ।महंगाई दर और मुद्रास्फीति की बदलती परिस्थितियों से सेर्विंग हमें बचा नहीं पाएगी । एक और समस्या है कि हमारे लोग कमाने से पहले खर्च करना शुरू कर देते है । कमाना शुरू करते है ऐशओ आराम और शौक़ पर खर्च करना शुरू कर देते है ।जबकि नियम यह है कि कमाना शुरू करते ही इन्वेस्टमेंट करना शुरू करो । इन्वेस्टमेंट के बहुत सारे ऑप्शन है , गोल्ड है , ज़मीन है , इन्वेस्टमेंट करना शुरू करें तो कुछ सालों अच्छा फण्ड इकट्ठा हो जाता है ।
5. सामाजिक कार्य- सामाजिक कार्यों में सहभागिता करना भी हमारे डेवलपमेंट के लिए अच्छा होता है । सामाजिक कार्यों में सहयोग करने से सिर्फ़ समाज और देश का भला नहीं होता पर इससे हमारा ख़ुद का भी बहुत डेवलपमेंट होता है । अच्छे लोगों से मुलाक़ात होती है , नॉलेज शेयर होता है , आमसंतुष्टि मिलती है कि हम अपने घर परिवार के साथ साथ समाज के लिए भी कुछ कर रहे है । आप बहुत सी सामाजिक संस्थाएँ है , सामाजिक कार्यकर्ता है उन्हें सहयोग कर सकते है , कभी आर्थिक तौर पर , कभी ख़ुद जा कर कार्यों में हाथ बंटा सकते है , अपने विचार और सलाह दे सकते है ।
बदलाव सृष्टि का नियम है यह हो कर रहेगा । नया बदलाव हमेशा कुछ लोगों के लिए परेशानी भरा होता है पर अगर बदलाव के साथ साथ साथ अगर ख़ुद को भी ढालना शुरू कर दें तो बदलाव हमेशा सुखद होता है । इन पाँच पॉइंट्स को ध्यान में रखकर हम आने वाले बदलाव के लिए ख़ुद को और बच्चों को धीरे धीरे तैयार कर सकते है । आप ख़ुद भी आसपास नज़र रखिए और बदलते माहौल में जों ज़रूरी है उसे अपने जीवन में शामिल कीजिए ताकि आप और आपके बच्चे भविष्य में अनुपयोगी आबादी का हिस्सा बनने से बचे रहें ।